संसद तक मामला उठा, न राजनेताओं की सुनवाई, न संस्थाओं को ही तवज्जो दी केंद्र सरकार ने

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 11:34 PM

the central government has taken the matter up to parliament

अमृतसर हवाई अड्डे से विदेश की सीधी उड़ानों का सिलसिला समाप्त करने का मामला और भी गंभीर दिखाई दे रहा....

अमृतसर(इंद्रजीत/नीरज): अमृतसर हवाई अड्डे से विदेश की सीधी उड़ानों का सिलसिला समाप्त करने का मामला और भी गंभीर दिखाई दे रहा है जबकि लोगों की आवाज व व्यापारिक मांगों के साथ-साथ और भी कई ऐसे पहलू हैं जिनसे ऐसा महसूस होता है कि इन उड़ानों के साथ राजनीतिक खेल खेला जा रहा है क्योंकि अमृतसर ही ऐसा एयरपोर्ट है जहां उड़ानें एक-एक करके समाप्त की जा रही हैं। 

अमृतसर एयरपोर्ट के भौगोलिक समन्वय एवं इस एयरपोर्ट की सुविधाओं और इसकी क्षमता का विश्लेषण किया जाए तो ऐसा कोई कारण दिखाई नहीं देता कि एस.जी.आर.डी. एयरपोर्ट से लंदन की सीधी उड़ान शुरू न की जाए। बड़ी बात है कि इस हवाई अड्डे से अमृतसर-लंदन की उड़ान के बाद जिस प्रकार सामाजिक हस्तियों एवं प्रमुख राजनीतिज्ञों ने केन्द्र और प्रदेश की सरकारों से अनुरोध किए उसके बावजूद सरकारों ने इस गूंज को अनसुना कर दिया। एयरपोर्ट पर लंदन की उड़ान को लेकर केन्द्र की तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने इस जनाक्रोश के बावजूद कोई सुनवाई नहीं की।

एयरपोर्ट का विशाल रनवे 
अमृतसर एयरपोर्ट का रनवे दिल्ली के बाद 5 प्रदेशों में सबसे बड़ा है। इसकी लंबाई 4 किलोमीटर से अधिक है। इतने लम्बे रनवे पर भारी-भरकम विमान को सही उड़ान लेने के लिए सही लम्बाई मिल जाती है जबकि छोटे रनवे पर बड़े विमानों का उड़ान भरना खतरे से खाली नहीं होता। यही कारण है कि बड़े विमानों वाली उड़ानों को गंतव्य देने के लिए अमृतसर सबसे बेहतर एयरपोर्ट है।

धुंधरोधी कैट थ्री सिस्टम से सुसज्जित है एयरपोर्ट
दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे के बाद अमृतसर एयरपोर्ट कैट थ्री सुविधा से लैस है। सर्दियों के मौसम में लगभग 2 से 3 माह जब धुंध का मौसम होता है तो पुराने समय से ही यहां उड़ानें घंटों लेट आवागमन करती थीं। कई बार तो 24 घंटे के बाद भी उड़ान अपनी दिशा नहीं ले पाती थी। अक्सर ऐसा देखा जाता था कि धुंध के समय में विमान अमृतसर एयरपोर्ट के कई चक्कर लगाने के उपरांत वापस दिल्ली एयरपोर्ट की तरफ चला जाता था। 

इन दिनों में लगभग देश के सभी हवाई अड्डों पर उड़ानों की देरी के लिए लोगों के प्रदर्शन होने की एक आम बात रही है किन्तु कैट थ्री सुविधा के बाद इस वर्ष अमृतसर एयरपोर्ट पर धुंध के कारण विमान लैंडिंग की कोई समस्या पेश नहीं आएगी क्योंकि अमृतसर एयरपोर्ट मात्र 15 दिनों के बीच कैट थ्री सुविधा से लैस होने वाला है। इस सुविधा को प्राप्त करने के उपरांत जब विमान रनवे पर उतरने की दिशा में आएगा तो चाहे कितनी भी धुंध हो, विमान को लैंडिंग में कोई दिक्कत नहीं आएगी। 

जम्बो विमानों की लैंडिंग के लिए रनवे की कठोरता 
रनवे की लम्बाई में उड़ान लेने के साथ-साथ जम्बो विमानों की लैंडिंग के लिए भी रनवे का एक महत्वपूर्ण दृढ़ता का मानक जिसे पी.सी.एन. कहते हैं, भी अमृतसर एयरपोर्ट अपने दामन में संजोए हुए है। आम तौर पर सामान्य विमानों के लिए रनवे की कठोरता का पी.सी.एन. 62 से 70 होता है जबकि बड़े विमान जो वजन में अधिक भारी होते हैं, की लैंडिंग के लिए उनके मानक के अनुसार अमृतसर एयरपोर्ट के रनवे का पी.सी.एन. 82 है जिसमें जम्बो व गैला विमान तक आसानी से लैंड कर सकते हैं।

श्वेत मलिक के प्रयास
सांसद सिद्धू के साथ-साथ भाजपा के वर्तमान राज्यसभा सदस्य श्वेत मलिक के प्रयासों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सांसद मलिक ने भी अमृतसर एयरपोर्ट पर उड़ानें शुरू करने के प्रयास को लेकर एक मुहिम छेड़ रखी है। हालांकि इस समय केन्द्र में भाजपा की सरकार और भाजपा के सांसद मलिक ने अपनी ही सरकार में पूरा मोर्चा खोल रखा है कि अमृतसर एयरपोर्ट पर लंदन की उड़ान के साथ और कई अन्य उड़ानें शुरू की जाएं। पिछले समय में मलिक ने यह भी बताया कि उन्हें केन्द्र सरकार की ओर से इन उड़ानों के लिए आश्वासन मिला है और इसकी पूरी उम्मीद है कि यहां से उड़ानें अवश्य शुरू होंगी किन्तु अभी कोई आदेश प्राप्त नहीं हुए। 

सांसद सिद्धू का आक्रोश भी बना नक्कारखाने में तूती की आवाज
2011 में अमृतसर-लंदन की उड़ान के बंद होने के बाद तत्कालीन भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने इसके लिए बुलंद आवाज उठाई। सांसद सिद्धू की उठाई गई यह आवाज इस कारण बेअसर हुई क्योंकि उस समय पंजाब में अकाली-भाजपा सरकार थी जबकि केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। विपक्षी सांसद होने के कारण सिद्धू की इस आवाज का कोई असर नहीं हुआ। 

वर्ष 2014 में केन्द्र में मोदी सरकार आने के बाद लोगों ने सांसद सिद्धू से जब इसके लिए आवाज उठाने की मांग की तो उस समय बेशक पंजाब में अकाली-भाजपा की सरकार थी किन्तु अपनी सरकार के बीच ही सांसद सिद्धू का अकाली नेताओं से विशेषकर बादल परिवार से ऐसा टकराव हुआ कि अपनी ही सरकार के बीच वह विपक्षी नेता की भूमिका में आने पर मजबूर हो गए। हालांकि सिद्धू ने इस बीच भी अमृतसर के श्री गुरु राम दास हवाई अड्डे के लिए उड़ानों की मांग को नहीं छोड़ा किन्तु इसका कोई विशेष असर नहीं हुआ। मौजूदा समय में जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार आई तो सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो चुके थे और मंत्री पद प्राप्त करने के उपरांत अब सिद्धू की उड़ानों को बढ़ाने की आवाज इस कारण भी नक्कारखाने की तूती बन सकती है क्योंकि अब केन्द्र में मोदी सरकार है।

अमृतसर विकास मंच की भूमिका
अमृतसर हवाई अड्डे के लिए समय-समय पर मांग उठाने वाली संस्था अमृतसर विकास मंच ने भी इन उड़ानों को लेकर केन्द्र सरकार को दर्जनों पत्र लिखे और उसे इसके उत्तर भी प्राप्त हुए। उसने भी कई बार उम्मीद जताई कि केन्द्र उसकी मांगों पर जरूर गौर करेगा लेकिन अभी तक यह संस्था भी अपने प्रयास जारी रखे हुए है। 

राडार की सुविधा
अमृतसर एयरपोर्ट पर विमानों की गतिविधियों और कार्यविधि पर पैनी नजर रखने के लिए अत्यंत शक्तिशाली राडार की सुविधा भी है क्योंकि अमृतसर एयरपोर्ट पाकिस्तान की सीमा से अधिक दूर नहीं है इसलिए ऐसी सुविधा आम एयरपोर्टों पर नहीं होती। राडार के कारण ही विमान को बेहतर फ्रीक्वैंसी एयरपोर्ट से मिलती रहती है।

स्टे के लिए बेहतर एयरशैल 
अमृतसर एयरपोर्ट पर पहले बाहर से आए हुए विमानों के लिए पार्किंग की सुविधा नहीं होती थी जबकि वर्तमान समय में एयरपोर्ट पर विमानों की नाइट पार्किंग के लिए बेहतर एयरशैल बनाए जा रहे हैं। 

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