Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Nov, 2017 12:45 PM
पिछले 2 दिनों में वातावरण में फैले धुएं के कारण लोगों की आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जिसका मुख्य कारण खेतों में पराली जलाने से उत्पन्न धुआं माना जा रहा है। बेशक मौसम में ठंडक आने के साथ सुबह कुछ लोग इसे धुंध मानते हैं, लेकिन पूरा दिन एक जैसा...
फिरोजपुर (जैन): पिछले 2 दिनों में वातावरण में फैले धुएं के कारण लोगों की आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जिसका मुख्य कारण खेतों में पराली जलाने से उत्पन्न धुआं माना जा रहा है। बेशक मौसम में ठंडक आने के साथ सुबह कुछ लोग इसे धुंध मानते हैं, लेकिन पूरा दिन एक जैसा मौसम रहने का कारण हवा में प्रदूषण माना जा रहा है जिसके कारण विजिबिलिटी भी कम हुई है।
प्रशासन द्वारा मात्र पराली जलाने वाले किसानों के चालान काट कर जिम्मेदारी पूरी की जा रही है, जबकि ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करने में अधिकारी नाकाम साबित हो रहे हैं। उप-मंडल अधिकारी हरजीत सिंह संधू की मानें तो अभी तक करीब 10 चालान काटे गए हैं, जबकि हालात इतने बदतर हैं कि रात के अंधेरे में खेतों में आग आम देखी जा रही है।
पराली जलाने पर सख्ती से बैन लगाने की जरूरत
वहीं पर्यावरण प्रेमी डा. सतिन्द्र सिंह का कहना है कि कुछ किसान पराली जला कर लोगों को अनेक बीमारियां तो बांटते ही हैं, साथ ही इससे धरती की उपजाऊ क्षमता भी खत्म हो रही है । सरकार को इस पर सख्ती से बैन लगाने की जरूरत है, नहीं तो आगामी समय में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा।
पराली न जला कर नई मिसाल कायम की
गांव धीरां पत्तरां के किसान बूटा सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने खेत में पराली न जला कर नई मिसाल कायम की है और वह ऐसा करने के लिए अन्य किसानों को भी जागरूक कर रहे हैं। बेशक कृषि विभाग द्वारा भी किसानों को इसके लिए काफी जागरूक किया जा रहा है, लेकिन हालात पहले की भांति बने हुए हैं।
वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई प्रदूषण का मुख्य कारण
वहीं बंजर भूमि पर पौधे लगाने वाले विजय विक्टर का कहना है कि वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई प्रदूषण का मुख्य कारण बनी हुई है। इस संबंधी प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।