Edited By Updated: 03 Apr, 2017 02:01 AM
पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का बदला जाना तो पहले से ही...
चंडीगढ़(भारद्वाज): पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का बदला जाना तो पहले से ही तय था लेकिन पार्टी के खराब प्रदर्शन के चलते अब इसकी संभावनाएं काफी प्रबल हो गई हैं। इन हालातों में प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए सांसद श्वेत मलिक सहित राकेश राठौर, नरेंद्र परमार और प्रवीण बंसल के नाम सबसे अधिक चर्चा में हैं। यूं तो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कमल शर्मा और अश्विनी शर्मा के नाम पर भी विचार-विमर्श जारी है लेकिन विभिन्न कारणों से उन्हें दोबारा यह पद सौंपे जाने की संभावनाएं कम ही हैं।
पार्टी के एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत के तहत प्रदेशाध्यक्ष विजय सांपला या तो अध्यक्ष पद पर रह सकते हैं या फिर केंद्रीय मंत्री के पद पर। जानकारों के अनुसार यह बात उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने के वक्त ही तय थी क्योंकि यह नियुक्ति केवल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हुई थी। सांपला के नजदीकियों के अनुसार वह केंद्र में ही मंत्री बने रहना चाहते हैं इसलिए उनका हटना तय है।
विधानसभा चुनाव में अश्विनी शर्मा खुद पठानकोट से चुनाव हारे, इसके साथ ही कमल शर्मा के गुट से संबंध रखने वाले भी अधिकतर भाजपा प्रत्याशी जीतने में असफल रहे। वहीं कमल के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य कारणों की वजह से उनकी खुद की भी अध्यक्ष बनने में रुचि नहीं है। वह राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने के इच्छुक हैं।
बाकी फ्रंट रनर्स को अध्यक्ष बनाने या न बनाने के भी अलग-अलग कारण हैं। सूत्रों के अनुसार सांसद श्वेत मलिक की पार्टी में छवि उनकी दावेदारी की सबसे मजबूत वजह है लेकिन अमृतसर में भाजपा को मिली हार उनकी राह का रोड़ा बन सकती है। वैसे पार्टी के कई बड़े नेता चाहते हैं कि उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी जाए। जालंधर से संबंधित राकेश राठौर के नाम पर भी गंभीर विचार-विमर्श हो रहा है। उनके पक्ष में भी कई बड़े नेता हैं लेकिन जालंधर में पार्टी की हार कहीं न कहीं उनका नुक्सान कर सकती है।
पठानकोट के नरेंद्र परमार के नाम की भी चर्चा है लेकिन वहां भी भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। इसी प्रकार लुधियाना से प्रवीण बंसल का नाम भी चर्चा में है परंतु बंसल खुद विधानसभा चुनाव हार गए। कुछ भी हो, पार्टी ने किसी को तो यह जिम्मेदारी सौंपनी है इसलिए हार-जीत के पैमाने को दरकिनार करके इनमें से किसी भी नेता को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वहीं सांपला गुट चुप्पी साधे हुए है क्योंकि वह केंद्र में मंत्री बने रहना चाहते हैं और हरजीत ग्रेवाल व विनीत जोशी इस संबंध में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। अविनाश राय खन्ना पहले ही राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं।