Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Sep, 2017 01:45 PM
दीवाली के मद्देनजर महानगर में पटाखों की स्टोरेज तो शुरू हो गई है लेकिन नगर निगम द्वारा शहर में गोदाम बनाने के..
लुधियाना (हितेश): दीवाली के मद्देनजर महानगर में पटाखों की स्टोरेज तो शुरू हो गई है लेकिन नगर निगम द्वारा शहर में गोदाम बनाने के लिए एक भी एन.ओ.सी. नहीं दिया गया। इसके चलते कोई बड़ा हादसा होने का खतरा बना हुआ है। गत दिवस संगरूर में पटाखा फैक्टरी व गोदाम में हुई आगजनी की घटना में कई लोगों की मौत होने के मामले को लेकर पूरे पंजाब के लोग सकते में आ गए हैं, क्योंकि संगरूर हादसे में आसपास रहने वाले लोगों का भी काफी नुक्सान हुआ है जबकि उन लोगों अपने नजदीक पटाखों की स्टोरेज होने की कोई जानकारी नहीं थी।
ऐसा ही खतरा महानगर के लोगों पर भी मंडरा रहा है, क्योंकि भले ही प्रशासन ने मार्कीट लगाने की लोकेशन तय करके शहर के भीतरी इलाके में पटाखे बेचने या स्टोर करने की मनाही की हुई है। फिर भी यहां कई जगह मोहल्लों में बड़े पटाखा विक्रेताओं ने गोदाम बनाए हुए हैं और छोटे दुकानदारों ने अभी से स्टोरेज शुरू कर दी है। यहां तक कि कई जगह पुराने बचे हुए पटाखों का स्टॉक पड़ा हुआ है जिसे इसलिए अवैध स्टोरेज कहा जा सकता है, क्योंकि न तो प्रशासन ऐसी कोई मंजूरी देता है और न ही फायर ब्रिगेड से कोई एन.ओ.सी. ली गई है। इस वजह से महानगर के लोगों पर पटाखों के अवैध गोदामों में होने वाले हादसे की चपेट में आने का खतरा मंडरा रहा है।
गुड़ मंडी का मंजर अभी भूले नहीं हैं लोग
महानगर में पहले गुड़ मंडी में पटाखों की होलसेल मार्कीट लगती थी। जहां दशकों पहले लगी आग में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई थी। यह मंजर लोग अभी तक नहीं भूले हैं। उसी डर से दरेसी के अंदर व बाहर लगने वाली पटाखा मार्कीट को भी बंद करवा दिया गया था। लेकिन उसके बावजूद गली-मोहल्लों में गोदाम बनने सहित बिक्री का सिलसिला नहीं रुक रहा।
सी.एम. के आदेशों का नहीं नजर आया असर
संगरूर की घटना के बाद सी.एम. ने अफसरों को आदेश दिए हैं कि भविष्य में ऐसे हादसे होने से रोकने के लिए पुख्ता कदम उठाए जाएं। इसमें ज्वलनशील पदार्थों खासकर पटाखों की स्टोरेज से संबंधित परिसरों में फायर सेफ्टी नियमों का सख्ती से पालन करवाने को कहा गया है। लेकिन उसका महानगर में कोई असर नहीं नजर आया। यह आलम उस समय है, जब सी.एम. ने अपने आदेशों में कोताही न बरतने की बात का खास तौर पर जिक्र किया है।
आगजनी की घटनाओं के मुकाबले बौना है फायर ब्रिगेड का ढांचा
अगर महानगर में होने वाली आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए फायर ब्रिगेड के पास मौजूद स्टाफ या इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो यह ढांचा जरूरत के मुकाबले काफी बौना है। इस कमी को पूरा करने के नाम पर काफी समय से बातों के सिवाय कुछ नहीं हुआ। यहां तक कि पिछले समय दौरान हाईकोर्ट के दखल से जो डिजास्टर मैनेजमैंट का पैसा खर्च हुआ है, उससे भी बात नहीं बनी।