Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Sep, 2017 11:55 AM
पंजाब में आवारा कुत्तों की समस्या दिन-प्रतिदिन गम्भीर होती जा रही है, मगर इसका कोई ठोस व उचित उपचार होता हुआ दिखाई नहीं पड़ रहा। आए दिन किसी को काट लेने व नोच-नोच कर किसी की जान लेने के समाचार देखने व सुनने को मिलते हैं।
हाजीपुर (स.ह.): पंजाब में आवारा कुत्तों की समस्या दिन-प्रतिदिन गम्भीर होती जा रही है, मगर इसका कोई ठोस व उचित उपचार होता हुआ दिखाई नहीं पड़ रहा। आए दिन किसी को काट लेने व नोच-नोच कर किसी की जान लेने के समाचार देखने व सुनने को मिलते हैं।
विशेषकर बच्चों के लिए तो आवारा कुत्ते काल साबित हो रहे हैं। इन कुत्तों की दहशत के प्रति ङ्क्षचता तो सभी जताते हैं, मगर समाधान कोई नहीं निकाल पा रहा। नगर निगम द्वारा शुरू की गई स्वान नसबंदी योजना भी इनकी संख्या को नियंत्रित करने में असफल रही है। इसके बावजूद भी प्रशासन हाथ पर हाथ रख कर बैठा हुआ है तथा लावारिस कुत्तों का आतंक बरकरार है।
हाजीपुर सीनियर सिटीजन कौंसिल के अध्यक्ष सुरिन्द्र मोहन सोढल ने बातचीत करते हुए बताया कि हमारी जानकारी के अनुसार केन्द्रीय मंत्री तथा भाजपा नेत्री मेनका गांधी के निजी संगठन एवं उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार आवारा कुत्तों पर किसी प्रकार का अंकुश लगाना कानूनन अपराध माना गया है।
सोढल ने कहा कि पूर्व में गांवों, कस्बों, शहरों में आवारा कुत्तों पर प्रतिवर्ष अंकुश लगाया जाता था जिसके लिए क्षेत्र में सूचना या मुनियादी करवाई जाती थी, इस प्रक्रिया में घरेलू कुत्ते लोग घरों में बांध कर रखते थे तथा शेष पर अंकुश लग जाता था। उन दिनों कुत्तों के काटने की अप्रिय घटनाएं नाममात्र ही होती थीं। अब लगभग 20 वर्ष से ऐसा कोई प्रावधान न होने से अक्सर वृद्ध, स्कूल जाने वाले बच्चे व अन्य सामान्य राहगीर इनकी चपेट में आ रहे हैं।