पालतू जानवरों पर टैक्स का मामला: पहले प्रस्ताव,विरोध के बाद बैकफुट पर सरकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Oct, 2017 12:52 AM

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बठिंडा(परमिंद्र): पंजाब में कुत्ता-बिल्ली व अन्य पालतू जानवरों पर लगाए जा रहे टैक्स के भारी विरोध को देखते हुए सरकार बैकफुट पर आ गई है। अब सरकार की ओर से इस योजना को मुआवजा नीति का नाम दिया जा रहा है जबकि नगर निगम बठिंडा में सरकार के आदेशों पर पालतू जानवरों पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव तक पेश हो चुका है। 


सरकार अब अपने द्वारा जारी किए गए आदेशों से ही किनारा कर रही है लेकिन सोचने वाली बात है कि अगर सरकार ने ऐसी कोई योजना बनाई ही नहीं थी तो बठिंडा नगर निगम के हाऊस की बैठक में जानवरों पर टैक्स का प्रस्ताव क्यों लाया गया? यही नहीं इस प्रस्ताव को पारित करवाने की कोशिश भी की गई लेकिन कुछ पार्षदों के विरोध के कारण ये पारित नहीं हो पाया। बाद में इसे पैंडिंग रख लिया गया। जानवरों पर लगाए जा रहे इस नए टैक्स के कारण लोगों पर करोड़ों रुपए का नया बोझ डाला जाना था लेकिन विरोधी की आवाजों को देखते हुए सरकार ने फिलहाल इस योजना को एक किनारे पर कर दिया है। 

 

बठिंडा में पेश हुआ था प्रस्ताव 
स्थानीय निकाय विभाग की ओर से पालतू जानवरों पर टैक्स लगाने की उक्त योजना तैयार की थी। विभाग की ओर से 29 सितम्बर 2017 को नगर निगम बठिंडा को पत्र भेजकर इस योजना को अडाप्ट करने की हिदायतें दी थीं। इसके बाद ही बठिंडा नगर निगम की गत 18 अक्तूबर को हुई बैठक में ये प्रस्ताव लाया गया। 


हालांकि उक्त प्रस्ताव बैठक में पास नहीं हो पाया व इस पर दोबारा विचार करने के लिए एक सब-कमेटी का गठन कर दिया गया लेकिन सरकार के आदेशों पर उक्त एजैंडा बैठक में लाया जरूर गया था जिसके तहत कुत्ता, बिल्ली, सूअर, बकरी, पोनी, बछड़ा, भेड़, हिरण आदि पालने वाले लोगों को 250 रुपए प्रति वर्ष वसूल करने तथा  भैंस, सांड, ऊंट, घोड़ा, गाय, हाथी, नील गाय आदि पालने वाले लोगों से 500 रुपए प्रति वर्ष टैक्स वसूल करने का प्रावधान था। 


विरोध के बाद पलटा फैसला 
उक्त योजना का विरोध बठिंडा से ही शुरू हो गया था। पशु प्रेमियों ने नगर निगम व सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर सरकार ने पालतू पशुओं पर कोई टैक्स लगाया तो लोग उसका डटकर विरोध करेंगे। बठिंडा के अकाली नेता व पूर्व पार्षद विजय कुमार ने भी चेतावनी दी थी कि अगर निगम ने लोगों पर उक्त टैक्स थोपने की कोशिश की तो वह लोगों को साथ लेकर संघर्ष शुरू करेंगे। सोशल मीडिया के जरिए उक्त टैक्स की बात फैलने के बाद पंजाब भर में इसका विरोध शुरू हो गया जिस कारण सरकार को उक्त मामला एक बार ठंडे बस्ते में डालने को मजबूर होना पड़ा। अब सरकार उक्त टैक्स के मामले को पशुओं से होने वाले नुकसान के मुआवजे का मामला बता रही है जबकि असल में सरकार पालतू पशुओं पर टैक्स लगाने का फैसला कर चुकी थी जिसे बाद में पलटना पड़ा। 

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