Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 May, 2017 08:22 AM
मई महीना जिला बरनाला के किसानों के लिए भारी रहा। गत रात्रि जिले के छठे किसान ने खेतों में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। इससे पहले बरनाला के विभिन्न गांवों के 5 किसानों ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी।
बरनाला (विवेक सिंधवानी, गोयल): मई महीना जिला बरनाला के किसानों के लिए भारी रहा। गत रात्रि जिले के छठे किसान ने खेतों में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। इससे पहले बरनाला के विभिन्न गांवों के 5 किसानों ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी।
जगराज सिंह बैंक के क र्ज तथा बीमारी से था परेशान
जानकारी के अनुसार जगराज सिंह पुत्र धर्मपाल सिंह वासी खारा पत्ती संघेड़ा गत काफी समय से बैंक के क र्ज तथा बीमारी से परेशान था। गत रात्रि वह घर से धान की पनीरी को पानी लगाने के लिए खेतों में गया था। वहां जामुन के पेड़ से प्लास्टिक की रस्सी से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। पोस्टमार्टम करवाने के लिए शव सिविल अस्पताल में रखवाया: पुलिस उसके शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करवाने के लिए सिविल अस्पताल बरनाला ले आई। जांच अधिकारी ए.एस.आई. सतविन्द्र सिंह ने बताया कि मृतक के पुत्र हरविन्द्र सिंह के बयानों के आधार पर 174 की कार्रवाई अमल में लाई गई।
सरकार किसानों का कर्ज वायदे अनुसार क्यों नहीं कर रही माफ?
सिविल अस्पताल में भरे मन से बातचीत करते हुए मृतक के भाई जरनैल सिंह ने कहा कि किसान कर्ज से तंग आकर आत्महत्या कर रहे हैं। पंजाब सरकार ने किसानों का कर्जा माफ करने का वायदा किया था। दो माह से अधिक समय बीत चुका है परंतु सरकार ने अभी तक अपना वायदा पूरा नहीं किया।
कर्ज माफ न किया तो करेंगे संघर्ष
किसान यूनियन उगराहां के बरनाला सर्कल के प्रधान बलौर सिंह छन्ना ने कहा कि कै. अमरेन्द्र सिंह ने वोटों से पहले किसानों का कर्ज माफ करने का वायदा किया था, अगर उस वायदे को पूरा न किया गया तो यूनियन की ओर से तीव्र संघर्ष किया जाएगा।
वायदा करने से पहले कैप्टन को बनानी चाहिए थी कमेटियां : विधायक
बरनाला के विधायक गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने चुनावों से पहले सत्ता में आने पर किसानों से वायदा किया था कि सरकार बनते ही किसानों के कर्जे माफ कर दिए जाएंगे परंतु किसानों के कर्जे माफ नहीं किए गए। अब कैप्टन साहिब कहते हैं कि किसानों का कर्ज माफ करने के लिए वह कमेटियां बना रहे हैं। कमेटियां बनाने की अब क्या जरूरत है, कमेटियां तो वायदा करने से पहले बनानी चाहिए थीं। सरकार अपने वायदे से भाग रही है। इस मुद्दे को विधानसभा में जोर-शोर से उठाया जाएगा।