Edited By Updated: 22 May, 2017 05:40 PM
पढ़ाई में कमजोर अगर किसी भी छात्र को सरकारी स्कूल ने दाखिला देने से इंकार किया तो स्कूल प्रिंसीपल पर विभाग की ओर से नियमों के
लुधियाना(विक्की): पढ़ाई में कमजोर अगर किसी भी छात्र को सरकारी स्कूल ने दाखिला देने से इंकार किया तो स्कूल प्रिंसीपल पर विभाग की ओर से नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जा सकती है, क्योंकि शिक्षा विभाग के पास पहुंच रही उक्त शिकायतों का कड़ा संज्ञान लिया गया है। यही वजह है कि विभाग के डिप्टी डी.ई.ओ. नाहर सिंह द्वारा इस संबंधी उक्त आदेश समूह हाई एवं सैकेंडरी स्कूल प्रमुखों को जारी करके कहा गया है कि पढ़ाई में कमजोर किसी भी छात्र को दाखिला देने से इंकार न किया जाए।
लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्टू की अध्यक्षता में पिछले दिनों आयोजित एक मीटिंग के दौरान डा. नीलम सोढी ने उक्त मामला उठाते हुए स्कूलों के इंकार करने के बाद विद्यार्थी को आने वाली परेशानियों का जिक्र किया था। डा. सोढी ने कहा कि कई सरकारी स्कूल पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को स्कूल में दाखिला देने से इंकार कर देते हैं, जिसके चलते स्टूडैंट्स को किसी दूर-दराज स्कूल में दाखिला लेने के कारण भारी कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं। उन्होंने बिट्टू के सामने ही विभाग को कहा था कि समूह स्कूल प्रमुखों को उक्त संबंधी निर्देश देकर किसी भी छात्र को दाखिला देने से मना न किया जाए। अब मामला चूंकि सांसद बिट्टू की अध्यक्षता वाली मीटिंग में उठा था तो विभाग की भी उक्त बात सुनकर हवाइयां उडऩे लगीं। इस दौरान बिट्टू ने भी डी.ई.ओ. इस संबंधी निर्देश जारी करने की हिदायत की थी। मीटिंग के बाद विभाग ने समूह सरकारी स्कूलों के प्रमुखों को उक्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि अगर किसी भी स्कूल बारे भविष्य में ऐसी कोई शिकायत सामने आती है तो संबंधित प्रमुख के खिलाफ नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
क्या कहते हैं सांसद रवनीत बिट्टू
इस संबंध में बात करने पर सांसद बिट्टू ने कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को शिक्षा देना है। इसीलिए सरकारी स्कूल बनाए गए हैं लेकिन अगर सरकारी स्कूल ही विद्यार्थियों को दाखिला देने से इंकार करेंगे तो शिक्षित समाज की कल्पना कैसे की जा सकती है। अगर कोई छात्र पढ़ाई में कमजोर है तो उसका मतलब यह नहीं कि उसे दाखिला ही न दिया जाए, बल्कि ऐसे स्टूडैंट्स को एडमिशन देकर उसकी ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।