Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Dec, 2017 05:16 PM
पांच दिसंबर की तारीख यूं तो हर साल आती है, लेकिन इसके बेहद खास मायने हैं। राजस्थान में पाकिस्तान से लगती सीमा और लोंगेवाल पोस्ट पर वो हुआ था जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है। यह महज एक कहानी नहीं बल्कि भारतीय फौज के जांबाज जवानों के पराक्रम की...
चंडीगढ़ः पांच दिसंबर की तारीख यूं तो हर साल आती है, लेकिन इसके बेहद खास मायने हैं। राजस्थान में पाकिस्तान से लगती सीमा और लोंगेवाल पोस्ट पर वो हुआ था जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है। यह महज एक कहानी नहीं बल्कि भारतीय फौज के जांबाज जवानों के पराक्रम की शौर्यगाथा है।
लोंगेवाल युद्ध को 5 दिसम्बर को 46 वर्ष बीत चुके हैं। सेना ने इन युद्ध के जांबजों को श्रद्धाजंलि देने के लिए अहम कदम उठाया है। सेना में सैन्य क्षेत्रों में आने वाली सड़कों का नाम इस युद्ध के महानायकों के नाम पर रखा है। इसमें युद्ध के हीरों रहे ब्रिगेडर कुलदीप सिंह चंदपुरी,सूबेदार रत्न सिंह तथा मेजर जनरल आत्मा सिंह शामिल हैं।
इस नामकरण समारोह में युद्ध में शामिल 14 दिग्गजों ने भाग लिया।ब्रिगेडियर चंदपुरी को लोंगेवाला की लड़ाई में बहादुरी के लिए देश के दूसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा कि सेना द्वारा युद्ध के नायकों को ऐसा सम्मान देने से वह काफी खुश हैं।
आपको बता दें कि 1971 के दिसंबर माह में भारत-पाकिस्तान के साथ कई मोर्चों पर लड़ रहा था। समुद्र में पाकिस्तान को हराने के लिए भारत ने ऑप्रेशन ट्राइडेंट चलाया था तो वहीं पूर्व में बांग्लादेश फ्रंट पर भी भारत पाकिस्तान के साथ दो-दो हाथ कर रहा था। इसके अलावा चीन की तरफ से भी लगातार माहौल तनावपूर्ण हो रहा था। इस दौरान 23वीं पंजाब बटालियन ने बड़ी बहादुरी से दुश्मनों का सामना किया।