संकट में फंसी यह योजना

Edited By Updated: 17 Feb, 2017 10:47 AM

the food supply department in the crisis

विधानसभा चुनावों के तहत आचार संहिता लागू किए जाने के बाद बिना किसी उचित कारण के आटा-दाल योजना संकट में आ चुकी है। आचार संहिता लागू होने के बाद फूड सप्लाई विभाग ने गरीबों को मिलने वाले गेहूं पर रोक लगा दी है, लेकिन यह रोक क्यों लगाई गई और किस के कहने...

अमृतसर (नीरज): विधानसभा चुनावों के तहत आचार संहिता लागू किए जाने के बाद बिना किसी उचित कारण के आटा-दाल योजना संकट में आ चुकी है। आचार संहिता लागू होने के बाद फूड सप्लाई विभाग ने गरीबों को मिलने वाले गेहूं पर रोक लगा दी है, लेकिन यह रोक क्यों लगाई गई और किस के कहने पर लगाई गई, इसका कारण नहीं बताया, जबकि तथ्य यह है कि न तो चुनाव आयोग न ही जिला चुनाव अधिकारी और न ही फूड सप्लाई विभाग के उज्जाधिकारियों ने गेहूं का वितरण रोकने के आदेश दिए थे।

फूड सप्लाई विभाग के इंस्पैक्टरों ने डिपुओं पर जाकर सैंकड़ों लोगों को गेहूं की पर्चियां दे दीं और बकायदा इसकी राशि भी लेकर सरकारी खजाने में जमा करवा दी गई, बाद में एक अप्रत्यक्ष आदेश आया कि गेहूं वितरण रोक दिया जाए, लेकिन अब जिन सैंकड़ों लोगों को गेहूं की पर्चि मिली हैं, वे डिपो होल्डरों व इंस्पैक्टरों से पूछताछ कर रहे हैं कि उनको गेहूं कब मिलेगी? पंजाब के एडीशनल चीफ इलैक्टरोल अफसर मंजीत सिंह नारंग (आई.ए.एस.) से जब गेहूं वितरण रोकने संबंधी पूछा गया तो उन्होंने बिल्कुल स्पष्ट उत्तर देते हुए बताया कि चुनाव आयोग ने ऐसा कोई भी लिखित आदेश जारी नहीं किया है, जिसमें यह कहा गया हो कि गरीबों को मिलने वाले गेहूं पर रोक लगाई जाए, हां यह जरूर कहा था कि गेहूं वितरण के दौरान सत्ताधारी पार्टी का कोई नेता मौके पर नहीं होना चाहिए, ताकि विपक्षी दलों को यह न लगे कि गेहूं वितरण की आड़ में चुनाव प्रचार किया जा रहा है। आयोग ने कहा था कि फूड सप्लाई विभाग के अधिकारी व डिपो होल्डर गरीबों को मिलने वाला गेहूं बांट सकते हैं, यह कहीं भी नहीं कहा गया था कि गेहूं का वितरण ही रोक दिया जाए।

जिला चुनाव अधिकारी को मिली थी एक दर्जन से ज्यादा शिकायतें
आटा-दाल योजना के तहत गेहूं वितरण की बात करें तो चुनावी सीजन शुरु होने के बाद कई इलाकों में गेहूं वितरण के दौरान गड़बड़ी व नेताओं के प्रचार संबंधी जिला चुनाव अधिकारी व डी.सी. को शिकायतें मिली थीं। विपक्षी दलों का आरोप था कि सत्ताधारी पार्टी गेहूं वितरण की आड़ में चुनाव प्रचार कर रही है। यहां तक आरोप लगाया गया कि नीले कार्ड पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की फोटो लगी हुई है और यह भी चुनाव प्रचार ही है, लेकिन जिला चुनाव अधिकारी ने फूड सप्लाई विभाग को कोई लिखित आदेश नहीं दिया कि गरीबों को मिलने वाला गेहूं बंद कर दिया जाए। उन्होंने भी संबंधित विभाग को यही कहा कि गेहूं वितरण के दौरान कोई नेता न वहां खड़ा हो। इस दौरान वाल्ड सिटी के अन्दर कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कई स्थानों पर गेहूं के वितरण में घपले संबंधी आरोप भी लगाए जिसके प्रभाव में और आरोपों से बचने के लिए विभाग ने गेहूं का वितरण ही रोक दिया।

विजीलैंस कमेटियों की निगरानी में गेहूं वितरण का है आदेश
चुनाव आयोग व जिला चुनाव अधिकारी की तरफ से अप्रत्यक्ष रूप से मौखिक आदेश जारी कर दिए गए कि गेहूं वितरण के दौरान सत्ताधारी पार्टी का कोई भी नेता उपस्थित नहीं होना चाहिए, लेकिन दूसरी तरफ फूड सप्लाई विभाग की गेहूं के वितरण की प्रक्रिया की बात करें तो यह लिखित आदेश हैं कि विभाग के इंस्पैक्टर विजीलैंस कमेटियों की निगरानी में ही गेहूं का वितरण करेंगे। इन कमेटियों में इलाके का पार्षद, डिपो होल्डर व अन्य सदस्य शामिल होने चाहिए, लेकिन आयोग ने जब आदेश दिया कि सत्ताधारी दलों के नेताओं के बिना गेहूं बांटा जाए तो यह सीधे विजीलैंस कमेटियों वाली शर्त भंग करने जैसा था। इन हालात में विभाग के अधिकारी भी असमंजस की स्थिति में फंस गए कि आखिर वे करें तो क्या करें। इन हालात में अधिकारियों ने गेहूं का वितरण रोक देना ही ठीक समझा, ताकि वे किसी साजिश में फंसने से बच जाएं।

समाजसेवी संस्थाओं ने जिला चुनाव अधिकारी से की गेहूं वितरण की अपील
इसमें कोई शक नहीं है कि गरीब लोगों के लिए आटा-दाल योजना एक वरदान से कम नहीं, चाहे इस योजना में भारी गड़बड़ी होने के भी समय-समय पर समाचार छपते रहे हैं। जो लोग अति गरीबी रेखा के नीचे रह रहे हैं, उनको 30 रुपए किलो की बजाय 4 रुपए किलो गेहूं जो पिसाई के खर्च के बाद 6-7 रुपए किलो आटे के रूप में बनती है, एक अच्छी सुविधा थी और महानगर के डिपो होल्डरों के अलावा कई समाज सेवी संस्थाओं ने जिला चुनाव अधिकारी से अपील की है कि अब तो मतदान भी हो चुका है, अब गेहूं का वितरण किया जा सकता है। जैसा चुनाव आयोग ने निर्देश दिए हैं कि नेताओं के बिना इंस्पैक्टरों व डिपो होल्डरों की निगरानी में गेहूं का वितरण किया जाए ताकि गरीब लोगों को राहत मिल सके।

उच्चाधिकारियों से मांगी अनुमति
मतदान के बाद अब जैसे ही गेहूं वितरण की मांग उठने लगी, वैसे ही विभाग के अधिकारियों ने भी संबंधित उच्चाधिकारियों से लिखित में अनुमति मांगी है कि गेहूं का वितरण किया जाए। जिला चुनाव अधिकारी बसन्त गर्ग ने भी विभाग को यही निर्देश दिए हैं कि वह अपने उच्चाधिकारियों से लिखित अनुमति लेने के बाद गेहूं का वितरण शुरू कर दें।

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