नोटबंदी पर अकाली दल ने दबाया 'पैनिक बटन', केंद्र से लगाई गुहार

Edited By Updated: 16 Dec, 2016 12:55 PM

sad had approached the centre on currency recall

पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं, सभी दल अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं कि इस बार पंजाब की सत्ता की डोर उनके हाथ में आए।

चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं, सभी दल अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं कि इस बार पंजाब की सत्ता की डोर उनके हाथ में आए। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि पंजाब पर कौन राज करेगा लेकिन उससे पहले सबसे बड़ी समस्या नोटबंदी को लेकर है। पंजाब के उप-मुख्यमंत्री सुखबीर बादल को केंद्र सरकार द्वारा करंसी बैन किए जाने के फैसले का सियासी नुक्सान होने का अंदेशा है। सुखबीर का कहना है कि यदि स्थिति में जल्द ही सुधार न हुआ तो इससे पंजाब में नुक्सान हो सकता है। इसको लेकर सुखबीर सिंह ने केंद्र से अपील की है कि इस समस्या को जल्द ही हल किया जाए क्योंकि लोगों के सब्र का बांध भी टूट रहा है।सुखबीर के मुताबिक नोटबंदी का लक्ष्य बहुत अच्छा है, काला धन खत्म करना निशाना है क्योंकि कैश की बहुत किल्लत एकदम आ गई है इसलिए मैं केंद्र सरकार से विनती करूंगा कि कैश की सप्लाई बढ़ाई जाए।

लोग परेशान हो रहे हैं, लाइनों में खड़े रहना पड़ रहा है। 10-15 दिन तो लोगों ने मुश्किल झेल ली लेकिन यदि भविष्य में मुश्किल बढ़ी तो बहुत ज्यादा नुक्सान होगा। सुखबीर सिंह ने कहा कि पंजाब में लोग बिजनैसमैन हैं। खर्चते ज्यादा हैं। बाजार की सक्रियता ज्यादा है। इस कारण यहां कैश की मांग ज्यादा है। वहीं शिरोमणि अकाली दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनजिन्द्र.एस.सिरसा ने कहा कि केंद्र से अनुरोध है कि 10-15 दिनों में पंजाब में नकदी की कमी को खत्म करने के लिए कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग जानते हैं कि सरकार द्वारा उठाया गया कदम काधे धन के खिलाफ है लेकिन आम आदमी को हो रही असुविधाओं को जल्द ही सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।

पंजाब के ग्रामीण विकास मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने कहा कि इस फैसले से अब लोगों का सब्र जवाब देने लग गया है। ज्यादातर पंजाब के ग्रामीण इलाकों में गुस्सा बढ़ रहा है। मलूका ने कहा कि डीमॉनेटाइजेशन का फैसला सरकार की बड़ी गलती है। या तो अधिकारियों ने सरकार को गलत सलाह दी है या फिर वह पूरे मामले से पड़ने वाले असर का अंदाजा लगाने में नाकामयाब रही है। वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस शुरू से ही सरकार के इस फैसले का विरोध करती आई है।

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