Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jun, 2017 05:11 PM
राज्य में रेत खदानों की नीलामी पर हुए कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा लगातार गर्माता जा रहा है, जिसे लेकर जहां पूर्व डिप्टी सी.एम.
लुधियाना (खुराना): राज्य में रेत खदानों की नीलामी पर हुए कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा लगातार गर्माता जा रहा है, जिसे लेकर जहां पूर्व डिप्टी सी.एम. सुखबीर सिंह बादल ने कांग्रेसी मंत्री राणा गुरजीत सिंह सहित कांग्रेस के अन्य करीब डेढ़ दर्जन विधायकों पर रेत कारोबार से जुड़े होने के कथित आरोप जड़े हैं, वहीं अब ट्रेड से जुड़े कुछ कारोबारी बता रहे हैं कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह आगामी दिनों में कोई बड़ा धमाका कर सकते हैं, जिस पर दबी जुबान में माइनिंग विभाग से जुड़े कुछ कथित अधिकारी भी मोहर लगा रहे हैं।
उक्त जानकारी को सही मान लिया जाए तो इस धमाके के बाद जहां राज्यभर में गत दिनों रेत खदानों की हुई सरकारी बोली रद्द होगी, वहीं बोलीदाताओं द्वारा सरकारी खजाने में जमा करवाई गई संभावित कई 100 करोड़ की राशि भी वापसी लेकर कई विभागीय दावपेंच के पचड़ों में फंस सकती है। याद रहे कि इस संबंध में पहले ही पंजाब केसरी द्वारा 1 जून को प्रकाशित समाचार पत्र में संभावना जताई जा चुकी है, जिसे अब रेत कारोबार से जुड़े कुछ ठेकेदार रेत खदानों की पहले से हुई बोली रद्द होने का पहला कदम मान रहे हैं।
रेत के दाम उगलेंगे आग
अगर सरकार द्वारा नगर में हुई 56 रेत खदानों की पहले की गई नीलामी रद्द कर दी गई तो ऐसे में मार्कीट में रेत की शॉर्टेज आने के कारण रेत के दाम आग उगलने लगेंगे, जिसके चलते रेत के बड़े कारोबारी रेत को मुंहमांगी कीमतों में बाजार में बेचेंगे। कारोबारियों द्वारा गत 19-20 मई को हुई रेत खदानों की बोली दौरान जो रेत खदानें सरकारी तौर पर अपने नाम करवाई है, उसकी बनती राशि जमा करवाने के लिए उन्होंने अपनी प्रापर्टीज गिरवी रख कर मार्कीट से ब्याज पर भी पैसे उठाए हैं, जोकि अब सरकारी तौर पर रेत का कारोबार न चलने के कारण परेशानियों में घिरे हुए हैं।
फ्लैश बैक
1. रेत खदानों की नीलामी संबंधी सरकार द्वारा 31 मार्च को नोटीफिकेशन जारी कर 18 अप्रैल को रेत खदानों की रिवॄसग नीलामी की सूचना दी गई जिसे बोली के कुछ दिनों पहले ही यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि नियमों में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं ताकि सरकारी रैवेन्यू व सिस्टम में पारदॢशता लाई जा सके। ऐसे में नीलामी में शामिल कुछ बोलीदाताओं का कहना है कि उनके द्वारा जमा करवाई गई रकम का कुछ हिस्सा काटने के बाद बाकी राशि उनके बैंक खाते में वापस आ गई थी।
2. मई 3 को जारी किए गए नोटीफिकेशन में ई-नीलामी (प्रोग्रैसिव बोली) बोली में चाहवानों को सूचना दी गई कि 102 खदानों की नीलामी 19 व 20 मई को रखी गई है। बोली का हिस्सा रहे सूत्रों के मुताबिक इस दौरान कुछ रेत खदानों के नीलामी कथित मनचाहे ढंग से भी करवाई गई। ऐसे में उक्त 102 खदानों में से रद्द की गई खदानों की फिर से नीलामी करवाने संबंधी 11 जून का समय मुकरर किया गया जबकि इस दौरान नीलामी में किए गए नियमों के फेरबदल में कथित साफ तौर पर कुछ बड़े घरानों को लाभ पहुंचाने की बदबू आ रही थी।
नीलामी में बोलीदाताओं की प्रॉपर्टी अटैच करे सरकार
बोलीदाताओं की मांग है कि कैप्टन सरकार नीलामी में शामिल या खड्डों के खरीदार ठेकेदारों की प्रापर्टी को भी एडवांस तौर पर अटैच करे ताकि नीलामी अपने नाम कर चुके ठेकेदारों का पीठ दिखा कर भागना आसान न रहे। उन्होंने कहा कि असल में कुछ पुराने रेत माफिया नए चाहवानों को खराब करके की मंशा से बोली को मौके पर बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं जोकि साजिश का हिस्सा है।