Edited By Updated: 29 Mar, 2017 12:23 PM
जमीन पर बैठकर बैठकें करना, किसी न किसी स्वयंसेवक के घर सादा भोजन करना या सामान्य व साधारण कपड़े पहनना अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
जालंधर(पाहवा): जमीन पर बैठकर बैठकें करना, किसी न किसी स्वयंसेवक के घर सादा भोजन करना या सामान्य व साधारण कपड़े पहनना अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एकमात्र पहचान नहीं रह गई है, बल्कि संघ अब नए रंग-ढंग व जोश में दिख रहा है। बेशक संघ को अपने पुराने विचारों पर ही चलने के लिए जाना जाता है, लेकिन संघ ने वक्त के साथ कदम ताल करना सीख लिया है, क्योंकि यही समय की मांग है। गत वर्ष दशहरे से अपने पहनावे में बदलाव किया था। खाकी निक्कर को ब्राऊन फुल पैंट में तबदील करने का फैसला किया था। उसके बाद अब युवाओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने और उन तक सीधे अपनी बात पहुंचाने के लिए इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र वैब चैनल शुरू कर दिया है। संघ व उसके सहयोगी संगठन सोशल मीडिया के मामले में लेट होने के बावजूद बड़ी तेजी से साइबर स्पेस में अपनी जड़ें जमा रहे हैं।
चैनल का उपयोग करेगा संघ
आर.एस.एस. के वैब चैनल को वामपंथी विचारधारा से मुकाबला करने के लिए एक और हथियार के रूप में देखा जा रहा है। इसमें ए.बी.वी.पी. को लेकर उठने वाले सवालों का जवाब देने का प्रयास किया गया है। ए.बी.वी.पी. के सदस्य कैसे बन सकते हैं, कितने विश्वविद्यालयों में यह काम करता है ? तथा संघ से इसका क्या रिश्ता है ? ऐसे सवालों के जवाब इसमें शामिल किए गए हैं, साथ ही किसी विषय पर अपनी बात मीडिया तक पहुंचाने के लिए इसी वैब चैनल का उपयोग संघ करेगा। कुछ समय पहले तक सोशल मीडिया के इस्तेमाल से परहेज करने वाले संघ के कई पदाधिकारी खुलकर सोशल मीडिया पर संगठन का पक्ष रखने लगे हैं। संघ के सूत्रों अनुसार कई बार संगठन को लेकर गलत बातें फैलाने की कोशिश की जाती है, इसलिए यह वैब चैनल विभिन्न विषयों में संघ की सोच को तो लोगों के बीच पहुंचाएगा, साथ में संगठन को लेकर जो गलतफहमियां हैं, उन्हें भी दूर करने की कोशिश करेगा।
संगठनों के पदाधिकारियों को भी जोड़ा जाएगा
जानकारी है कि इस वैब चैनल को चला रहे विश्व संवाद केंद्र द्वारा जल्द ही अपने बूम माइक, स्टैंडी और एक-दो छोटे स्टूडियोज अलग-अलग शहर में बनाए जाने की योजना है। वैब चैनल पर जो इंटरव्यू का सिलसिला आरंभ किया गया है उसमें बाकी संगठनों के पदाधिकारियों को भी जोड़ा जाएगा ताकि हर संगठन के बारे में उनसे जुड़े पदाधिकारी आम जनता के सामने अपनी बात रख सकें इससे पहले संघ ट्विटर और फेसबुक पर अकाऊंट्स को शुरू कर चुका है और कई बार भ्रम या विवाद होने की स्थिति में फौरन आधिकारिक मीडिया रिलीज भी जारी करते हैं। अभी तक आर.एस.एस. के फेसबुक पेज से 36 लाख से ज्यादा और ट्विटर अकाऊंट पर करीब तीन लाख फॉलोअर्स जुड़ चुके हैं।