Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Jul, 2017 04:10 AM
हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों से चंद सप्ताह पहले नगर निगम ने जल्दबाजी में.....
जालंधर(खुराना): हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों से चंद सप्ताह पहले नगर निगम ने जल्दबाजी में स्वीपिंग मशीन प्रोजैक्ट शुरू किया परन्तु यह महंगी डील जिस पर अगले 5 वर्षों दौरान करीब 30 करोड़ रुपए खर्च होना है, शुरू से ही कांग्रेस पार्टी की आंखों में खटक रही है।
कांग्रेस के अलावा इस डील का विरोध अकाली-भाजपा के कई प्रमुख पार्षद भी कर चुके हैं। जिस तरह अब पंजाब और जालंधर नगर निगम में अकाली-भाजपा का दबदबा समाप्त हो रहा है तथा कांग्रेस पार्टी ने पंजाब की सत्ता के बाद जालंधर नगर निगम पर भी कब्जा करने के इरादे बनाने शुरू कर दिए हैं उससे स्पष्ट है कि जालंधर में स्वीपिंग मशीन प्रोजैक्ट पक्के तौर पर बंद भी हो सकता है।
चंद सड़कों को ही बार-बार रगड़ती रहीं मशीनें
एग्रीमैंट अनुसार कम्पनी ने 48.55 कि.मी. लम्बी तथा शहर की 28 मुख्य सड़कों पर स्वीपिंग मशीन चलानी थी जिनमें से 34.15 कि.मी. लम्बी फोरलेन सड़कें थीं और 14.40 कि.मी. टू-लेन सड़कें थीं। कम्पनी ने इनमें से ही कुछ सड़कों पर लगातार 6 महीने मशीनें चलाईं और चंद सड़कों को ही बार-बार रगड़ा जिस कारण बाकी शहर में रोष पनपा कि उनके यहां ऐसी सफाई क्यों नहीं होती। साफ सड़कों को ही बार-बार क्यों साफ किया जा रहा है।
टैंडरों की जांच भी संभव
इन दिनों पंजाब की कांग्रेस सरकार अकाली-भाजपा सरकार दौरान अलाट हुए टैंडरों की छानबीन करवा रही है। सुखबीर बादल के कहने पर जब जालंधर निगम ने जनवरी, 2016 में स्वीपिंग मशीनें हायर करने हेतु टैंडर मंगवाए तो 6 कम्पनियों ने टैंडर भरे परन्तु हैरानी की बात है कि टैंडर मोहाली में सफाई करने वाली कम्पनी लायंस सर्विसिज दिल्ली के हिस्से ही आया। बाकी कम्पनियां इम्प्रैशन सर्विसिज दिल्ली, प्राइम रोड सॉल्यूशन दिल्ली, ड्यूलेवो इंडिया दिल्ली, सनराइज फैसिलिटी गुडग़ांव तथा रूट्स मल्टी क्लीन दिल्ली द्वारा टैक्रीकल बिड की शर्तें ही पूरी नहीं की जा सकीं। यह जांच का विषय हो सकता है कि क्या बाकी 5 कम्पनियों द्वारा भरे गए टैंडर मात्र खानापूर्ति थे।
निगम ने चाहे कम्पनी से इतनी महंगी डील कर ली परन्तु निगम कम्पनी से कभी भी पूरा काम नहीं ले पाया। कम्पनी ने ग्लोबल पॉल्यूशन नॉर्म (पी.एम. 10 से पी.एम. 2.5 तक) की सफाई की गारंटी दी थी, यानी मिट्टी का एक-एक कण सड़कों से उठाया जाएगा परन्तु जिन सड़कों पर 6 महीने यह मशीन चली है उसकी हालत देख कर नहीं लगता कि ये सड़कें शहर की बाकी सड़कों से अलग हैं। कम्पनी ने फुटपाथों को पानी से धोने, मरे जानवरों को उठाने, मलबे-कूड़े को उठाने तथा पौधों इत्यादि की कटाई का काम भी करना था जो निगम नहीं करवा पाया। और तो और जिन 28 सड़कों पर स्वीपिंग मशीन चलनी थी वहां पर भी पूरी रिपेयर नहीं हुई जिस कारण कई सड़कों पर यह मशीन एक बार भी नहीं चली।
सुखबीर के कहने पर हुआ था शुरू
नगर निगम ने पहले अपने स्तर पर स्वीपिंग मशीन खरीद कर सड़कों की मशीनी सफाई करने का प्रोजैक्ट तैयार किया था। पहला प्रस्ताव 14 अक्तूबर, 2009 को लाया गया जिसके तहत एक नई रोड स्वीपिंग मशीन खरीदी जानी थी और उस पर 3.72 करोड़ रुपए खर्च आना था जिसमें मशीन को 3 साल तक चलाने व मैंटेन करने का खर्च भी शामिल था। इसी तरह का अगला प्रस्ताव 24 मार्च, 2015 को लाया गया जिसके तहत 3 साल के रख-रखाव के साथ कुल खर्च 2.81 करोड़ रुपए आना था।
निगम से पास होने के बावजूद पंजाब सरकार ने स्वीपिंग मशीन खरीदने के प्रोजैक्ट को मंजूरी नहीं दी बल्कि उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने जालंधर निगम को सलाह दी कि वह मोहाली, लुधियाना व अमृतसर की तर्ज पर कम्पनी से मशीनी सफाई करवाए। निगम ने अपने प्रस्ताव में खुद माना है कि उपमुख्यमंत्री ने यहां तक बताया कि मोहाली में जो मशीन ठेकेदार द्वारा चलाई जा रही है उसकी परफॉर्मैंस अच्छी है इसलिए सुखबीर बादल के कहने पर मोहाली माडल अपनाया गया। अब पंजाब सरकार ने अकाली सरकार द्वारा किए गए कामों की जांच का सिलसिला शुरू कर रखा है इसलिए पूरी संभावना है कि सुखबीर बादल के इस चहेते प्रोजैक्ट को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा।
2 करोड़ मिलने पर ही मशीनें चलाएगी कम्पनी
स्वीपिंग मशीन कम्पनी शहर में आधा-अधूरा काम करके ही निगम से एक करोड़ रुपया ले चुकी है और 2 करोड़ रुपए बकाया दिखा रही है। तंगी से जूझ रहे निगम के पास कम्पनी को देने हेतु पैसे नहीं हैं जिस कारण कम्पनी ने सफाई का काम खत्म कर दिया है। कम्पनी के सफाई कर्मचारियों ने कांग्रेस विधायक राजेन्द्र बेरी से मुलाकात करके बताया कि स्वीपिंग मशीन कम्पनी ने उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं दिया है जिस कारण उनके घरों का गुजारा नहीं चल रहा है। विधायक बेरी ने कहा कि स्वीपिंग मशीन की आड़ में बड़ा घोटाला हुआ है। सफाई सेवकों के साथ अब जो हुआ है उससे ये बेरोजगार हो गए हैं। मेयर ने इनसे सरासर धोखा किया है। मेयर के कार्यकाल में जो घोटाले हुए हैं उनकी जांच करवाई जाएगी तथा दोषियों को भी बख्शा नहीं जाएगा।