Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Nov, 2017 01:45 PM
जिले में सतलुज दरिया के किनारे बसे गांव कालूवाडा से एक बेड़े में ट्रैक्टर-ट्राली में धान की फसल लेकर आ रहे किसान सुच्चा सिंह वासी निहाला किलचा का बेड़ा अचानक सतलुज दरिया में पलट गया। आसपास के लोगों की मदद से उसको बचा लिया गया है और कड़ी मेहनत के बाद...
फिरोजपुर (कुमार): जिले में सतलुज दरिया के किनारे बसे गांव कालूवाडा से एक बेड़े में ट्रैक्टर-ट्राली में धान की फसल लेकर आ रहे किसान सुच्चा सिंह वासी निहाला किलचा का बेड़ा अचानक सतलुज दरिया में पलट गया। आसपास के लोगों की मदद से उसको बचा लिया गया है और कड़ी मेहनत के बाद ट्रैक्टर-ट्राली को भी दरिया से निकाल लिया गया है, लेकिन उसकी आधी से ज्यादा फसल पानी में बह गई और ट्रैक्टर का करीब 50 हजार से ज्यादा का नुक्सान हो गया है।
बताने योग्य है कि कुछ दिन पहले भी इसी जगह पर ऐसी ही एक धान से भरी ट्रैक्टर-ट्राली सतलुज दरिया में डूब गई थी जिस पर बैठे किसान और उसके बेटे को लोगों ने बचा लिया था। जानकारी के अनुसार सरहदी किसान कालूवाडा के किसान अपनी धान व गेहूं की फसल अपनी ट्रैक्टर-ट्रालियों पर लाद कर बेचने के लिए फिरोजपुर की मंडियों में लाते हैं क्योंकि इस गांव से आने-जाने के लिए करीब एक किलोमीटर का रास्ता सतलुज दरिया का है और इस गांव के लोग कुछ किलोमीटर का रास्ता अपनी ट्रैक्टर-ट्रालियों, मोटरसाइकिलों आदि पर तय करते हैं और फिर अपने वाहनों को भी बड़े बेड़े में लाद कर एक से दूसरे किनारे पर आते हैं और वहां से फिर अपनी ट्रैक्टर-ट्रालियों और मोटरसाइकिलों पर अपनी-अपनी मंजिल की ओर चल पड़ते हैं। गत सायं देर गांव निहाला किलचा का किसान गांव कालूवाडा में स्थित अपनी जमीन से धान की फसल बेचने के लिए फिरोजपुर की मंडी में आ रहा था।
गांवों में फसल खरीद के लिए विशेष तौर पर की जाएं मंडियां स्थापित
सरहदी गांव कालूवाडा, गट्टी, हजारा सिंहवाला और निहाला किलचा आदि के किसानों ने मांग की है कि सरकार उनके गांवों में खरीद के लिए विशेष तौर पर मंडियां स्थापित की जाएं और सरहदी लोगों के आने-जाने के लिए विशेष प्रबंध किए जाएं।
पहले हर साल बी.एस.एफ बनाती थी कैप्सूल पुल
लोगों का कहना है कि अक्तूबर के पहले सप्ताह में इस क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल द्वारा कैप्सूल पुल का निर्माण करवाया जाता था, लेकिन इस बार नवम्बर महीना शुरू होने के बाद भी इसका निर्माण आरंभ नहीं हुआ है, जिस कारण उन्हें आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
तीन तरफ तार व एक तरफ दरिया
कालूवाला गांव सीमा से सटा होने के अलावा इसके 3 तरफ तारबंदी है और एक तरफ दरिया तथा बीच के क्षेत्र में यहां के लोग निवास करते हैं। आजादी के 70 साल बाद भी गुलामी जैसा जीवन जीने वाले यहां के लोगों को विकास के बारे में कुछ भी नहीं पता है। विद्यार्थियों को शिक्षा हासिल करने के लिए 6 किलोमीटर दूर पैदल जाना पड़ता है। रात्रि के समय तो यहां आना-जाना किसी मुश्किल से कम नहीं है।
बी.एस.एफ. अधिकारियों से बात करेंगे : संधू
उपमंडल अधिकारी हरजीत सिंह संधू ने कहा कि ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए उन्होंने कल बी.एस.एफ. के अधिकारियों के साथ मीटिंग रखी है और इस गांव में आर्जी पुल बनाने संबंधी बात की जाएगी।