35 साल से भारतीय व पाकिस्तानी इंजीनियरों के बीच रावी दरिया के पानी को लेकर जंग जारी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jul, 2017 12:17 PM

ravi darya  s water issue between the two indian and pakistani engineers

बेशक रणजीत सागर डैम निर्माण के बाद रावी दरिया में आने वाली बाढ़ की संभावना कम हो चुकी है परंतु बरसात के दिनों में जम्मू-कश्मीर के दरिया उज्ज, जलालियां, शिंगारवां सहित पाकिस्तान के तरनाह व खूनी नाला सहित अन्य छोटे नालों आदि से पानी आने तथा इनके रावी...

गुरदासपुर(विनोद): बेशक रणजीत सागर डैम निर्माण के बाद रावी दरिया में आने वाली बाढ़ की संभावना कम हो चुकी है परंतु बरसात के दिनों में जम्मू-कश्मीर के दरिया उज्ज, जलालियां, शिंगारवां सहित पाकिस्तान के तरनाह व खूनी नाला सहित अन्य छोटे नालों आदि से पानी आने तथा इनके रावी दरिया में मिलने से जिला गुरदासपुर में रावी दरिया किनारे बसे गांवों के लोगों को अभी हर समय बाढ़ का खौफ बना रहता है।

पाकिस्तान ने रावी दरिया पर बनाए अपने बाढ़ सुरक्षा प्रबंधों के कारण अपने आपको भारत के मुकाबले अधिक सुरक्षित कर लिया है। इस स्थिति के चलते आने वाले समय में यदि भारतीय इंजीनियरों ने इस समस्या को गम्भीरता से न लिया तो भारत के लिए कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाएंगी। गत लगभग 35 साल से भारतीय और पाकिस्तानी इंजीनियरों के बीच यह पानी के लिए जंग चलती आ रही है परंतु कई बार तो इस बाढ़ के कारण दोनों ही देशों के इंजीनियर यह लड़ाई हार जाते हैं।

इस संबंधी सबसे अधिक प्रबंध जैनपुर, कमालपुर और रोसा में किए गए। पाकिस्तान सरकार ने 1985 में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए विदेशी इंजीनियरों की मदद से एक योजना बनाई तथा भारत के धुस्सी बांध के मुकाबले हाजीपुर-गुजरांवाला बांध बनाना शुरू किया, जिसके लिए विदेशी तकनीक व इंजीनियरों की मदद से 20 किलोमीटर लम्बा बांध पाकिस्तान ने बना डाला जिससे बाढ़ समस्या पुन: भारत के हिस्से में आ गई। तब से दोनों ही देशों के इंजीनियर हर साल पानी के बहाव को एक -दूसरे देश की ओर मोडऩे के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं।

रावी दरिया का पानी रोकने के लिए भारत ने पाकिस्तान को 100 करोड़ रुपए दिए थे
रणजीत सागर बांध बनाने के रास्ते में पाकिस्तान सरकार ने कई रुकावटें खड़ी कीं परंतु भारत सरकार ने रावी दरिया का पानी रणजीत सागर डैम पर रोकने के लिए संयुक्त राष्टï्र संघ के निर्णय अनुसार 100 करोड़ रुपए का मुआवजा पाकिस्तान सरकार को दे दिया। भारत सरकार ने जब रणजीत सागर डैम बनाया तो रावी दरिया का पानी वहीं रोक दिया, जिससे रावी दरिया जो हिमाचल की पहाडिय़ों से यहां पहुंचता था उससे बाढ़ का खतरा समाप्त हो गया, परंतु जम्मू-कश्मीर से आने वाले दरिया उज्ज, जलालियां व शिंगारवां आदि के रावी में मकौड़ा पत्तन ओर जैदपुर के पास आकर मिलने से बरसात के दिनों में स्थिति बहुत खराब हो जाती है ।

भूमि कटाव भी जोरों पर
गांव ताश, कजले और निक्का की हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि पहले ही दरिया की भेंट चढ़ चुकी है। इसी तरह पाकिस्तान से आने वाले तरनाह और खूनी नाला, जो पहाड़ीपुर के पास भारतीय इलाके में मिलते हैं, वहां भी भूमि कटाव का क्रम जोरों पर है। बरसात के दिनों में भूमि कटाव का क्रम बहुत तेज हो जाता है, जो भारत तथा भूमि के मालिक किसानों के लिए चिन्ता का विषय है।

दूसरे पाकिस्तान सरकार ने रावी दरिया पर जितने भी बाढ़ के सुरक्षा हेतु प्रबंध बनाए हैं, उनका मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्धारा बाढ़ सुरक्षा प्रबंध बनाने का काम तब शुरू किया जाता है। इसी कारण भारत में बनाए बाढ़ सुरक्षा प्रबंध मजबूत नहीं बनते तथा मामूली बाढ़ का सामना करना भी इन बाढ़ सुरक्षा प्रबंधों के बस की बात नहीं होती। जिस कारण भारतीय इलाके में भूमि कटाव जोरों पर है।

सोने की खान समझते हैं भारतीय इंजीनियर रावी दरिया को
पाकिस्तान सरकार इस समस्या को राष्ट्रीय समस्या समझ कर बाढ़ सुरक्षा प्रबंध करती है परंतु भारतीय इंजीनियर इस समस्या को अपने लिए सोने की खान समझते है व व्यक्तिगत आय का साधन समझ कर काम करते हैं। यही कारण है कि भारत के लिए यह समस्या लगातार बनी हुई है।

बाढ़ का मौसम जुलाई-अगस्त का होता है, जो भी रावी दरिया के पानी से नुक्सान होना होता है वह इन 2 माह में हो जाता है, इसके बाद तुरंत बाद सुरक्षा प्रबंधों का काम शुरू किया जाना चाहिए परंतु पंजाब और भारत सरकार को इस संबंधी विभागीय कार्रवाई पूरी करने में इतना समय लग जाता है कि भारत सरकार की मंजूरी मिलने सहित धन आदि का प्रबंध करके ये बाढ़ सुरक्षा प्रबंध उस समय शुरू करवाए जाते हैं, जब बाढ़ का खतरा सिर पर होता है। इस समय जो सबसे अधिक  समस्या जिला गुरदासपुर प्रशासन को परेशान करती है  

जम्मू-कश्मीर सरकार इस समस्या को अपनी समस्या नहीं मानती
जम्मू-कश्मीर सरकार का इस स्थान पर होने वाले नुक्सान से कुछ भी लेना-देना नहीं वह इस समस्या को अपनी समस्या नही मानती है जिस कारण यह समस्या बहुत गम्भीर बन जाती है।

एक बार तो पंजाब सरकार ने अपने खर्च पर यहां काम करवाए थे परंतु अब कई वर्षों से यहां पर कोई बाढ़ सुरक्षा प्रबंध नहीं करवाए गए, जिस कारण जहां पाकिस्तान के ये दरिया मिलते हैं, उसके साथ ही पंजाब के जिला गुरदासपुर की सीमा शुरू  हो जाती है तथा यह पानी जिला गुरदासपुर में बहुत नुक्सान करता है। इसी तरह गांव मकौड़ा पत्तन के पास जम्मू-कश्मीर से आने वाले दरिया उज्ज, जलालियां दरिया आकर मिलते हैं जबकि इसके सामने ताश पत्तन पर भी यह पानी भारी नुक्सान करता आ रहा है। 

क्या कहते हैं लोग
सीमावर्ती इलाके के लोगों की मांग है कि इस बाढ़ समस्या से स्थाई छुटकारा पाने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकार इस समस्या को राष्ट्रीय समस्या घोषित करे। इस संबंधी कोई मास्टर प्लान बनाया जाए। इस संबंधी संबंधित ड्रेनेज विभाग के अधिकारियों ने अपना नाम गुप्त रखने के आश्वासन पर बताया कि नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी इस समस्या से स्थाई छुटकारा पाना ही नहीं चाहते। बाढ़ सुरक्षा प्रबंध पर काम करवाने के लिए विभागीय प्रणाली बहुत लम्बी है। 

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