Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jan, 2018 08:29 PM
पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रधान और गुरदासपुर से लोकसभा मैंबर सुनील जाखड़ ने केंद्रीय कामर्स और इंडस्ट्री मंत्री सुरेश प्रभु के साथ मुलाकात करके उनके समक्ष पंजाब की उद्योग क्षेत्र के साथ सम्बन्धित मुश्किलें रखी हैं।....
गुरदासपुर(दीपक): पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान और गुरदासपुर से लोकसभा सदस्य सुनील जाखड़ ने केन्द्रीय कामर्स व इंडस्ट्री मंत्री सुरेश प्रभू के साथ मुलाकात करके पंजाब के उद्योग क्षेत्र के साथ संबंधित मुश्किलें रखी ताकि इस सीमावर्ती राज्य में उद्योगिक क्रांति लेकर आ सकें।
जाखड़ ने सुरेश प्रभू के साथ मुलाकात के दौरान उनको पंजाब सरकार द्वारा लागू की नई उद्योग नीति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा उद्योग पक्ष नीति लागू की गई है ताकि राज्य में उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सकें। जाखड़ ने आगे बताया कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 30 किलोमीटर के घेरे में उद्योगों के लिए राज्य सरकार द्वारा अधिक छूटें दी गई है और इस क्षेत्र में पहले उद्योग लगाने व सीएलयू और ईडीएस चार्ज से छूट दे दी गई है।
जाखड़ ने कहा कि भले ही राज्य सरकार की ओर से उद्योगों के लिए बड़े प्रयास किए है तथा बड़े उद्योगिक घराने पंजाब में निवेश के लिए आगे भी आ रहे है, मगर केन्द्र सरकार का सहयोग राज्य को जरुरी है। बार्डर एरिया में लगने वाली इंडस्ट्री को केन्द्र सरकार भी कुछ कर छूट दें ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को नई दिशा दी जा सकें। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री समक्ष अपने लोकसभा हलके गुरदासपुर के उद्योगिक विकास की बात करते हुए कहा कि पठानकोट और गुरदासपुर दोनों ही सीमावर्ती जिले हैं और यहां केन्द्र सरकार कोई बड़ा उद्योग प्रोजैक्ट लगाए ताकि नौजवानों को रोजगार के नए अवसर मिल सकें।
उन्होंने गुरदासपुर व बटाला के उद्योगों के मुद्दे भी केन्द्रीय मंत्री के ध्यान में लेकर आए और गुरदासपुर, बटाला व पठानकोट में इंडस्ट्री की स्थापना की मांग भी रखी। इसके बिना सुनील जाखड़ ने केन्द्र सरकार से भी राज्य के उद्योगों को प्रफुलित करने के लिए मदद के मांग करते हुए कहा कि पंजाब के बठिंडा को तेल सोधक कारखाना लगाया गया है। जिससे पैट्रो केमिकल इंडस्ट्री के लिए बहुत संभावनाएं है।
उन्होंने पंजाब की बासमती जिसको जी.आई टैग भी मिली हुई, के निर्यात को उत्साहित करने व छोटे निर्यातकों को हित्तों की रक्षा का मुद्दा भी केन्द्रीय मंत्री के ध्यान में लाया गया। हर साल कोई 25 हजार करोड़ बासमती निर्यात होती है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को बताया कि केन्द्र ने बेशक एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी स्कीम लागू की है, मगर इसमें पहले से एक्सपोटरों की देश से बाहर फंसी उधारी का जिक्र नहीं किया गया, जिससे बड़े छोटे निर्यातकों को व्यापार के बराबर के मौके नहीं मिलते। इस बार बासमती का उत्पादन देश में कम है और दुनिया में मांग अच्छी है। ऐसे में अगर कम से कम एक्सपोर्ट भाव सरकार तय कर दें तो देश की बासमती इंडस्ट्री के साथ-साथ किसानों को भी लाभ हो सकता है।