Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Oct, 2017 04:24 PM
मौजूदा सरकार के खजाने की हालत दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है। एक तरफ जहां नए प्रोजैक्टों के लिए केन्द्र सरकार ग्रांट देने में आनाकानी कर रही है, वहीं दूसरी ओर पहले से ही सरकार द्वारा लिए अलग-अलग तरह के कर्ज के ब्याज की बनती किस्त भी देने में...
पटियाला/रखड़ा(राणा): मौजूदा सरकार के खजाने की हालत दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है। एक तरफ जहां नए प्रोजैक्टों के लिए केन्द्र सरकार ग्रांट देने में आनाकानी कर रही है, वहीं दूसरी ओर पहले से ही सरकार द्वारा लिए अलग-अलग तरह के कर्ज के ब्याज की बनती किस्त भी देने में असमर्थ नजर आ रही है। इतना ही नहीं गत माह सरकार ने अपने मुलाजिमों को मासिक वेतन भी लेट अदा किया जबकि सरकारी नौकरी की तय आयु पूरी करने वाले उच्च पदों पर विराजमान अफसरों द्वारा सेवामुक्ति आयु में वृद्धि करवाकर राज्य सरकार के खजाने को चूना लगाया जा रहा है।
वर्णनीय है कि एक बार वृद्धि ले चुके अफसर घूमकर और वृद्धि की मांग संबंधी कार्यालय पर्साेनल के पास फाइलें भेज कर सिफारिशें लगवा कर आयु वृद्धि लेने की फिराक में हैं, जबकि कई सीटों पर अफसरों की जरूरत भी नहीं पर फिर भी वे अपनी राजनीतिक शक्ति इस्तेमाल करते हुए यह फायदा लेने में कामयाब हो रहे हैं। सूत्रों से पता चला है कि सरकार द्वारा बनाए पदों को खत्म करने बारे कोई विचार नहीं है। राज्य सरकार के खजाने की हालत किसी से छिपी नहीं है।
विधान सभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी द्वारा हर घर नौकरी देने के वायदे को कैसे पूरा किया जाएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा, पर इतना जरूर है कि पंजाब के खजाने पर दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे कर्ज का भार इतना ज्यादा हो चुका है कि जिसके ब्याज की किस्त भरनी भी मुश्किल हो गई है। माहिरों के मुताबिक 2009-10 में 12,317 करोड़ रुपए कर्ज था। आर.बी.आई. की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब का कर्ज 31.4 फीसदी की ग्रोस स्टेट डोमैस्टिक प्रोडक्ट (जी.एस.डी.पी.) की दर पर है, जोकि देश में दूसरे नंबर पर कर्ज की दर है। इसके हिसाब से पंजाब के हर नागरिक पर 38,000 रुपए का कर्ज है।
जानकारी के अनुसार पी.एस.पी.सी.एल. और पी.एस.टी.सी.एल. में कई दर्जन मुख्य इंजीनियर काम कर रहे हैं। इसी तरह अतिरिक्त मुख्य इंजीनियर निगरान, अतिरिक्त कार्यकारी इंजी लगाए हुए हैं। पुलिस विभाग में दर्जनों अधिकारी उच्च पदों पर हैं, जिनसे हर समय सरकारी गाडिय़ों के तेल का खर्च, गनमैन और सुरक्षा मुलाजिमों का खर्च भी सरकार पर पड़ रहा है। इसके अलावा समूचे विधायक, एम.पी., घाटे में चल रही कई कार्पोरेशनों के चेयरमैन आदि सरकारी खजाने पर बोझ बने हुए हैं। पंजाब राज्य पब्लिक सॢवस कमिशन में पिछले 10 वर्षों में मैंबरों की संख्या 5 से बढ़कर 10 हो गई है। एक मैंबर का हर माह का खर्च लाखों रुपए हो जाता है।