Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jun, 2017 07:37 AM
अकाली-भाजपा सरकार ने शहरों की दशा सुधारने के लिए फंड भी जारी किए मगर वह सरकार नगर निगम तथा अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों की सुस्ती और लापरवाही को दूर नहीं कर पाई .......
जालंधर(खुराना): अकाली-भाजपा सरकार ने शहरों की दशा सुधारने के लिए फंड भी जारी किए मगर वह सरकार नगर निगम तथा अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों की सुस्ती और लापरवाही को दूर नहीं कर पाई जिस कारण ज्यादातर फंड खर्च ही नहीं हुए। अकाली-भाजपा सरकार को जहां टूटी सड़कों के कारण कई बार नामोशी सामना करना पड़ा, वहीं उसको चुनावों में हार का भी मुंह देखना पड़ा। संसदीय चुनावों में पवन टीनू की हार तथा चौधरी संतोख की जीत में मुख्य कारण जालंधर शहर की टूटी सड़कें ही रहीं। इसके बाद कपूरथला रोड, मकसूदां रोड तथा कुछ अन्य खस्ताहाल सड़कों ने विधानसभा चुनावों में अपनी भूमिका निभाई, जिसके चलते शहर के सभी अकाली-भाजपा विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा और कांग्रेसी विधायकों को जीत नसीब हुई। चुनावों में टूटी सड़कों के महत्व को भांपते हुए तब विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी ने टूटी सड़कों का मुद्दा जोर-शोर से उठाया।
कपूरथला रोड की टूटी सड़क पर जहां कै. अमरेंद्र सिंह ने खुद धरना दिया, वहीं मनप्रीत बादल, राजिंद्र कौर भ_ल, चौधरी संतोख सिंह, अवतार हैनरी, राजिंद्र बेरी सरीखे कई उच्च कांग्रेसी नेताओं ने मकसूदां से विधिपुर फाटक जाती सूरानुस्सी रोड का मामला जोर-शोर से उठाया और विधानसभा चुनावों से ऐन पहले वहां स्थित कैपसन्ज फैक्टरी के परिसर में एक बैठक की जिस दौरान घोषणा की गई कि जीत के बाद कांग्रेस 7 दिनों में इस सड़क का निर्माण कर देगी। उस बैठक में मकसूदां रोड के पुराने टैंडरों में घपलेबाजी के आरोप दोहराए गए।अब कांग्रेस को जीत नसीब हुए 3 महीने होने को हैं परन्तु मकसूदां-सूरानुस्सी रोड की हालत दिन-ब-दिन और खराब होती जा रही है और यह सड़क बार्डर एरिया की सड़कों से भी ज्यादा खस्ताहाल दिखाई दे रही है। अब कोई कांग्रेसी नेता इस सड़क की सुध लेता दिखाई नहीं दे रहा, जिससे लोगों में रोष व्याप्त है।
8 साल से समस्या झेल रहे हैं लोग : एन.के. सहगल
सूरानुस्सी क्षेत्र के प्रमुख औद्योगिक संस्थान कैपसन्ज इंडस्ट्री के एन.के. सहगल बताते हैं कि टूटी सड़कों की समस्या पिछले 8 साल से कायम है और लगातार बढ़ रही है। अब तो हद ही हो गई है, क्योंकि सड़क पर 2-2 फुट गहरे गड्ढे हैं जो बिन बरसात ही पानी से भरे रहते हैं। गड्ढे दिखाई न देने के चलते रोज दर्जनों एक्सीडैंट हो रहे हैं परन्तु किसी को कोई फिक्र नहीं। बरसातों में तो यह पूरा क्षेत्र झील का रूप धारण कर लेता है। कई बार अपनी ओर से इन गड्ढों में मिट्टी डलवाई गई परन्तु समस्या ज्यों की त्यों है। आर्मी डिपो के निकट पड़ती रेलवे लाइन से आगे निगम द्वारा डाले गए सीवरेज को न तो अभी तक चालू ही किया गया और न ही उस पर सड़क बनाई जा रही है। ऐसे लगता है जैसे यहां के उद्योगपति व लोग तालीबानी क्षेत्र में रहते हैं। जो नगर निगम एक-डेढ़ किलोमीटर तक की सड़क नहीं बना सकता वह पूरे शहर को स्मार्ट सिटी कैसे बनाएगा? यह सरकारी सिस्टम पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है।