Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Sep, 2017 12:01 PM
स्वाइन फ्लू की पंजाब में दस्तक के मद्देनजर भले ही प्रदेश सरकार ने इसकी रोकथाम को लेकर बड़े स्तर पर प्रयास शुरू किए हैं परंतु इसके बावजूद इस बीमारी का व्यापक प्रभाव है।
रूपनगर(विजय): स्वाइन फ्लू की पंजाब में दस्तक के मद्देनजर भले ही प्रदेश सरकार ने इसकी रोकथाम को लेकर बड़े स्तर पर प्रयास शुरू किए हैं परंतु इसके बावजूद इस बीमारी का व्यापक प्रभाव है। राज्य के विभिन्न जिलों के मुकाबले जिला लुधियाना इसकी त्रासदी से अधिक शिकार हुआ है। बरसात के मौसम में जीवाणु लगने से पैदा होने वाली यह बीमारी जहां मानवता के लिए बड़ा खतरा बन चुकी है, वहीं सरकार के लिए इस पर काबू पाना चुनौती बना हुआ है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों को दवाई पिलाने की जो प्रक्रिया शुरू की थी, उसकी एक्सपायरी डेट अगस्त महीने में निकल गई है, जिसके तहत इस बीमारी के भयानक नतीजे सामने आ सकते हैं।
लुधियाना सबसे त्रस्त तो माझा क्षेत्र है सुरक्षित
पिछले कुछ समय के आंकड़े देखें तो अब तक राज्यभर में स्वाइन फ्लू से कथित 22 मौतें हो चुकी हैं, जबकि 43 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। जिला लुधियाना में स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतों की गिनती 7 दर्ज की गई है, जबकि जालंधर में 3, पटियाला, अजीतगढ़, नवांशहर व बरनाला में 2-2 तथा श्री फतेहगढ़ साहिब, फरीदकोट, होशियारपुर, रूपनगर तथा संगरूर में एक-एक मरीज की इस बीमारी से मौत होने की पुष्टि की गई है। पंजाब के माझा क्षेत्र को इससे फिलहाल सुरक्षित समझा जा रहा है। राज्यभर के दर्जन भर अस्पताल ऐसे हैं जहां माहिर डाक्टर व वैंटीलेटर भी मौजूद नहीं हैं, जिस कारण स्वास्थ्य विभाग स्वाइन फ्लू से अधिक चुनौतीपूर्ण लड़ाई लडऩे को मजबूर है। हालांकि सरकार द्वारा इस बीमारी के शिकार लोगों के अलग वार्ड बनाए गए हैं तथा इसकी जागरूकता के लिए विशेष मुहिम चलाई गई है, इसके बावजूद बहुत से मरीजों को वालंटियर्स की कमी के कारण निजी अस्पतालों में आश्रय लेना पड़ रहा है।
सूअर से शुरू हुई थी यह बीमारी
20वीं सदी में शुरूआती दौर में स्वाइन फ्लू के जीवाणु सिर्फ सूअर में पैदा हुए तथा बाद में यह प्रभाव मनुष्यों में आया। इस बीमारी से संबंधित मरीजों की संख्या कम होने के कारण भले ही इस तरफ सरकारों ने बनता ध्यान नहीं दिया परंतु 2013 में भारत में इस बीमारी से हुई सैंकड़ों मौतों ने तहलका मचा दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरल से पीड़ित मरीजों की शिनाख्त के लिए उन्हें 3 श्रेणियों में बांटा हुआ है।