Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Sep, 2017 10:28 AM
हर इंसान की सफलता के पीछे उसके अध्यापक का हाथ होता है वहीं इंसान उन्नति करता है जो अपने अध्यापक द्वारा दी गई शिक्षा को ग्रहण करता है। प्राचीन युग में अध्यापक को गुरु कहा जाता था
गुरु कोई भी हो सकता है।
संगरूर/बरनाला (विवेक सिंधवानी,गोयल): हर इंसान की सफलता के पीछे उसके अध्यापक का हाथ होता है वहीं इंसान उन्नति करता है जो अपने अध्यापक द्वारा दी गई शिक्षा को ग्रहण करता है। प्राचीन युग में अध्यापक को गुरु कहा जाता था
गुरु कोई भी हो सकता है। गुरु माता-पिता भी हो सकते हैं। आज टीचर्ज-डे है।
टीचर्ज-डे के मौके पर अध्यापकों को हौसला देने के लिए पंजाब सरकार द्वारा पंजाब स्तरीय एक समारोह भी करवाया जाता है। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में मैदान मारने वाले अध्यापकों को सम्मान दिया जाता है। हर टीचर की उपलब्धि पर उसके अंक जुड़ते हैं जो अध्यापक 10 अंक प्राप्त कर लेता है उसको स्टेट अवार्ड के लिए चुना जाता है परंतु बरनाला जिले में से किसी भी अध्यापक ने इस अवार्ड के लिए अप्लाई ही नहीं किया। टीचर्ज-डे के मौके पर समाज की प्रसिद्ध शख्सियतों से उनकी सफलता के पीछे किस का हाथ है, बारे बातचीत की गई तो विभिन्न शख्सियतों ने अपने विचार पेश किए।
मुख्याध्यापक भट्टल की वजह से पहुंचा इस मुकाम पर : दरबारा गुरु
मुख्यमंत्री के पूर्व प्रिंसीपल सचिव दरबारा सिंह गुरु ने कहा कि मैं सरकारी हाई स्कूल हंडिआया के पूर्व प्रिंसीपल बलजिंद्र सिंह भट्टल की बदौलत ही इस मुकाम पर पहुंचा हूं। जब मैंने नौंवी कक्षा फस्र्ट डिवीजन में पास की तो प्रिंसीपल बलजिंदर सिंह भट्टल ने मुझे प्रेरणा देते कहा कि आप दसवीं में इससे अधिक नंबर लो मैं आपकी एडमिशन गवर्नमैंट कालेज आफ साइंस एंड सर्च जगराओं में करवा दूंगा। वहां प्रो.बाजवा मेरे दोस्त हैं। मैंने दसवीं में अच्छे नंबर ले लिए। वायदे अनुसार उन्होंने मेरी एडमिशन जगराओं में करवा दी जहां मैंने बी.एससी. व एम.एससी. की व आई.ए.एस. अफसर बनकर प्रिंसीपल सचिव की पोस्ट तक पहुंचा।
माता-पिता से शिक्षा लेकर पहुंचा हूं इस मुकाम पर : हिमांशु जी.ए. टू डी.सी.
बरनाला में तैनात व बरनाला के जमपल हिमांशु गुप्ता जोकि जी.ए. टू डी.सी.बरनाला है, ने कहा कि मेरे गुरु मेरे माता-पिता ही थे जब भी मुझे किसी भी क्षेत्र में किसी भी गाइडैंस की जरूरत पड़ी तो उन्होंने समय-समय पर मेरी मदद की। उनके द्वारा दी गई शिक्षा पर चलकर ही आज मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं।
मेरा तो नाम भी मेरे अध्यापक ने रखा : एस.एम.ओ. औलख
सरकारी अस्पताल बरनाला के एस.एम.ओ. जसवीर सिंह औलख ने कहा कि मेरे अध्यापक ने ही मेरा नाम रखा। गवर्नमैंट प्राइमरी स्कूल के अध्यापक हरदेव सिंह धनौला थे। उन्होंने अपनी देखरेख में पुझे पढ़ाया व मुझे डाक्टर बनाया। आज मैं एस.एम.ओ. के पद पर उनकी बदौलत ही पहुंचा हूं।