Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 12:55 PM
यू.के. के चुनाव में इतिहास रचकर पहले दस्तारधारी एम.पी. बन कर संसद में पहुंचने वाले तनमनजीत सिंह ढेसी पंजाब आ चुके हैं।
अमृतसर(ममता): यू.के. में पहले सिख सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी श्री हरिमंदिर साहिब में नतमस्तक हुए। इस दौरान ढेसी के पिता जसपाल सिंह ढेसी, चाचा परमजीत सिंह रायपुर भी उनके साथ थे। उन्होंने कड़ाह प्रसाद की देग करवाई और रुमाला साहिब भी भेंट किया।
श्री हरिमंदिर साहिब में उनके भाई सुल्तान सिंह से गुरु घर की बख्शीश सिरोपा प्राप्त करने उपरांत एकाग्रता के साथ बैठ कर कीर्तन श्रवण किया। इस दौरान उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब में भी माथा टेका। परिक्रमा दौरान उन्होंने श्री हरिमंदिर साहिब और अन्य स्थानों की ऐतिहासिक महानता बारे जानकारी प्राप्त करने में विशेष रुचि दिखाई।
इसके बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मुख्य कार्यालय में आयोजित किए गए सम्मान समारोह दौरान शिरोमणि कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बलदेव सिंह कायमपुर, जूनियर उपाध्यक्ष बाबा बूटा सिंह, महासचिव भाई अमरजीत सिंह चावला और अन्य अधिकारियों की ओर से तनमनजीत सिंह ढेसी को सिरी साहिब, सिरोपा, लोई, श्री हरिमंदिर साहिब का सुनहरी मॉडल और धार्मिक पुस्तक का सैट दे कर सम्मानित किया।
ढेसी ने कहा कि परमात्मा की कृपा द्वारा ही उन्हें यह सम्मान मिला है जिस के लिए वह गुरु साहिब का शुकराना करने के लिए श्री हरिमंदिर साहिब में पहुंचे हैं। सिख संगत का उत्साह और नेतृत्व उनके लिए सदा प्रेरणा के तौर पर काम करते रहे हैं, इसलिए उनका फर्ज है कि वे सिख सिद्धांतों पर पहरा देते सभी के भले के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि पगड़ी सिख की शान और पहचान है जबकि सिखी के मूल्य उसके लिए जीवन की सांस हैं।
फ्रांस में पगड़ी के मसले से संबंधित बात करते उन्होंने कहा कि वह इस मामले को यू.के. की संसद में उठा चुके हैं और इसके हल के लिए सदा प्रयासरत रहेंगे। उन्होंने युवाओं से अपील की कि साबत सूरत रहते पगड़ी की शान को बढ़ाने के लिए आगे आएं। 1984 में श्री हरिमंदिर साहिब पर किए गए फौजी हमले समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में सिख नरसंहार को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते उन्होंंने कहा कि इसके आरोपियों को सजाएं मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पगड़ी किसी भी तरक्की या काम में कभी भी रुकावट नहीं बनती बल्कि यह हमारी अलग पहचान निर्धारित करती है। ढेसी ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर और अन्य अधिकारियों का आभार जताते हुए कहा कि सिखों की सर्वोच्च संस्था की ओर से मिला सम्मान उनके लिए अमूल्य है और इन यादगारी पलों को वह हमेशा याद रखेंगे।