Edited By Updated: 29 Nov, 2016 10:46 AM
सतलुज-यमुना ङ्क्षलक नहर के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के बाद पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों में ठन गई है।
नई दिल्ली : सतलुज-यमुना ङ्क्षलक नहर के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के बाद पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों में ठन गई है। दोनों राज्यों की यह लड़ाई आज राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गई। पानी पर दावेदारी करते हुए पहले हरियाणा ने राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाया फिर पंजाब सरकार ने। दोनों राज्यों का अपना-अपना तर्क था। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में प्रदेश के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति के समक्ष दावा पेश किया कि यह हरियाणा का पानी है, लिहाजा हरियाणा को मिलना चाहिए। दल ने कहा कि हम अपना हक मांग रहे हैं न कि पंजाब का हिस्सा जबकि पंजाब की अगुवाई राज्य के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल कर रहे थे।
बादल ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात कर पानी पर अपना दावेदारी पेश की। साथ ही कहा कि पंजाब के पास 1 लीटर भी अतिरिक्त पानी नहीं है। ऐसी स्थिति में वह कैसे दूसरे राज्यों को पानी दे सकता है। पंजाब सरकार ने कहा कि किसी राज्य के पास कोयला है तो किसी राज्य के पास खनिज लेकिन पंजाब के पास तो मात्र पानी ही है जिसको हासिल करने के लिए लगातार धक्केशाही हो रही है। पंजाब सरकार ने इस मौके पर एक ज्ञापन भी राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को सौंपा। इस मौके पर पंजाब के उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, आदेश प्रताप सिंह कैरो, मदन मोहन मित्तल, जत्थेदार तोता सिंह, परमिंदर सिंह ढींढसा, सोहन सिंह, जनमेजा सिंह सेखों, डा. दलजीत सिंह चीमा, अनिल जोशी, सुरजीत सिंह, शरनजीत सिंह ढिल्लों मौजूद रहे।
उधर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हरियाणा के हित में दिए गए निर्णय को क्रियान्वित करवाने के लिए राज्य के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की बात को राष्ट्रपति ने बड़ी ध्यानपूर्वक सुना और हरियाणा के पक्ष पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का भरोसा दिया। उन्होंने बताया कि यह विषय आज का नहीं बल्कि आजादी के बाद विभाजन के समय से चला आ रहा है। जब 1 नवम्बर, 1966 को हरियाणा और पंजाब का बंटवारा हुआ तो उस समय पानी का भी बंटवारा हुआ था लेकिन हरियाणा को उसके हिस्से का पानी नहीं मिला।
हरियाणा ने राष्ट्रपति से गुहार लगाई कि हरियाणा की अढ़ाई करोड़ जनता को पूरी उम्मीद है कि हरियाणा को उसका हक मिलेगा ताकि हरियाणा में अधिक से अधिक अनाज पैदा किया जा सके और प्रदेश के लोगों को पीने का पानी मिल सके। राष्ट्रपति के समक्ष मुख्यमंत्री के साथ ही राज्य के वरिष्ठ मंत्रियों व विपक्षी नेताओं ने राज्य के हितों का पक्ष रखा।
बता दें कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात करने से पहले सभी दलों के प्रमुखों के साथ हरियाणा भवन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सर्वदलीय बैठक की। साथ ही पानी के मुद्दे पर सभी दलों ने एकजुटता दिखाई। प्रतिनिधिमंडल में हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन आदि शामिल रहे।
हरियाणा सभी दलों के साथ पहुंचा, पंजाब सरकार अकेले
एस.वाई.एल. के मुद्दे पर सोमवार को पहले हरियाणा ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। बाद में पंजाब सरकार ने। इसमें खास बात यह रही कि हरियाणा सरकार ने पानी के मुद्दे को लेकर सभी दलों को एकजुट किया और साथ लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंचे। लेकिन पंजाब सरकार ने ऐसा नहीं किया। पंजाब सरकार ने महज अपने आधा दर्ज मंत्रियों को लेकर ही राष्ट्रपति के पास अपनी दावेदारी पेश की। इस मसले पर विशेषज्ञों की मानें तो कुछ नहीं होना है लेकिन दोनों राज्य जनता का ध्यान आकॢषत करने के लिए सियासी रोटियां सेक रहे हैं। हालांकि, पंजाब को भी हरियाणा की तरह सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए थी और सभी नेताओं को साथ लेकर जाना चाहिए था।