Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 09:53 PM
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नार्थ ईस्ट में अपनी जड़ें मजबूत करने में लगा है। संघ ने असम के गुवाहाटी में 21 और 22 जनवरी को 40 हजार स्वयंसेवकों की एक विशाल जनसभा की तैयारी की है। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित प्रमुख धा....
जालंधर(पाहवा): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नार्थ ईस्ट में अपनी जड़ें मजबूत करने में लगा है। संघ ने असम के गुवाहाटी में 21 और 22 जनवरी को 40 हजार स्वयंसेवकों की एक विशाल जनसभा की तैयारी की है। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित प्रमुख धार्मिक गुरु और आदिवासी नेता शामिल होंगे। नार्थ ईस्ट के त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ अगले साल 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के लिए संघ की यह बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
जानकारी के मुताबिक पिछले 2 सालों से इस कार्यक्रम के लिए विभिन्न स्तरों पर तैयारी चल रही है। इस कार्यक्रम में नार्थ ईस्ट के सभी क्षेत्रों के स्वयंसेवक एक जगह एकजुट होंगे। स्वयंसेवक शारीरिक व्यायाम का बड़ा प्रदर्शन भी करेंगे, जबकि 1994 में पूर्वोत्तर भारत में संघ ने कार्यक्रम किया था तो महज 4000 स्वयंसेवक ही इक_े हुए थे। असम में पूर्वोत्तर क्षेत्र के स्वयंसेवकों को एकजुट करके संघ अपनी बड़ी ताकत दिखाएगा। इसीलिए नार्थ ईस्ट क्षेत्र के सभी स्वयंसेवकों को एक साथ लाने की योजना बनाई गई है।
असम के संघ का मानना है कि सभी को एक साथ एक जगह पर एकत्र करने से स्वयंसेवकों के बीच अधिक सामंजस्य और अनुशासन स्थापित होगा। संघ के इस कार्यक्रम में धार्मिक गुरु और 21 आदिवासी राजा हिस्सा लेंगे। इस बैठक के कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में पूर्वोत्तर में संघ का कार्यक्रम काफी महत्वपूर्ण है। नागालैंड सरकार में भाजपा सहयोगी दल है। 2 साल पहले 2015 में कांग्रेसी विधायकों ने पार्टी से बगावत करके भाजपा का दामन थाम लिया था तथा वहां नागा पीपुल्स फ्रंट और भाजपा गठबंधन की सरकार बन गई थी। इसी साल वहां विधानसभा चुनाव हैं।
वहीं मेघालय ईसाई बाहुल्य क्षेत्र है। त्रिपुरा में लैफ्ट का मजबूत किला है। संघ इन पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा की जमीन तैयार करने का काम कर रहा है। संघ के चलते ही भाजपा असम की सत्ता पर विराजमान हुई है। संघ का आदिवासी क्षेत्रों में पर्याप्त आधार है। भाजपा ने मजबूत संगठनात्मक आधार बनाया है। संघ संबद्ध संगठन राज्य में स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहा है। इसी मजबूत आधार के जरिए भाजपा पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपनी जड़ें जमाना चाहती है। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने नॉर्थ ईस्ट की सीटों को टारगेट किया है। ऐसे में संघ की बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
त्रिपुरा का चुनाव भाजपा के लिए वाटरलू साबित होगा: येचुरी
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा है कि त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव में भाजपा भारी मात्रा में पैसा और अन्य संसाधन झोंक रही है, इसके बावजूद उसके लिए यह चुनाव वाटरलू साबित होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा त्रिपुरा में समाज को आदिवासी और गैर आदिवासी में बांटने की कोशिश कर रही है लेकिन उसका यह फार्मूला कामयाब नहीं होगा। उन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार को अवश्यंभावी बताते हुए कहा कि त्रिपुरा का चुनाव भाजपा के लिए वाटरलू साबित होगा।
पार्टी राज्य में चुनाव की खातिर भारी मात्रा में पैसा और अन्य संसाधन झोंक रही है। इन संसाधनों की आपूॢत भाजपा शासित पड़ोसी राज्य असम से हो रही है। येचुरी ने भाजपा द्वारा समाज को बांटने की राजनीति करने के परिणामों के प्रति चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह की कोई भी कोशिश न सिर्फ त्रिपुरा बल्कि समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र और फिर देश के लिए घातक साबित होगी। उन्होंने देश के मौजूदा हालात का हवाला देते हुए सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को वैकल्पिक राजनीति के लिए एकजुट होने की अपील की।