'मणिकर्ण गुरुद्वारे के अन्दर जाकर माथा टेक लेते तो न होता यह दर्दनाक हादसा'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 10:19 AM

shri manikaran sahib accident

श्री मणिकर्ण साहिब से माथा टेककर लौटते समय शांगणा पुल पर हुए हादसे में मारे गए सर्बजोत सिंह उर्फ सर्ब का शव आज रात गीता मंदिर, आदर्श नगर के निकट स्थित निवास पर लाया गया। सर्ब का शव देख उसके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। हादसे की सूचना के बाद से...

जालंधर (प्रीत): श्री मणिकर्ण साहिब से माथा टेककर लौटते समय शांगणा पुल पर हुए हादसे में मारे गए सर्बजोत सिंह उर्फ सर्ब का शव आज रात गीता मंदिर, आदर्श नगर के निकट स्थित निवास पर लाया गया। सर्ब का शव देख उसके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। हादसे की सूचना के बाद से लगातार बेटे की लम्बी आयु के लिए पाठ कर रही हरबंस कौर भी पथरा-सी गई थी। बार-बार बेसुध हो रही सर्ब की मां की हालत देखते हुए परिजनों द्वारा डाक्टर को बुलाया गया। सर्ब का शव आने की खबर मिलते ही उसके दोस्त, रिश्तेदार भी उसके घर पहुंच गए। 


परिवार के करीबी रिश्तेदार भूपिन्द्र सिंह भिन्दा ने बताया कि सर्ब की मृत्यु संबंधी तो बीते दिन ही स्पष्ट हो गया था लेकिन उसकी मां को कुछ नहीं बताया गया था। सर्ब के परिजन तो हादसे वाली जगह पर चले गए थे। आज दिन में हर बार हरबंस कौर के पूछने पर यही बताया गया कि सर्ब को चोट लगी है। भूपिन्द्र सिंह ने बताया कि चूंकि सभी को पता था कि शाम तक सर्ब का शव यहां पहुंचेगा, इसलिए हरबंस कौर को समय-समय पर बताया जाता रहा कि सर्ब घायल है, उसका ऑप्रेशन चल रहा है। देर शाम ही उसे बताया गया कि सर्ब की मौत हो चुकी है। भूपिन्द्र सिंह ने बताया कि जब भी हरबंस कौर को सर्ब के घायल होने या ऑप्रेशन के बारे में बताया गया, उसी वक्त वह तुरंत बेटे की लम्बी आयु के लिए पाठ करने लगती। हादसाग्रस्त कार में सवार सत्यम कश्यप, जसवीर बोपाराय उर्फ माधव भी सर्ब के शव के साथ ही जालंधर पहुंचे। सर्ब के घर में उसके शव के पास बैठे सत्यम कश्यप का भी रो-रो कर बुरा हाल था। रुंधे गले से सत्यम ने बताया कि सर्बजोत उससे 2 साल बड़ा था। वह उसे अपने छोटे भाई की तरह ही मानता था। वह अपने इन दोस्तों के साथ दूसरी बार घूमने के लिए गया।

सभी यहां से श्री मणिकर्ण साहिब माथा टेकने के लिए गए थे लेकिन उन्होंने गुरुद्वारा साहिब के अन्दर जाकर माथा नहीं टेका। सभी ने बाहर से ही माथा टेका और कुल्लू की तरफ चल दिए। सत्यम ने कहा कि अगर मणिकर्ण साहिब में भीतर जाकर माथा टेका होता तो शायद यह हादसा न होता। दुर्घटना संबंधी सत्यम ने बताया कि दोपहर करीब 1.30 बजे वह गैस्ट हाऊस से निकले। सभी ने वापस जालंधर ही आना था लेकिन बर्फ में तस्वीरें करवाने के लिए वह वहां से ऊंचाई पर स्थित जगह तोष जाने के लिए निकले और कुछ ही मिनट बाद हादसा हो गया। सत्यम ने बताया कि गुरकिरत गाड़ी चला रहा था और सर्ब आगे बैठा हुआ था जबकि वह, राम और माधव तीनों पीछे बैठे थे। अचानक एक के बाद एक मोड़ आ जाने के कारण गाड़ी अनियंत्रित हुई और खाई पर लगे बैरियर से जा टकराई। कुछ ही सैकेंड बाद बैरियर गिर गया और गाड़ी सीधे पानी में जा गिरी। जहां तक उसे याद है गाड़ी पलट गई थी। टायर ऊपर की तरफ थे। सत्यम के मुताबिक राम गाड़ी से निकला और हाथ-पांव मारते हुए उसने पत्थर को पकड़ लिया। बाद में उसे भी खींचा। उसे नहीं पता कि कौन-कौन गाड़ी से कैसे निकला। जब उसे थोड़ा होश आया तो उसे 2-3 बार गर्म पानी से नहलाया गया क्योंकि जिस नदी में वह गिरे उसका पानी बेहद गहरा और ठंडा था। सत्यम ने बताया कि माधव भी उसके साथ ही जालंधर पहुंचा है। उसके परिजन उसे घर ले गए।

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