Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jan, 2018 05:07 PM
प्रीति और पूजा का सपना डाक्टर बनने का है जबकि रीमा हिंदी अध्यापक बनना चाहती है, लेकिन जिस प्रकार के महौल में उनका बचपन व्यतीत हो रहा है उसे देखकर उनके मैट्रिक पास कर लेना...
फाजिल्का(नागपाल): प्रीति और पूजा का सपना डाक्टर बनने का है जबकि रीमा हिंदी अध्यापक बनना चाहती है, लेकिन जिस प्रकार के महौल में उनका बचपन व्यतीत हो रहा है उसे देखकर उनके मैट्रिक पास कर लेना भी बड़ी बात लगता है। लेकिन अब फाजिल्का की जिलाधीश ईशा कालिया ने इन अंधेरों में रह रही छोटी जिंदगियों के बड़े सपनों को साकार करने के लिए एक नई पहल की है। उनके इस प्रोजैक्ट के साथ रमन खुराना जैसे कुछ अध्यापकों ने भी आगे आकर योगदान डालने का निश्चय कर लिया है।
झुग्गियों झोंपड़ियों में रहने वाले परिवारों के बच्चों के लिए इस नए वर्ष की पहली तारीख से एक आशा की नई किरण रौशन हुई है। फाजिल्का की अनाज मंडी में ऐसे ही बच्चों के लिए प्रति दिन सायं 3.30 से 5 बजे तक एक स्कूल चलता है जहां रमन खुराना और उनके कुछ साथी अध्यापक और बीएड कर रहे प्रशिक्षक अध्यापक इन बच्चों के बड़े सपनों को साकार करने के लिए उनको पढ़ाते हैं। इस सबंधी जिलाधीश ईशा कालिया कहते हैं कि इन बच्चों के परिवारों में शिक्षा के लिए कोई सार्थक महौल नहीं मिलता क्योंकि इनके घरों में कोई भी पढ़ा लिखा नहीं है।
इसलिए यह बच्चे जब स्कूल से घर आते हैं तो फिर इनको पढ़ाई के लिए महौल नहीं मिलता। इसलिए इनको पढ़ाई के लिए सार्थक महौल उपलब्ध करवाने के लिए सायं के समय यह स्कूल चलाया जाता है। यहां बच्चों को खेल विधि से पढ़ाने के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी दी जाती है और इन बच्चों को जीवन की रोजमरा की मुश्किलों तक पहुंचाने के लिए लगातार उत्साह बढ़ाने वाली गतिविधियों करवाई जाती हैं। आज यहां जिलाधीश ने इन बच्चों के साथ कुछ समय व्यतीत किया और उनको भरोसा दिया कि जिला प्रसाशन उनके सपनों को पूरा होता देखने के लिए इन बच्चों की प्रत्येक प्रकार की सहायता करेगा। उन्होंने इन बच्चों को सादकी बार्डर पर रिट्रीट की रस्म दिखाने की घोषणा भी की और इनकी कलात्मिक रुचियों को देखते हुए चित्रकला सबंधी सामग्री उपलब्ध करवाने की बात भी कही।