अकाली दल ने एक बार फिर 26 रिश्तेदारों पर खेला दाव

Edited By Updated: 16 Jan, 2017 01:51 AM

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पंजाब विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने इस बार भी रिश्ते....

जालंधर(इलैक्शन डैस्क): पंजाब विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने इस बार भी रिश्तेदारों पर दाव खेला है। पार्टी ने 26 सीटों पर ऐसे लोगों को टिकट दिया है जो किसी न किसी तरह से राजनीतिक लोगों के रिश्तेदार हैं। 


2012 में भी ऐसे ही 28 लोगों को टिकट दिया गया था, जिनमें से 15 लोग जीते थे। सुखबीर बादल ने कहा कि ऐसा भी नहीं है कि सभी राजनीतिक परिवारों के वारिस सफल रहे हों। उन्होंने तर्क दिया कि यदि आप एक घोड़ा खरीदने भी जाते हैं तो उसका वंश देखते हैं। सुखबीर बादल ने पंजाब राज्य के लिए सर्वसम्मति से ‘घोड़ों’ का चुनाव किया है। मोहाली से राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा के वंशज कैप्टन तेजेंद्र पाल सिंह को और भुलत्थ से एम.एल.ए. बीबी जागीर कौर ने अपने दामाद युवराज भूपिंद्र सिंह को वारिस बनाया है। 

 

बादल परिवार से अलग एक और दामाद जस्टिस निर्मल सिंह (रिटायर्ड) मैदान में हैं, जो चमकौर साहिब से अपनी दूसरी जीत पर नजर रख रहे हैं। वह हाईकोर्ट से रिटायर्ड हैं और मालवा से अकाली दल के नेता धन्ना सिंह गुलशन के दामाद हैं जबकि उनकी पत्नी परमजीत कौर गुलशन फरीदकोट से लोकसभा सांसद हैं। यही नहीं सीनियर बादल के दामाद आदेश प्रताप सिंह कैरों मंत्री हैं और पट्टी से चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। सुखबीर बादल के रिश्तेदार बिक्रम सिंह मजीठिया एक मंत्री हैं और सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल मंत्री हैं। इसके अलावा जनमेजा सिंह सेखों बादल के रिश्तेदार हैं और मौड़ से चुनाव मैदान में हैं।

 

पारिवारिक दखल अंदाजी बढ़ाने के लक्ष्य से कृषि मंत्री तोता सिंह धर्मकोर्ट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके पुत्र बरजिंद्र सिंह मोगा से मैदान में हैं। बादल के विश्वासपात्र और लोकसभा सदस्य रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा के पुत्र रविंद्र सिंह ब्रह्मपुरा खडूर साहिब से विधायक हैं जबकि आनंदपुर साहिब से सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा के पुत्र हरिंद्र पाल सिंह चंदूमाजरा सन्नौर से अपना भाग्य आजमा रहे हैं। राज्यसभा सदस्य बलविंद्र सिंह भूंदड़ और बादल के संकटमोचक अपने बेटे दिलराज सिंह के लिए सरदूलगढ़ से दोबारा टिकट मांग रहे हैं। 

 

राजनीतिक जीवन बरकरार रखने के लिए विधानसभा अध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल ने अपने पुत्र इंद्र इकबाल सिंह अटवाल के लिए रायकोट से टिकट मांगा, जबकि अकाली दल के दिग्गज एस.एस. ढींडसा ने अपने पुत्र और वित्त मंत्री परमिंद्र सिंह ढींडसा के लिए सुरक्षित लहरा से टिकट मांगा। वंशवाद की राजनीति का सबसे बड़ा उदाहरण मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल हैं जो 89 वर्ष की उम्र में भी चुनाव मैदान में हैं।                          

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