Edited By Updated: 16 Jan, 2017 12:26 AM
पंजाब में इस बार के चुनाव जबरदस्त राजनीतिक सौदों के लिए याद किए जाएंगे। ....
जालंधर(इलैक्शन डैस्क): पंजाब में इस बार के चुनाव जबरदस्त राजनीतिक सौदों के लिए याद किए जाएंगे। सभी पाॢटयां बगावत से हलकान हैं और अच्छा ‘सौदा’ पटने पर नेताओं का एक पार्टी छोड़कर दूसरे में जाना लगा हुआ है। रविवार कांग्रेस में शामिल हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता नवजोत सिंह सिद्धू राज्य में बगावत करने वाले शुरूआती नेताओं में से हैं।
चुनाव दौरान बगावत का सबसे तगड़ा झटका सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और कांग्रेस को लगा है, जहां टिकट बंटवारे के बाद बहुत से दावेदार बागी हो गए हैं। करीब 10 वर्ष से सत्ता में बनी हुई अकाली दल असल में एंटी-इन्कम्बैंसी से निपटने के लिए नए चेहरों को सामने ला रही है जिसकी वजह से पहले से जमे प्रत्याशियों की बगावत स्वाभाविक है। वहीं कांग्रेस अपने आंतरिक सर्वे के आधार पर टिकट बांट रही है।
पंजाब की नई सनसनी यानी कि आम आदमी पार्टी (आप) भी बगावत से अछूती नहीं है। पार्टी खासकर विशेष वर्ग और एन.आर.आइज को लुभाने की कोशिश कर रही है और इसके लिए इन वर्गों के प्रत्याशियों को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने की कोशिश में है। पंजाब में विशेष वर्ग मतदाता करीब 34 प्रतिशत हैं लेकिन उसे उन दमदार नेताओं की बगावत का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में पंजाब की 13 में से 4 सीटें हासिल हुई थीं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कई नेता भी अकाली दल छोडऩे की तैयारी कर रहे हैं। सिख गुरुद्वारों का प्रबंधन करने वाली इन समितियों पर काफी हद तक शिअद का नियंत्रण है।