सुरक्षा एजैंसियों के शिकंजे से बाहर हैरोइन स्मगलिंग के बड़े मगरमच्छ,जेलों से चल रहा नैटवर्क

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Dec, 2017 08:17 AM

smuggling network running in  prisons

अमृतसर व गुरदासपुर के सीमावर्ती इलाके में पाकिस्तान से सटी बी.ओ.पी. रोजी में बी.एस.एफ. व पाकिस्तानी तस्करों के बीच हुई मुठभेड़ दौरान 55 किलो हैरोइन व हथियार पकड़े जाने के बाद यह साबित हो चुका है कि पाकिस्तानी तस्कर भारतीय तस्करों के साथ मिलकर होलसेल...

अमृतसर (नीरज): अमृतसर व गुरदासपुर के सीमावर्ती इलाके में पाकिस्तान से सटी बी.ओ.पी. रोजी में बी.एस.एफ. व पाकिस्तानी तस्करों के बीच हुई मुठभेड़ दौरान 55 किलो हैरोइन व हथियार पकड़े जाने के बाद यह साबित हो चुका है कि पाकिस्तानी तस्कर भारतीय तस्करों के साथ मिलकर होलसेल में हैरोइन भेजने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अभी तक बड़ी मछलियों को नहीं पकड़ा जा सका है। केन्द्रीय व क्षेत्रीय सुरक्षा एजैंसियों के शिकंजों से हैरोइन तस्करी के बड़े मगरमच्छ आज भी बाहर हैं। 

पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन को हराने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने पंजाब को नशे की दलदल से निकालने को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया था और इसमें सफलता भी हाथ लगी लेकिन केन्द्रीय सुरक्षा एजैंसियों की जांच रिपोर्ट पर नजर डालें तो अभी तक हैरोइन की तस्करी करने वाले बड़े मगरमच्छों को पकड़ा नहीं गया है, छोटी मछलियों पर ही हाथ डाला जा रहा है। इससे नशे की बिक्री पर पूरी तरह से लगाम नहीं लग सकती है। कैप्टन ने ऐलान किया था कि सत्ता में आने पर कुछ महीनों के भीतर नशे के बड़े तस्करों पर शिकंजा कसा जाएगा।

पुलिस व स्पैशल स्टाफ के अलावा अन्य शाखाओं द्वारा छोटे-मोटे नशा तस्करों को पकड़ा भी जा रहा है लेकिन हैरोइन तस्करी के होलसेलर्स यानि बड़े तस्करों को आज तक सुरक्षा एजैंसियां अपने शिकंजे में नहीं ले पाई हैं, जबकि 31 किलो हैरोइन के मामले में फिरोजपुर के गांव बैरीके के पूर्व अकाली सरपंच चन्नन सिंह, 40 किलो हैरोइन व बड़ी खेपें निकालने के मामले में तरनतारन के कस्बा सरहाली के गांव ठट्ठा के पूर्व सरपंच अमनदीप सिंह व उसके चाचा अमलोक सिंह, सैदपुर के बिल्ले को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है, जबकि इन बड़े तस्करों ने हैरोइन तस्करी के काले कारोबार बल्कि 150 एकड़ से ज्यादा जमीन बनाई है। डी.आर.आई., कस्टम विभाग व अन्य सुरक्षा एजैंसियों को यह तस्कर वांछित हैं, लेकिन इनकी गिरफ्तारी के लिए कोई बड़ा प्रयास नहीं किया जा रहा है।

विधानसभा चुनावों के दौरान पंजाब में नशे के छठे दरिया को रोकने का दावा करने वाली कैप्टन सरकार ने अभी तक छोटे-मोटे कोरियरों के अलावा इन बड़ी मछलियों पर शिकंजा नहीं कसा है, जबकि उक्त तस्कर बाहरी राज्यों में आराम फरमा रहे हैं।

पूर्व सरपंच चन्नन की चल-अचल संपत्ति को कुर्क करने का खाका हो रहा तैयार
फिरोजपुर के गांव बैरीके में डी.आर.आई. की तरफ से जब्त की गई 155 करोड़ रुपए की हैरोइन के मामले में खुलासा हुआ कि 31 किलो हैरोइन के साथ पकड़े गए प्रकाश सिंह उर्फ मिंटू व अंग्रेज सिंह का बॉस और कोई नहीं, बल्कि गांव बैरीके का पूर्व अकाली सरपंच चन्नन सिंह है जिसकी गिरफ्तारी के लिए डी.आर.आई. नेे कई स्थानों पर छापेमारी भी की थी। चन्नन सिंह की शुरूआती जांच में पता चला है कि उसने हैरोइन तस्करी के काले कारोबार से दो-चार या फिर दस एकड़ नहीं, बल्कि 150 एकड़ के करीब जमीन खरीद रखी है, यह जमीन उसके अपने व अन्य रिश्तेदारों के नाम पर है। इतना ही नहीं, उसकी दूसरी संपत्तियों के बारे में भी डी.आर.आई. जांच कर रही है, कुछ और चल-अचल संपत्तियों का खुलासा हो सकता है।

इतना ही नहीं. चन्नन सिंह के गुर्गे व 31 किलो हैरोइन की खेप के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किए गए प्रकाश सिंह उर्फ मिंटू के रिश्तेदारों से भी पुलिस ने 2 किलो हैरोइन जब्त की थी। हालांकि चन्नन सिंह के मामले में पुलिस की कार्रवाई कई बड़े सवाल पैदा कर रही है। आखिरकार इतने बड़े हिस्ट्रीशीटर को पुलिस ने अभी तक सलाखों के पीछे क्यों नहीं भेजा और कैसे चन्नन सिंह को पंजाब की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी से सरपंची की टिकट मिल गई, यह हैरान करने वाला तथ्य हैं। फिलहाल डी.आर.आई. की तरफ से चन्नन सिंह की चल-अचल संपत्ति को कुर्क करने संबंधी कार्रवाई का खाका तैयार किया जा रहा है और अदालत मेें भी चन्नन सिंह को भगौड़ा करार देने के लिए कानूनी प्रक्रिया जारी है। बेनामी एक्ट के तहत इंकम टैक्स का बेनामी विंग भी ऐसे तस्करों की बेनामी संपत्तियों की तलाश कर रहा है।

अंडरग्राऊंड है गांव ठट्ठा का पूर्व सरपंच अमनदीप सिंह
पूर्व अकाली सरपंच चन्नन सिंह की तरह ही तरनतारन के कस्बा सरहाली के गांव ठट्ठा का पूर्व अकाली सरपंच अमनदीप सिंह भी अभी तक डी.आर.आई. व अन्य सुरक्षा एजैंसियों के शिकंजे से बाहर है और अंडरग्राऊंड चल रहा है। अमनदीप सिंह जो हैरोइन तस्करी के मामले में तरनतारन व फिरोजपुर सैक्टर का एक बड़ा खिलाड़ी माना जाता है और उसका चाचा शीतल सिंह, अमोलक सिंह व अन्य रिश्तेदार भी हैरोइन तस्करी के मामलों में वांछित हैं, की भी अभी तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।

अमनदीप सिंह ने भी अलग-अलग नामों से करोड़ों रुपए की संपत्ति बना रखी है, जिसकी अभी तक जांच जारी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अमनदीप सिंह पर राजस्थान में भी हैरोइन तस्करी का पर्चा दर्ज है फिलहाल अमनदीप सिंह पंजाब से फरार है और कभी यू.पी. तो कभी उत्तराखंड में घूमता फिर रहा है। अमनदीप के मामले में भी पुलिसिया कार्रवाई सवालों के घेरे में है। सूत्रों के अनुसार अमनदीप सिंह ने सरपंच बनने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए थे और कुछ लोकल पुलिस अधिकारियों के साथ उसके काफी नजदीकी संबंध थे जिसकी जांच की जा रही है। ऐसी बड़ी मछलियों को पंजाब सरकार ने अभी तक क्यों नहीं पकड़ा है? अमनदीप की बेनामी संपतियों की भी तलाश की जा रही है, ताकि बेनामी एक्ट 2016 के तहत कार्रवाई की जा सके।


खड़ी फसल की आड़ लेते हैं तस्कर
पठानकोट व दीनानगर में आतंकवादी हमलों के बाद बी.एस.एफ. की तरफ से सभी संवेदनशील बी.ओ.पीज व अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में सख्त चौकसी बरती जा रही है लेकिन फैंसिंग के दोनों तरफ खड़ी हुई गेहूं या धान  की फसल भी बार्डर पर गश्त करने वाले जवानों के लिए चुनौती बनी रहती है क्योंकि इस खड़ी फसल की आड़ में पाकिस्तान व भारत में काम करने वाले तस्कर हैरोइन की खेप को इधर-उधर करने का प्रयास करते हैं।

चाहे बैरीके का पूर्व अकाली सरपंच चन्नन सिंह हो या फिर गांव ठट्ठा का सरपंच अमनदीप सिंह या फिर बी.ओ.पी. फताहपुर में पकड़े गए तस्कर सोनू व रांझा, सभी फैंसिंग के पार खड़ी फसल की आड़ में ही हैरोइन की खेप को इधर-उधर करने का प्रयास करते हैं। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि वर्ष 2017 में अब तक 1285 करोड़ रुपए की हैरोइन जब्त की जा चुकी है जो अलग-अलग जिलों के साथ लगते सीमाओं पर पकड़ी गई है।


सैदपुर का बिल्ला भी अभी तक सुरक्षा एजैंसियों की पकड़ से बाहर
बी.एस.एफ. की तरफ से बी.ओ.पी. फताहपुर में बेरी के पेड़ के नीचे से तस्कर सोनू व रांझा से 4 किलो हैरोइन व हथियार जब्त किए जाने के मामले में दोनों तस्करों ने अपने बॉस सैदपुर के बिल्ले के नाम का खुलासा किया था, लेकिन इतने महीने बीत जाने के बाद भी बिल्ला पुलिस व सुरक्षा एजैंसियों के शिकंजे से बाहर है। ऐसे बहुत कम मामले सामने आए हैं, जिसमें बी.एस.एफ. ने फैंसिंग के पार खेती करने वाले किसानों को रंगे हाथों हैरोइन की खेप के साथ गिरफ्तार किया हो और जांच में तस्करों के आका का पता चला हो, लेकिन इस मामले में भी पुलिस ढिलमुल कार्रवाई कर रही है, जबकि पुलिस चाहे तो इस मामले में तस्करों की पूरी चेन को पकड़ सकती है। फिलहाल इस घटना के बाद अमृतसर सैक्टर में बी.एस.एफ. पूरी तरह से अलर्ट है और चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रखी रही है।

मुख्य रूप से फैंसिंग के पार वाले ट्यूबवैल, पेड़ों के नीचे, पानी की खाई व अन्य जगहों पर विशेष रूप से चैकिंग की जा रही है। पठानकोट व दीनानगर हमले के बाद बी.एस.एफ. ने जिस प्रकार पंजाब बार्डर पर सख्ती बढ़ाई है, उससे यह तो साफ हो चुका है कि अब तस्कर परंपरागत तरीके यानि फैंसिंग के पार से हैरोइन फैंकने का प्रयास नहीं कर सकते हैं। बिल्ले जैसे नामी तस्करों की भी अभी तक गिरफ्तारी न होना कई सवाल खड़े कर रहा है। आखिरकार नशे को रोकने का दावा करने वाली कैप्टन सरकार को क्या उक्त तस्कर नजर नहीं आते हैं।   

बी.एस.एफ. को चकमा देने के लिए परंपरागत तरीके त्याग रहे तस्कर
आमतौर पर हैरोइन तस्करी के मामलों में ज्यादातर तस्कर प्लास्टिक पाइप के जरिए ही हैरोइन की खेप को फैंसिंग के पार भेजते रहे हैं, लेकिन अब इन पुराने तरीकों को त्याग रहे हैं। पिछले वर्षों के दौरान देखने में आया है कि तस्करों ने हैरोइन भेजने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए। बी.ओ.पी. फताहपुर में तार के पार खेती करने वाले किसान सोनू व उसके साथी रांझा ने एक बेरी के पेड़ के नीचे दबी हुई 4 किलो हैरोइन व हथियारों की खेप निकालने का प्रयास किया। इस केस में पाकिस्तानी तस्करों ने रात के समय में बेरी के पेड़ के नीचे हैरोइन छुपा दी थी और दिन के समय सोनू व रांझा खेती का बहाना करके खेप निकालने गए लेकिन पकड़े गए। बी.ओ.पी. उदरधारीवाल में पाकिस्तानी तस्करों ने इस बार दबाने की बजाय जुराबों में 3.50 किलो हैरोइन डालकर भारतीय इलाके में फैंकने का प्रयास किया था, लेकिन यह प्रयास भी विफल कर दिया गया। यह अलग तरीका इसलिए अपनाया गया क्योंकि बी.ओ.पी. उदरधारीवाल की फैंसिंग बार्डर व सड़क से सिर्फ 100 मीटर दूरी पर है।

बी.ओ.पी. छन्नमुल्ला में तस्करों ने अपना पुराना तरीका अपनाया, लेकिन यह तरीका पूरी तरह से विफल कर दिया गया। बी.ओ.पी. बैरोपाल में तो बी.एस.एफ. व काऊंटर इंटैलीजैंस की तरफ से चलाए गए ज्वाइंट ऑपरेशन में न सिर्फ 9 किलो हैरोइन जब्त की गई, बल्कि 2 पाकिस्तानी तस्करों को भी बी.एस.एफ. के जवानों ने मार गिराया। किसान के वेश में तस्कर दिलबाग सिंह व उसके प्रवासी नौकर को ट्रैक्टर में छुपा कर हैरोइन लाते हुए रंगे हाथों बी.एस.एफ. ने गिरफ्तार किया। एक किसान तो बैलगाड़ी के पहिए में हैरोइन की खेप छुपा कर लाता पकड़ा गया और एक मामले में बी.ओ.पी. जोधावाला में एक किसान को अपने ट्रैक्टर के पाटर््स में हैरोइन छुपा कर लाते हुए पकड़ा गया, जिसके पास से सवा किलो हैरोइन बरामद की गई।

पाकिस्तानी मालगाड़ी कीवैक्यूम पाइप में छुपाई जा रही हैरोइन की खेप
पाकिस्तान व भारत में काम करने वाले तस्कर बार्डर फैंसिंग के आस-पास खड़ी फसल की आड़ ही नहीं, बल्कि समझौता एक्सप्रैस व पाकिस्तान से आने वाली मालगाड़ी में भी हैरोइन की खेप भेजने के लिए नए हथकंडे अपना रहे हैं। कस्टम विभाग दर्जनों बार मालगाड़ी की कैवेटीज से रैमजिंग कर हैरोइन की खेपें पकड़ी जा चुकी है, लेकिन अब पाकिस्तानी तस्कर मालगाड़ी की बोगियों को आपस में जोडऩे वाली वैक्यूम पाइप यहां तक कि प्रैशर पाइप्स में भी हैरोइन की खेप को छुपा कर भेज रहे हैं, जिसको ट्रेस कर पाना लगभग नामुमकिन होता है लेकिन कस्टम विभाग ने पाकिस्तानी तस्करों की इन शातिर चालों को भी नाकाम कर दिया है।

हालांकि वैक्यूम पाइप में से हैरोइन की खेप निकालने के लिए गैस कटर तक का प्रयोग किया गया और कई दिनों तक इसे निकालने के लिए मेहनत की गई। फिलहाल बड़े मगरमच्छों को पकडऩे के बाद ही इस प्रकार की गतिविधियां रुक सकती हैं।   

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