Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Aug, 2017 11:52 AM
दो वक्त की रोटी कमाने और परिवार का पेट भरने के लिए इंसान को बड़ा कुछ करना पड़ता है। यहां तक कि 2 वक्त की रोटी हासिल करने के लिए
फिरोजपुर (आनंद): दो वक्त की रोटी कमाने और परिवार का पेट भरने के लिए इंसान को बड़ा कुछ करना पड़ता है। यहां तक कि 2 वक्त की रोटी हासिल करने के लिए भगवान को ही कुछ रुपयों में बेचना पड़ता है तब जाकर बच्चों का पेट भर पाता है।
अपनी रोजी रोटी के लिए ऐसा ही कुछ करना पड़ता है मूर्ति कलाकारों का, जो दो वक्त की रोटी के लिए राजस्थान से फिरोजपुर मेंं अपना डेरा लगाए बैठे हैं क्योंकि महाराष्ट्र का यह त्यौहार राजस्थान की अपेक्षा पंजाब में पिछले कुछ वर्षों से ज्यादा मनाया जाने लगा है और अब पंजाब मेंं तो यह त्यौहार हर घर से लेकर हर मोहल्ले में हर्षोल्लास से मनाया जाने लगा है। लोग कुछ इंच के गणपति से लेकर बड़े-बड़े आकार के गणपति को अपने घरों में स्थापित करने लगे हैं। मूर्ति कलाकार ईश्वर तथा प्रकाश आदि बताते हैं कि वे मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं और वे कई सालों से देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाकर बेचने का काम करते हैं तथा साल के अन्य महीनों की अपेक्षा गणेश महोत्सव के सीजन मेंं उनके काम की कद्र होती है और उनकी ओर से बनाई गई गणेश जी की छोटी से लेकर बड़ी-बड़ी मूर्तियां को लोग अपने घरों और मोहल्लों में लेकर जाते हैं, जिससे उनका इस माह में अच्छा खासा कारोबार रहता है लेकिन दूसरे अन्य महीनों में उन्हें रोटी कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
उनका कहना है कि महंगाई के दौर में मूर्तियां बनाने के लिए उन्हें पहले काफी पैसा खर्च करना पड़ता है और उसके बाद लोगों से मुंह मांगे दाम तो नहीं मिलते, लेकिन दाम को लेकर थोड़ा नामतोल करना पड़ता है। उनका कहना है कि राजस्थान मेंं यह कला दम तोड़ती जा रही है लेकिन पंजाब में गणेश महोत्सव के लोकप्रिय होने के बाद अपनी कला को दिखाने के लिए यह स्थान अब थोड़ा सटीक होता जा रहा है।