Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jul, 2017 02:47 PM
पंजाब की कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार के लोकल बॉडीज विभाग ने एक अजीब फैसला लेते हुए राज्य में चल रहे विकास कार्यों पर भी रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं।
जालंधर (खुराना): पंजाब की कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार के लोकल बॉडीज विभाग ने एक अजीब फैसला लेते हुए राज्य में चल रहे विकास कार्यों पर भी रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। गौरतलब है कि पहले इस सरकार ने मार्च महीने में सत्ता संभालते ही पी.आई.डी.बी. द्वारा करवाए जा रहे उन सभी कामों को रोक दिया था जो अभी अलाट नहीं हुए थे। उसके बाद सरकार ने अगला आदेश निकाला कि जो काम अलाट हो चुके हैं परन्तु अभी शुरू नहीं हुए उन कामों को भी रोक दिया जाए। अब कांग्रेस सरकार ने अप्रत्याशित निर्णय लेते हुए राज्य के सभी डिप्टी कमिश्नरों, निगम कमिश्नरों तथा कौंसिलों इत्यादि के ई.ओज को पत्र जारी करके कहा है कि पी.आई.डी.बी. के तहत करवाए जा रहे सभी कामों को वाइंडअप यानी समेट दिया जाए। इन आदेशों में कहा गया है कि 21 मार्च 2017 के बाद न कोई नया काम अलाट किया जाए और न ही पहले अलाट हुए काम को शुरू किया जाए। चल रहे कामों को भी शीघ्र समेटा जाए।यह पत्र लोकल बॉडीज विभाग के एडिशनल चीफ सैक्रेटरी सतीश चन्द्रा द्वारा निकाला गया है, जिसमें कहा गया है कि सभी चल रहे कामों को, जो रोके जा सकते हैं, को तत्काल रोक दिया जाए। दूसरा चरण यह होगा कि चल रहे कामों पर अब मामूली खर्च करके उसे पूरा कर लिया जाए तथा तीसरे चरण के अनुसार वही काम पूरे करवाए जाएं जहां पहले से किए काम के बिगड़ जाने का अंदेशा हो। इसी पत्र के अनुसार अब टैंडर अमाऊंट तथा टैंडर अलाटमैंट के बीच बचती राशि भी पी.आई.डी.बी. को ट्रांसफर करनी होगी। पहले यह राशि जिला प्रशासन या अर्बन लोकल बॉडीज को मिल जाया करती थी।
अकाली-भाजपा ने पी.आई.डी.बी. के जरिए दी थी अरबों रुपए की ग्रांट
विधानसभा चुनावों से कुछ माह पहले अकाली-भाजपा सरकार ने शहरी तथा ग्रामीण विकास हेतु अरबों रुपए की ग्रांट पी.आई.डी.बी. के माध्यम से खर्च करने की योजना बनाई थी, जिसके तहत हर छोटे-बड़े शहर, कस्बे तथा गांवों इत्यादि को खुले रूप से ग्रांटों के गफ्फे बांटे गए थे। जालंधर जैसे शहर को पी.आई.डी.बी. ग्रांट के तहत करीब 280 करोड़ रुपए मंजूर हुए थे और अकाली-भाजपा विधायकों ने इन पैसों से खूब उद्घाटन करके चुनावी फायदा उठाने का प्रयास किया परन्तु चुनावों दौरान सरकार विरोधी माहौल के चलते अकाली-भाजपा को इन ग्रांटों का कोई खास फायदा नहीं हुआ, पर शहरों और गांवों में थोक स्तर पर विकास कार्य शुरू हो गए। कांग्रेस सरकार ने सत्ता संभालते ही अलाट और शुरू न हुए कामों पर रोक लगा दी और अब चल रहे कामों पर भी रोक लगा देने से लोकल बॉडीज के समक्ष नई परिस्थितियां उत्पन्न हो गई हैं।
विकास के मुद्दे पर निगम चुनाव कैसे लड़ेगी कांग्रेस
कायदे से देखा जाए तो पंजाब में नगर निगमों के चुनाव आगामी कुछ महीनों में ही होने चाहिएं परन्तु कांग्रेस सरकार निगम चुनावों को कुछ देर लटकाने का मन बना चुकी है। कांग्रेस के कुछ विधायकों में रोष पनप रहा है कि पी.आई.डी.बी. ग्रांट के तहत होने वाले कामों पर क्यों रोक लगाई गई। अब चालू हो चुके कामों पर भी रोक लगाने से शहरों की जनता कांग्रेस के विरुद्ध हो सकती है जिसका सीधा नुक्सान कांग्रेसी विधायकों को उठाना पड़ेगा और इन परिस्थितियों का असर निगम चुनावों में खड़े होने वाले कांग्रेसी उम्मीदवारों पर भी पड़ेगा। मान लिया जाए कि अगर किसी मोहल्ले में 4 गलियां नई बननी हैं और अब तक एक गली का काम पूरा नहीं हुआ तो नए सरकारी आदेशों के मुताबिक सिर्फ एक गली के काम को पूरा करके बाकी काम को समेटना होगा। इससे उस क्षेत्र की जनता उस क्षेत्र के विधायक से नाराज हो सकती है और अकाली-भाजपा को नया मुद्दा मिल सकता है।