सतलुज दरिया का अस्तित्व खतरे में!

Edited By Updated: 08 May, 2017 05:29 PM

sutlej river  in danger

नंगल डैम से लेकर रूपनगर हैडवक्र्स तक 60 किलोमीटर का सफर तय करने वाले सतलुज दरिया व शिवालिक क्षेत्र का आज माइनिंग माफिया की लूट के कारण अस्तित्व खतरे में है।

रूपनगर(विजय): नंगल डैम से लेकर रूपनगर हैडवक्र्स तक 60 किलोमीटर का सफर तय करने वाले सतलुज दरिया व शिवालिक क्षेत्र का आज माइनिंग माफिया की लूट के कारण अस्तित्व खतरे में है। इस क्षेत्र में रोजाना दिन-दिहाड़े करोड़ों रुपए की हो रही अवैध माइनिंग किसानी तथा मानवता के लिए भयानक तबाही का संकेत है। जमीनें बंजर हो रही हैं। अधिक पैसा हड़पने की लालसा में पंजाब तथा इसके पड़ोसी राज्यों के धनाढ्य तथा सियासी पिछोकड़ वाले लोगों ने गत कुछ सालों से यहां क्रशर लगा कर सतलुज में से कच्चा माल निकालने का जो सिलसिला आरंभ किया है, उससे न सिर्फ सतलुज दरिया रूप से कुरूप हो गया है बल्कि इसमें 100-100 फुट से ज्यादा गहरे गड्ढों ने भारी खतरा पैदा कर दिया है। 

किसानी पर छा रहे संकट के बादल 
माइनिंग विभाग के नियमानुसार वाटर लैवल तक 10 फुट की खुदाई की जा सकती है, पर माफिया ने पोकलेन मशीनों का प्रयोग करते हुए सतलुज दरिया में 80-80 फुट तक खुदाई की है। ऐसी स्थिति में जहां पानी की सतह काफी नीचे चली गई है, वहां सतलुज पट्टी के साथ लगती हजारों एकड़ कृषि योग्य उपजाऊ जमीन सिंचाई के साधनों से वंचित होकर बंजर होने की कगार पर है। कृषि माहिरों का इस पक्ष से तर्क है कि इस जमीन के निचले पानी की सतह दरिया पानी की सतह से काफी नीचे चली गई है जिस कारण हजारों एकड़ इस रकबे में लगे ट्यूबवैल पानी निकालने से जवाब दे गए हैं। ऐसी स्थिति में सैंकड़ों ट्यूबवैल आज पक्के तौर पर बंद हो गए हैं। अगर यही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब किसानों की यह सैंकड़ों एकड़ जमीन सिंचाई से वंचित होकर बंजर हो जाएगी। 

क्या कहना है डी.सी. का
डिप्टी कमिश्रर (डी.सी.) गुरनीत तेज ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा जिस क्षेत्र की जमीन में माइनिंग की स्वीकृति देकर डिमार्केशन की है, उसमें गांव चंदपुर, लोधीपुर, चंदपुर बेला, बेईहारा, बेला रामगढ़, सवाड़ा, दयापुर, भलाण, पलासी, नानगरां, भलड़ी, श्री कीरतपुर तथा रायपुर साहनी आदि के नाम शामिल हैं, पर इसके बावजूद क्षेत्र के कई गांवों की हदबस्त में पोकलेन मशीनें लगा कर कच्चा माल निकाला जा रहा है। करीब 13 गड्ढे माइनिंग के लिए निश्चित किए गए हैं पर माइनिंग माफिया द्वारा इसके अलावा कई अन्य क्षेत्रों में भी माइनिंग की जा रही है। करीब 150 क्रशर जिले भर में ऐसे चल रहे हैं, जिनके पास कानूनी दस्तावेज तथा विभागीय स्वीकृति है पर दर्जनों क्रशर अवैध रूप में भी चलाए जा रहे हैं। प्रशासन द्वारा अवैध माइनिंग रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जाता है। 

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