Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Oct, 2017 11:40 AM
पूर्व यू.पी.ए. सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर में शुरू किया गया बार्टर ट्रेड आतंकवादियों का पालन-पोषण कर रहा है, यह साबित हो चुका है। एन.आई.ए. (राष्ट्रीय सुरक्षा एजैंसी) की तरफ से 3 महीनों के दौरान की गई जांच के बाद भी रिपोर्ट में एक हजार करोड़ की...
अमृतसर (नीरज): पूर्व यू.पी.ए. सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर में शुरू किया गया बार्टर ट्रेड आतंकवादियों का पालन-पोषण कर रहा है, यह साबित हो चुका है। एन.आई.ए. (राष्ट्रीय सुरक्षा एजैंसी) की तरफ से 3 महीनों के दौरान की गई जांच के बाद भी रिपोर्ट में एक हजार करोड़ की टैरर फंडिंग का जम्मू-कश्मीर बार्टर ट्रेड में खुलासा हो चुका है, लेकिन देश की सबसे बड़ी एजैंसी की रिपोर्ट के बाद भी पी.एम.ओ. (प्राइम मिनिस्टर ऑफिस) नहीं जाग रहा है।
आधिकारिक रूप से जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड को बंद करने का ऐलान नहीं किया जा रहा है, हालांकि सुरक्षा एजैंसियों की तरफ से पूरी सख्ती जरूर की जा रही है और अनाधिकृत रूप से यह बार्टर ट्रेड बंद किया गया है, लेकिन 8 वर्षों से इस बार्टर ट्रेड को बंद करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे व्यापारी पी.एम.ओ. दफ्तर की इस लापरवाही से नाराज हैं और मांग कर रहे हैं कि इस बार्टर ट्रेड को पहल के आधार पर तुरंत बंद कर दिया जाए, क्योंकि इस ट्रेड की आड़ में हो रहा हवाला व्यापार आतंकवादियों का पालन-पोषण तो कर ही रहा है, वहीं देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आई.सी.पी. अटारी बार्डर के रास्ते होने वाले भारत-पाकिस्तान व अफगानिस्तान के कारोबार को भी खोखला कर रहा है।
व्यापारियों की मांग है कि इस बार्टर ट्रेड को बंद करने के साथ-साथ उन लोगों पर भी कार्रवाई की जाए जो इस ट्रेड में काम कर रहे थे। एन.आई.ए. की जांच के बाद दर्जनों अलगाववादी नेता तो पकड़े ही जा चुके हैं, लेकिन उन व्यापारियों के खिलाफभी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, जो चक्कां दा बाग (जम्मू-कश्मीर) व स्लामाबाद के बार्टर ट्रेड में काम कर रहे थे।
आई.सी.पी. अटारी के कारोबार को खोखला कर रहा बार्टर ट्रेड
आज भारत व पाकिस्तान के बीच आई.सी.पी. अटारी अमृतसर में सड़क मार्ग से अरबों रुपए की कीमत की वस्तुओं का आयात-निर्यात हो रहा है। पाकिस्तान से अफगानिस्तान का ड्राईफ्रूट, पाकिस्तानी सीमेंट, जिप्सम, रॉक साल्ट आदि आयात किया जा रहा है और पाकिस्तान को सब्जियों, कॉटन आदि का निर्यात किया जाता है। इससे कस्टम विभाग कोकरोड़ों रुपए की ड्यूटी मिलती है, जो इस समय आई.जी.एस.टी. का रूप ले चुकी है।
आयात से मिलने वाले रैवेन्यू से अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और देश के विकास कार्यों में इसको लगाया जाता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड ने आई.सी.पी. के कारोबार को भी खोखला करना शुरू कर दिया था। बिना कस्टम ड्यूटी दिए ही बार्टर ट्रेड के जरिए आयात-निर्यात शुरू हो गया। 800 रुपए किलो वाली गिरी बार्टर ट्रेड में 100 रुपए किलो आ रही थी और केला जो आई.सी.पी. के जरिए निर्यात नहीं किया जा सकता, वह भी पाकिस्तान को भेजना शुरु कर दिया गया, जिससे आई.सी.पी. के जरिए काम करने वाले व्यापारियों को नुक्सान होने लगा।
इंडो-फॉरैन चैंबर ने दिल्ली हाई कोर्ट में किया था केस
पूर्व यू.पी.ए. सरकार की इस लापरवाही के बारे में सभी व्यापारिक संस्थाओं की तरफ से आवाज उठाई जाती रही, यहां तक केन्द्र में यू.पी.ए. सरकार के पतन के बाद मोदी सरकार भी आ गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अंत में अमृतसर के प्रमुख व्यापारिक संस्था इंडो-फॉरैन चैंबर ने दिल्ली हाई कोर्ट में सरकार के खिलाफ केस किया और सरकार ने एक्शन लेते हुए एन.आई.ए. को इस मामले की जांच करने के आदेश दे दिए।
व्यापारियों की तरफ से जो दावा किया गया था, वह सच साबित हुआ है और आज एन.आई.ए. ने अपनी जांच रिपोर्ट में खुलासा कर दिया है कि इस बार्टर ट्रेड की आड़ में एक हजार करोड़ की टैरर फंडिंग, जिसको हवाला कहा जा सकता है, हो रही थी। यह रिपोर्ट पी.एम.ओ. ऑफिस में पहुंच चुकी है, लेकिन अभी तक पी.एम.ओ. ऑफिस की तरफ से इस बार्टर ट्रेड को बंद करने के लिए ऐलान नहीं किया जा रहा है, जबकि केन्द्र सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर तुरंत एक्शन लेना चाहिए।
बार्टर ट्रेड में ही कस्टम विभाग ने पकड़ी थी 66 किलो हैरोइन
जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड में हवाला के साथ साथ हैरोइन व अन्य नशीले पदार्थों की भी तस्करी की जा रही थी, क्योंकि वहां पर कस्टम विभाग का स्टॉफ नाममात्र था और ना ही स्टॉफ के पास कोई स्कैनर था, फिर भी विभाग की तरफ से 66 किलो हैरोइन पकड़ी गई। डी.आर.आई. व अन्य एजैंसियों की तरफ से भी बार्टर ट्रेड के जरिए आने वाली वस्तुओं में भारी मात्रा में नशीले पदार्थ पकड़े जा चुके हैं, जो सबूत हैं कि इस ट्रेड को बंद करना कितना जरूरी है।
क्या है जम्मू-कश्मीर का बार्टर ट्रेड
जम्मू-कश्मीर के बार्टर ट्रेड के बारे में बताते चले कि केन्द्र की पूर्व यू.पी.ए. सरकार ने पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए पी.ओ.के. (पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर) व भारतीय जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच वहां की लोकल पैदा होने वाली वस्तुओं व उत्पादित वस्तुओं का आपसी आयात-निर्यात करने के लिए बार्टर ट्रेड शुरू कर दिया।
हालांकि इस समय पूरी दुनिया में कहीं भी बार्टर ट्रेड नहीं चल रहा है। इस बार्टर ट्रेड की आड़ में ऐसी वस्तुओं का भी आयात-निर्यात शुरू हो गया जो जम्मू-कश्मीर में पैदा ही नहीं होतीं जैसे कि चाइनीज लहसुन, अमरीकन बादाम की गिरी व सीमैंट, साथ ही भारी मात्रा में हवाला का कारोबार शुुरू हो गया, क्योंकि इसमें व्यापारियों को रुपए के जरिए या बैंक के जरिए भुगतान नहीं करना होता है। कश्मीर के पत्थरबाजों से लेकर आतंकवादियों तक को फंडिंग होनी शुरू हो गई। आई.सी.पी. अटारी अमृतसर के जरिए होने वाला आयात-निर्यात भी प्रभावित होना शुरू हो गया, क्योंकि अमृतसर सहित पंजाब व दिल्ली के कई व्यापारियों ने भी जम्मू-कश्मीर के बार्टर सिस्टम में काम करना शुरू कर दिया जिससे व्यापारियों को बाद में काफी नुक्सान भी उठाना पड़ा।