पराली जलाने वाले इनसे लें सीख,कमाई का बनाए नया साधन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Nov, 2017 12:02 PM

stubble burning

होशियारपुर में मशरूम की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। इस क्षेत्र में हरशरनजीत सिंह सनी थियाड़ा को मशरूम किंग के नाम से भी जाना जाता है।

होशियारपुरः होशियारपुर में मशरूम की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। इस क्षेत्र में हरशरनजीत सिंह सनी थियाड़ा को मशरूम किंग के नाम से भी जाना जाता है। सनी बताते हैं कि 2001 में उन्होंने होशियारपुर में थोड़े रकबे में मशरूम की खेती शुरु की थी, जो धीरे-धीरे अब साल में 100 टन मशरूम के उत्पादन तक पहुंच गई है। वह इसके उत्पादन में मशरूम रिसर्च सेंटर सोलन (हिमाचल प्रदेश) द्वारा नैशनल अवार्ड से नवाजे जा चुके हैं। वह बताते हैं कि दो तरह के मशरूम का उत्पादन करते हैं एक ढींगरी मशरूम व दूसरा बटन मशरूम।

 

मशरूम की खेती के साथ-साथ पराली का भी सही उपयोग कर रहे हैं। वह मशरूम में काम आने वाली खाद जिसे कंपोस्ट कहा जाता है, उसे भी सनी खुद ही प्लांट लगाकर तैयार कर रहे हैं। इस खाद को बनाने में पराली भी काम आती है। जिससे वह एक तीर से दो निशाने लगाते हैं। एक तो पराली से खाद तैयार की जा रही है, वहीं दूसरी पराली को जलने से बचाकर वातावरण भी बचा रहे हैं।

 
 

लागत मूल्य पर उपलब्ध कराते हैं कंपोस्ट

वह मशरूम के साथ-साथ कंपोस्ट का भी बडे़ पैमाने पर उत्पादन करते हैं। सबसे बड़ी बात है कि वह छोटे किसानों को यह कंपोस्ट महज लागत मूल्य पर ही उपलब्ध करवा रहे हैं, ताकि छोटे किसानों के अलावा बेरोजगार भी इस इस काम को अपनाकर रोजगार के साधन जुटा सकें।

सनी बताते हैं कि कंपोस्ट तैयार करने के लिए तूड़ी व पराली को मिक्स करके एक बड़े शेड के नीचे फर्श पर गीला किया जाता है। इसे 24 से 48 घंटे तक भीगा रहने दिया जाता है। जिसमें नमी की मात्रा 70 से 75 फीसद की होनी चाहिए। समय-समय पर नमी की मात्रा को हाथ में लेकर चैक किया जाता है। पराली को मुठ्ठी में लेकर भींचने से पानी की बूंदें टपकनी लगती हैं, उसकी नमी चैक करके ढींगरी मशरूम की खाद के रूप में तैयार किया जाता है। तैयार होने पर इसमें ढींगरी मशरूम का बीज (सपान) डालकर लिफाफों  में बंद कर दिया जाता है। पंद्रह दिन के बाद ढींगरी मशरूम उगने लगती है।

 

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वहीं सनी थियाड़ा से प्रेरणा लेकर मशरूम की खेती करने वाले छोटे मशरूम उत्पादक मनविंदर जस्सल सनी से मशरूम की खाद लेकर मशरूम की खेती कर रहे हैं। वह बताते हैं कि 2005 में उन्होंने मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया था। यह बहुत आसान व बढि़या आमदन वाला काम है। इसमें थोड़ी सी मेहनत करके अच्छी कमाई की जा सकती है। वह बटन व ढींगरी मशरूम का उत्पादन करते हैं। इसमें पराली का उपयोग किया जाता है। जिससे एक तो वातावरण प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है, वहीं इसकी खाद बना कर बटन मशरूम के उत्पादन में काम लाया जा है।

 

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