अवैध व एक्सपायरी दवाओं का भंडार मिलने पर सुनील पैस्टीसाइड्स सील

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Aug, 2017 10:25 AM

sunil pesticides seal on the collection of illegal and expiry medicines

मंजूरी लिए बिना अवैध कीटनाशक दवाएं बेचने के आरोप में कृषि विभाग द्वारा देर रात्रि चैकिंग के पश्चात मंडी नंबर 2 स्थित सुनील पैस्टीसाइड्स को सील कर पुलिस का पहरा लगा दिया गया

अबोहर/फाजिल्का: मंजूरी लिए बिना अवैध कीटनाशक दवाएं बेचने के आरोप में कृषि विभाग द्वारा देर रात्रि चैकिंग के पश्चात मंडी नंबर 2 स्थित सुनील पैस्टीसाइड्स को सील कर पुलिस का पहरा लगा दिया गया, जिससे कीटनाशक विक्रेताओं में हड़कंप मच गया। मामला यूनियन में आने के पश्चात अधिकतर कीटनाशक तथा फर्टीलाइजर विक्रेताओं ने बैठक कर हड़ताल का आह्वान कर दुकानें बंद कर दीं तथा डी.सी. ईशा कालिया को मांग पत्र देकर मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग की।   


कीटनाशक विक्रेताओं ने कथित आरोप लगाया कि कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा की जा रही कार्रवाई से दिन-प्रतिदिन उनकी दुकानदारी खत्म होने की कगार पर आ गई है। 
मंडी नंबर 2 में सुनील पैस्टीसाइड्स की दुकान के बाहर दि अबोहर पैस्टीसाइड्स एवं फर्टीलाइजर डीलर एसो. के प्रधान सुरेश सतीजा के नेतृत्व में एकत्र हुए अधिकतर पैस्टीसाइड्स डीलरों ने सुनील पैस्टीसाइड्स पर की गई कार्रवाई पर रोष जताया। 


मौके पर मौजूद जगत पेड़ीवाल, राजा चावला, अशोक गर्ग, ओम धमीजा, सुनील कुमार, दीपक चुघ, सतपाल कुक्कड़, भगवान मरेजा, कृष्ण जिंदल, अविनाश कुक्कड़, हर्ष जैन, दीपक गुप्ता, सुभाष कुक्कड़,  पुनीत चुघ ने बताया कि पिछले कई दिनों से बरसात न होने के कारण नरमे की फसल पर सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ गया है। नरमे पर सफेद मक्खी व अन्य कीटों के प्रकोप को कम करने के लिए कीटनाशक विक्रेता पंजाब कृषि विश्वविद्यालय एवं पंजाब कृषि विभाग की हिदायतों के अनुसार मंजूरशुदा व सिफारिश की गई कीटनाशक दवाएं ही किसानों को पक्के बिलों पर बेच रहे हैं लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी मौखिक रूप से इन्हें न बेचने की हिदायतें दे रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा मौखिक आदेशों का पालन न करने वाले दुकानदारों के खिलाफ पुलिस की मदद से उनकी दुकानों की चैकिंग कर उन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है और गैर-कानूनी रूप से सैम्पङ्क्षलग की जा रही है। दुकानदारों ने आरोप लगाया है कि सुनील पैस्टीसाइड्स के संचालकों पर भी कार्रवाई इन्हीं मौखिक आदेशों को न मानने का नतीजा है। 


यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि ऐसा करने से जहां उन्हें भारी परेशानी उठानी पड़ रही है, वहीं समाज में भी उनका अपमान हो रहा है, जो कि सभी पैस्टीसाइड्स विक्रेताओं के साथ अन्याय है। यूनियन ने कृषि विभाग के अधिकारियों से इंसैक्टीसाइड एक्ट 1968 व फर्टीलाइजर कंट्रोल ऑर्डर 1985 के दायरे में रहकर ही कार्रवाई की मांग की है। 

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