चौटाला और बादल परिवारों के लिए फिट है SYL मामला,जानना चाहेंगे क्यों?

Edited By Updated: 24 Feb, 2017 10:40 AM

syl case is fit for chautala and badal s families

चौटाला और बादल परिवार की यारी जगजाहिर है।

चौटाला और बादल परिवार की यारी जगजाहिर है। हरियाणा में बादल परिवार के बड़े कारोबार व होटल आदि हैं। दोनों परिवार हमेशा ही एक-दूसरे के लिए स्टैंड लेते हैं। पंजाब के विधानसभा चुनावों के बाद जो रिपोर्टें आ रही हैं, उसके अनुसार अकाली दल की हालत इस बार बेहद बुरी होती दिखाई दे रही है। दूसरी ओर हरियाणा में चौटाला परिवार की राजनीतिक हालत काफी खस्ता है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक तरह से हरियाणा के हक में आ चुका है। ऐसे में चौटाला के बादल परिवारों के लिए एस.वाई.एल. मामला राजनीतिक तौर पर पूरी तरह फिट है। पर्दे के पीछे दोनों परिवारों द्वारा संयुक्त सियासी रणनीति के तहत ही ऐसे समय पर यह आंदोलन शुरू किया गया है, जब पंजाब में जल्दी ही नई सरकार बनने वाली है। केंद्र में अकाली-भाजपा की सांझा सरकार और हरियाणा में भाजपा की सरकार है। अगर अकाली दल पंजाब की सत्ता से बाहर होता है तो वह इस मुद्दे से फिर से अपने आपको खड़ा करने की कोशिश करेगा। इसके लिए अकाली दल फिर से मोर्चा लगा सकता है। इनपुट : राजेश, पटियाला

नहर बने या न बने चौटाला का मकसद हुआ पुरा

इंडियन नैशनल लोकदल (इनैलो) द्वारा अपने ऐलान के अनुसार वीरवार को अंबाला में रैली करने के बाद एस.वाई.एल. नहर की खुदाई करने के लिए पंजाब की तरफ कूच किया गया, बेशक पंजाब पुलिस ने इनैलो नेता अभय चौटाला समेत उसके विधायकों और अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया पर इसके बावजूद इनैलो ने जिस मकसद को लेकर यह आंदोलन शुरू किया था, वह मकसद जरूर पूरा हो गया। बेशक हरियाणा कांग्रेस और हरियाणा की सत्ता पर काबिज भाजपा के नेता इनैलो की इस कार्रवाई को सियासी नौटंकी करार दे रहे हैं पर इसके बावजूद इनैलो इसका सियासी लाभ लेने में कामयाब हुई है। नहर बने या न बने, पर इनैलो हरियाणा के लोगों को और खास कर इनैलो की रीढ़ की हड्डी किसान वोट बैंक को यह संदेश दे चुकी है कि हरियाणा और किसानों के हकों की रक्षा सिर्फ और सिर्फ इनैलो ही कर सकती है। बड़ी गिनती में पहले अंबाला में एकत्रित होना और उसके बाद हजारों की गिनती में पंजाब की ओर कूच करना स्पष्ट करता है कि इनैलो की आज भी अपने वोट बैंक पर पकड़ है। नहर बने या न बने पर चौटाला परिवार ने जिस मकसद से यह आंदोलन शुरू किया था, वह जरूर पूरा हुआ है। सियासी हाशिए पर चल रहे चौटाला परिवार को एक तरह से राजसी संजीवनी मिली है और इनैलो के वर्कर भी सक्रिय हो गए हैं। इनैलो के ऐलान के बाद लगातार समूचे मीडिया की नजरें इस घटनाक्रम पर लगी हुई थीं। इनैलो और चौटाला परिवार इस दौरान सुॢखयों में रहा। 

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