Edited By Updated: 20 Feb, 2017 11:07 AM
गुरुवार दोपहर के समय धोबीआना बस्ती 25 गज क्र्वाटर की गली नं.-9 में शार्ट सर्किट से लगी आग ने महज एक मकान ही नहीं जलाया,
भटिंडा (परमिंद्र): गुरुवार दोपहर के समय धोबीआना बस्ती 25 गज क्र्वाटर की गली नं.-9 में शार्ट सर्किट से लगी आग ने महज एक मकान ही नहीं जलाया, बल्कि 5 जिंदगियों के सपने भी ‘झुलसा’ कर रख दिए हैं। घटना में गरीब परिवार का घर पूरी तरह से तहस-नहस हो चुका है। घर का सारा सामान, कपड़े, फर्नीचर, 12 हजार रुपए की नकदी आदि आग की भेंट चढ़ गए हैं और घास-फूस व लकड़ी की बल्लियों से बनी मकान की छत गिरने से पारिवारिक सदस्य खुले आसमान तले गुजर-बसर करने को मजबूर हो गए हैं। बेहद त्रासदी की बात है कि उक्त घटना के बाद न तो प्रशासन गरीब परिवार की मदद को आगे आया है और न ही समाज सेवी संस्थाएं मदद को पहुंची हैं।
मेयर आए, पर नहीं दी मदद
गुरुवार को हुई घटना के बाद शनिवार को नगर निगम मेयर बलवंत राए नाथ पीड़ित का दुख-दर्द बांटने पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार को दिलासा दिया और साथ ही हुए नुक्सान की जानकारी भी कलमबद्ध की। उन्होंने डिप्टी कमिश्नर को फोन करके पीड़ित परिवार को मदद देने की बात कही परन्तु डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि यदि कोई जानी नुक्सान होता तो प्रशासन मदद दे सकता था पर फिर भी वह मदद करने का प्रयास करेंगे। इसके बाद मेयर ने भी अपने स्तर पर परिवार की मदद करवाना जरूरी नहीं समझा।
पीड़ित परिवार के पड़ोसियों ने किया खाने-पीने का प्रबंध
बेहद दुख की बात है कि समाज सेवी संस्थाओं के गढ़ भटिंडा में त्रासदी झेल रहे पीड़ित परिवार की मदद को कोई समाज सेवी संस्था आगे नहीं आई और न ही किसी ने पीड़ित परिवार का हाल-चाल तक जानना जरूरी समझा। हालांकि पीड़ित परिवार के पड़ोसियों ने उनके लिए खाने-पीने का प्रबंध किया और साथ ही रात गुजारने के लिए छत भी दी। कुछेक दानी सज्जन मदद के लिए आगे आ रहे हैं, जो पीड़ित परिवार के लिए मसीहा साबित होंगे।
बिखर गए हैं सपने: राजिंद्र
परिवार मुखी राजिंद्र मंडल ने बताया कि गुरुवार का दिन उनके लिए बेहद मनहूस रहा। यह दिन उनके सपने बिखेर गया। अब न उनके पास खाने-पीने को कुछ बचा है और न रहने को व न ही पहनने को। जो कपड़े पहने हैं, बस वही रह गए हैं। घर का पूरा सामान आग की भेंट चढ़ गया है। गनीमत रही कि घटना के समय उसकी पत्नी व 3 बच्चे घर से बाहर थे अन्यथा अनहोनी हो सकती थी। उन्होंने बताया कि अभी तक कोई प्रशासनिक अधिकारी या किसी समाज सेवी ने उनकी मदद नहीं की है। उसने बताया कि वह एक ठेकेदार के पास मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से 2 वक्त की रोटी का जुगाड़ करता है और अब इतने बड़े नुक्सान की भरपाई कर पाना उसके बस की बात नहीं।