Edited By Updated: 18 Feb, 2017 12:39 PM
भारी बस्ते के बोझ तले दबे सी.बी.एस.ई. स्कूलों के विद्याॢथयों को जल्द ही इससे राहत मिलने वाली है, क्योंकि केंद्र सरकार
जालंधर/लुधियाना (विक्की): भारी बस्ते के बोझ तले दबे सी.बी.एस.ई. स्कूलों के विद्याॢथयों को जल्द ही इससे राहत मिलने वाली है, क्योंकि केंद्र सरकार आगामी दिनों में ऐसी नीति लागू करने जा रही है जिससे बच्चों को भारी बस्ता ढोना जरूरी नहीं रहेगा। अगर केंद्र सरकार के फैसले को लागू करवाने में सी.बी.एस.ई. एक्टिव रही तो वह दिन दूर नहीं जब छात्रों का भारी बस्ता गुजरे जमाने की बात हो जाएगी। यही नहीं पेरैंट्स को भी घरों में बच्चों के प्रोजैक्ट बनाने के काम से छुटकारा मिलने वाला है। इसके लिए भी सरकार नए मापदंड लागू करने जा रही है जिसमें बच्चों को अपने प्रोजैक्ट वर्क घर की बजाय क्लास में टीचर के सामने बनाने होंगे।
प्रोजैक्ट कार्य से अधिक बच्चों को स्टार की टैंशन
सरकार के मुताबिक प्रोजैक्ट कार्य स्कूल में ही करवाने का निर्णय इसलिए लिया जा रहा है क्योंकि बच्चों को यह कार्य पूरा करने में इंट्रैस्ट केवल कक्षा में स्टार लेने तक ही सीमित होता है जबकि अध्यापकों द्वारा बच्चों को प्रोजैक्ट बनाने का कार्य इसलिए दिया जाता है कि उन्हें संबंधित विषय के बारे में पूरा ज्ञान हासिल हो सके। अब देखने में आया है कि प्रोजैक्ट तो बच्चों के अभिभावक ही बनाकर स्कूल भेजते हैं जिससे स्कूलों का उद्देश्य अधूरा रह जाता है। ऐसे में अब यह कार्य बच्चे क्लास में अध्यापक के सामने पूरा किया करेंगे।
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प्रोजैक्ट वाले दिन होगा नो बैग डे
एम.एच.आर.डी. की योजना के मुताबिक बच्चे जिस दिन स्कूल में प्रोजैक्ट बनाएंगे उस दिन स्कूलों को उक्त कक्षा के लिए नो बैग डे घोषित करना होगा ताकि बच्चे संबंधित विषय के प्रोजैक्ट को अच्छी तरह से पूरी नॉलेज के साथ बनाएं। स्कूल में प्रोजैक्ट बनवाने का फायदा यह भी होगा कि जहां बच्चे गलती करेंगे उन्हें अध्यापक वहीं से दुरुस्त करवाकर पूरा प्रोजैक्ट सही ढंग से बनवा सकेगा।
किलोग्राम में तय हो सकता है बस्तों का वजन
नए आने वाले फैसले में केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर अब सी.बी.एस.ई. स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों के बस्ते का वजन किलोग्राम में भी तय किया जा सकता है। केंद्रीय विद्यालयों में लागू उक्त नियम के चलते कक्षा दूसरी तक 2 किलो, चौथी कक्षा तक 3 किलो, 7वीं कक्षा तक 4 किलो और इससे ऊपर वाली कक्षाओं के लिए 6 किलो तक वजन तय है। अगर उक्त नियम बोर्ड के स्कूलों में लागू हुआ तो इसमें कुछ संशोधन होकर लागू करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
2016 में यह था सी.बी.एस.ई. नोटीफिकेशन
सीनियर छात्रों को भारी रैफरैंस बुक्स लाने से मना करना
समय-सारिणी के मुताबिक बड़ी कक्षा के छात्र लाएं किताबें
मुख्य विषयों के काम में सीखने-सिखाने की हो एक्टीविटी
छात्रों पर फालतू भार कम करने के लिए होमवर्क हो कम
बैग का वजन कम करने हेतु पेरैंट्स-टीचर मीटिंग में चर्चा
बच्चों के विकास में आड़े आने वाली दिक्कतों पर हो बात
प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्तर पर पुस्तकों की संख्या हो सीमित
पुस्तकें नॉन-बायोडिग्रेडेबल शीट से कवर न हों
सिलेबस सह-शैक्षणिक एक्टीविटी के साथ आई.सी.टी. पर हो आधारित
यह है चिल्ड्रन स्कूल बैग एक्ट -2006
स्कूल बैग का वजन शरीर के भार के 10वें हिस्से से कम हो
नर्सरी व किंडरगार्टन के छात्रों को स्कूल बैग नहीं उठाना चाहिए
स्कूलों में बच्चों को लॉकर्स उपलब्ध करवाए जाएं
नियमों की उल्लंघना करने वाले स्कूलों पर लगे जुर्माना