Edited By Updated: 18 Apr, 2017 09:42 AM
एक तरफ देश के मुखिया यह कह कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं कि ‘भाइयो और बहनो’ क्या अब आपको ए.टी.एम. के बाहर लाइन नजर
अबोहर(भारद्वाज): एक तरफ देश के मुखिया यह कह कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं कि ‘भाइयो और बहनो’ क्या अब आपको ए.टी.एम. के बाहर लाइन नजर आती है, जिसके जवाब में जनता का कहना है कि साहब लाइन तो तब नजर आएगी जब ए.टी.एम. में पैसे होंगे।8 नवम्बर को जब नोटबंदी हुई थी तो केन्द्र सरकार ने सारी व्यवस्था सही करने के लिए पहले 50 दिन मांगे और फिर यह कहा कि जनवरी तक समूचे देश के बैंकों में न केवल कैश की किल्लत खत्म हो जाएगी बल्कि ए.टी.एम. भी सही तरह से 24 घंटे काम करेंगे और जनता को कोई परेशानी नहीं होगी। इसके बाद देश के प्रधानमंत्री से लेकर वित्त मंत्री और अन्य केन्द्रीय मंत्रियों ने भी बार-बार यह दावा किया कि बैंकों में कैश की किल्लत खत्म हो गई है और ए.टी.एम. 24 घंटे काम कर रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि अप्रैल का आधा महीना गुजर चुका है। बावजूद इसके न तो बैंकों में कैश की किल्लत खत्म हुई और न ही ए.टी.एम. 24 घंटे सुचारू रूप से काम कर रहे हैं। इससे केन्द्र सरकार के ‘ऑल इज वैल’ के दावों की पोल खुल गई है।
पैसे निकलवाने के लिए आने वाले लोगों का ए.टी.एम. चिढ़ाते हैं मुंह
बेशक विभिन्न बैंकों के ए.टी.एम. से पैसे निकलते हैं लेकिन यह खेल कुछ घंटों का ही होता है, जबकि बहुत से बैंक ऐसे हैं जिनके ए.टी.एम. में या तो कभी-कभार ही कैश निकलता है या उन पर ज्यादातर आऊट ऑफ सर्विस व नो कैश लिखा हुआ पाया जाता है जिसके चलते एक तरह से ये ए.टी.एम. उन लोगों का मुंह चिढ़ाते हैं जो वहां अपने पैसे निकलवाने के लिए आते हैं।
छुट्टियों में जनता को करना पड़ा परेशानी का सामना
हालांकि वैसे ही आम दिनों में ए.टी.एम. की सर्विस जनता के लिए संतोषजनक नहीं रहती है लेकिन पिछले 4 दिनों की लगातार छुट्टियों में तो ए.टी.एम. सर्विस और सरकार के दावों की पूरी तरह से पोल खुलकर सामने आ गई। इन दिनों में जहां बैंक बंद थे वहीं शहर में लगे अधिकतर ए.टी.एम. भी पूरी तरह से काम करते नजर नहीं आए, जिससे जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा।
अधिकतर बैंकों का था यही हाल
ए.टी.एम. की खराब सर्विस व कैश की किल्लत केवल एक ही बैंक की नहीं थी बल्कि अधिकतर बैंकों का यही हाल था। अगर किसी बैंक के ए.टी.एम. से सर्विस मिल भी रही है तो वह कुछ घंटों की ही होती है।
बैंक अधिकारियों ने कबूली कैश की किल्लत की सच्चाई
बैंकों में कैश की किल्लत व ए.टी.एम. की इस खराब सर्विस बाबत जब अलग-अलग बैंकों के अधिकारियों से बात की गई तो सभी ने चुप्पी साध ली और उच्चाधिकारियों के निर्देशों के मुताबिक मीडिया में किसी तरह का कोई बयान न देने की बात कही। हालांकि बैंक अधिकारियों ने ऑफ दि रिकार्ड व दबी जुबान में यह बात जरूर कबूल की कि नोटबंदी का इफैक्ट अभी तक है और बैंकों में कैश की किल्लत बनी हुई है जो कि एक अनुमान के मुताबिक 30 से 35 प्रतिशत तक है। वहीं, इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी माना कि कैश की कमी व अन्य साधनों के कारण बहुत से ए.टी.एम. ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं।