स्वीपिंग मशीन व एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइटों पर संकट के बादल

Edited By Updated: 13 Mar, 2017 09:26 AM

sweeping machines and leds clouds of crisis on street lights

विधानसभा चुनावों से ठीक पहले अकाली-भाजपा गठबंधन ने पंजाब और जालंधर नगर निगम में अपने बहुमत का फायदा उठाते हुए शहर में स्वीपिंग मशीन प्रोजैक्ट और एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट प्रोजैक्ट लागू किए थे। दोनों विवादित प्रोजैक्टों को लेकर पिछले कुछ महीनों के दौरान...

जालंधर(खुराना): विधानसभा चुनावों से ठीक पहले अकाली-भाजपा गठबंधन ने पंजाब और जालंधर नगर निगम में अपने बहुमत का फायदा उठाते हुए शहर में स्वीपिंग मशीन प्रोजैक्ट और एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट प्रोजैक्ट लागू किए थे। दोनों विवादित प्रोजैक्टों को लेकर पिछले कुछ महीनों के दौरान खूब विवाद हुआ और विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी के तमाम पार्षदों के अलावा सत्तारूढ़ अकाली-भाजपा गठबंधन के ज्यादातर पार्षद इन दोनों प्रोजैक्टों के विरुद्ध दिखे। अब माना जा रहा है कि जिस प्रकार जालंधर में कांग्रेस पार्टी के 4 विधायक चुन कर आए हैं, नगर निगम में चल रहे स्वीपिंग मशीन और एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट प्रोजैक्ट पर संकट के बादल छा सकते हैं।

स्वीपिंग मशीन प्रोजैक्ट

दरअसल यह प्रोजैक्ट मेयर सुनील ज्योति ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के कहने भर से शुरू कर दिया था। सुखबीर बादल ने अपने पसंदीदा क्षेत्र मोहाली में यह प्रोजैक्ट शुरू करवाया था और जालंधर में भी ऐसे प्रोजैक्ट की जरूरत पर बल दिया। कांग्रेस आरोप लगाती रही कि सुखबीर ने अपनी चहेती कम्पनी को यह प्रोजैक्ट दिलाने के लिए निगम को उसी हिसाब से टैंडर लगाने को कहा ताकि मोहाली वाली कम्पनी ही यह काम हासिल कर सके। टैंडर पास होने के बाद भी कांग्रेसियों के ये आरोप जारी रहे और मामला अदालत तक पहुंचा, पर चूंकि निगम के कहने पर कम्पनी ने जल्दबाजी में प्रोजैक्ट शुरू कर दिया था इसलिए अदालत से भी कांग्रेस को राहत नहीं मिली। 
इस प्रोजैक्ट के विरोध में भाजपा पार्षद गोपाल गुप्ता, रवि महेन्द्रू और मिंटा कोछड़ ने खुलकर मेयर पर आरोप लगाए थे तथा साफ कहा था कि स्वीपिंग मशीनों की आड़ में 25 करोड़ रुपए का घोटाला किया जा रहा है। कांग्रेस का यह भी कहना था कि मात्र 2-3 करोड़ रुपए की मशीनों का किराया 5 साल में 30 करोड़ रुपए देना सरासर भ्रष्टाचार है। कांग्रेसी पार्षदों ने इस घोटाले को लेकर दर्जनों ज्ञापन दिए। ऊपर तक शिकायतें कीं और कई तरह संघर्ष किया परंतु विपक्ष में बैठी इस पार्टी की एक नहीं सुनी गई। अब चूंकि विधायक पदों पर कांग्रेस काबिज हो चुकी है और माना जा रहा है कि 2-3 महीने बाद होने वाले जालंधर नगर निगम के चुनावों में भी कांग्रेस निगम की सत्ता पर काबिज होगी इसलिए जगदीश राजा तथा अन्य कांग्रेसी पार्षदों का हर हाल में प्रयास होगा कि अकाली दल व भाजपा द्वारा लाया गया स्वीपिंग मशीन प्रोजैक्ट किसी तरह रद्द कर दिया जाए। 
दूसरी ओर देखा जाए तो स्वीपिंग मशीन प्रोजैक्ट लेने वाली कम्पनी भी ज्यादातर शर्तों को पूरा नहीं कर पा रही और मैनुअल सफाई करवाकर ही लाखों रुपए की पेमैंट निगम से ले रही है। 

एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट 
इस प्रोजैक्ट को भी अकाली-भाजपा सरकार ने जाते-जाते जल्दबाजी में लागू किया और विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी जोर-शोर से इस प्रोजैक्ट का विरोध करती रही। इस प्रोजैक्ट को लेकर मेयर तथा निगम अधिकारियों ने जो दावे किए थे उनमें से कई दावों के विपरीत जाकर यह प्रोजैक्ट अलॉट कर दिया गया और कोड ऑफ कंडक्ट लगने से मात्र कुछ दिन पहले ही जल्दबाजी में यह प्रोजैक्ट भी शुरू कर दिया गया। हालांकि यह प्रोजैक्ट भी करोड़ों रुपए से संबंधित है। कांग्रेस का आरोप है कि इसमें जिस प्रकार से टैंडर स्वीकार किए गए उनके अनुसार निगम को करोड़ों रुपए का घाटा पड़ रहा है। अकाली-भाजपा के कई पार्षद भी इस प्रोजैक्ट के खिलाफ बोले परंतु बाकी घोटालों की तरह स्ट्रीट लाइट प्रोजैक्ट पर भी कांग्रेस के किसी विरोध को भाव नहीं दिया गया। अब निगम की सत्ता पर काबिज होती दिख रही कांग्रेस को स्ट्रीट लाइट घोटाले की जांच करवाने का मौका मिल जाएगा। 
वैसे देखा जाए तो कम्पनी ने शहर की 65 हजार से ज्यादा स्ट्रीट लाइटों को एल.ई.डी. में बदलना है परंतु अभी तक मात्र कुछ सौ लाइटें ही बदली जा सकी हैं जिससे लगता है कि यह प्रोजैक्ट लागू करने में जल्दबाजी दिखाई गई।  

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