Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 May, 2017 07:56 AM
कैप्टन सरकार द्वारा ट्रांसपोर्ट माफिया पर शिकंजा कसने की बात भले ही कही जा रही है लेकिन प्राइवेट ट्रांसपोर्टर्स द्वारा नियमों का उल्लंघन
जालंधर(पुनीत): कैप्टन सरकार द्वारा ट्रांसपोर्ट माफिया पर शिकंजा कसने की बात भले ही कही जा रही है लेकिन प्राइवेट ट्रांसपोर्टर्स द्वारा नियमों का उल्लंघन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही, जिससे कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है। प्राइवेट ट्रांसपोर्टर्स इतने बेलगाम हो चुके हैं कि वे सवारियों के साथ भद्दी शब्दावली का इस्तेमाल करने से भी गुरेज नहीं करते।
स्टूल पर बिठाई जाती हैं सवारियां
आज देखने में आया कि चंडीगढ़ से जालंधर होकर बटाला जाने वाली एक प्राइवेट कंपनी की वाल्वो बस में सवारियां ठूंस-ठूंस कर भरी हुई थीं। कंडक्टर द्वारा सीट न होने के बावजूद टिकटें काटी जा रही थीं लेकिन जब बस में बैठी सवारियों ने स्टूल पर बैठने से मना कर दिया तो उक्त कंडक्टर कहने लगा कि बैठना है तो बैठ जाओ नहीं तो उतर जाओ मगर पैसे वापस नहीं मिलेंगे। बस के अन्दर अपनी सीट तक जाने के लिए जो रास्ता होता है वहां पूरे रास्ते में स्टूल लगे हुए थे, जिससे लोगों को गुजरने में भी दिक्कतें पेश आ रही थीं। जालंधर निवासी मनू त्रेहन ने कहा कि वह चंडीगढ़ से ही स्टूल पर बैठकर जालंधर पहुंचा है। बस भले ही ए.सी. थी लेकिन बस में भारी भीड़ होने के कारण सांस लेने में दिक्कत आ रही थी, जिसका प्राइवेट कर्मचारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता। लोगों ने कहा कि विभाग को ऐसी बसों के खिलाफ बनती कार्रवाई करनी चाहिए।
आग लगने की घटना से भी नहीं लिया सबक
13 मई को भटिंडा से चलकर जालंधर आ रही आर.टी.सी. की बस को रामपुराफूल के नजदीक आग लग गई थी, जिसमें 25 सवारियां बुरी तरह से झुलस गई थीं जबकि 3 लोग बस के अंदर जिंदा जल गए थे, जिनकी पहचान तक नहीं हो पाई थी। इसी माह हुई इस दिल दहला देने वाली घटना के बावजूद प्राइवेट ट्रांसपोर्टर्स द्वारा इसका सबक नहीं लिया गया। जिस तरह से उक्त प्राइवेट बस में ठूंस-ठूंस कर सवारियां बिठाई गई हैं उससे लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है, विशेषज्ञ बताते हैं कि बस में ओवरलोड सवारियां इसलिए नहीं बिठानी चाहिएं क्योंकि आपात स्थिति में भगदड़ मच सकती है और यदि बस भरी हो तो सवारियों को एमरजैंसी निकास से बाहर निकलने में परेशानी आ सकती है।