Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 12:29 PM
बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक दशहरा हेतु रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों को तैयार करने का सिलसिला बेशक शुरू कर दिया गया है लेकिन इस बार रावण दहन करने वाले रामलीला क्लबों के सदस्यों को गत वर्षों की अपेक्षा इस बार रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के...
पठानकोट (आदित्य): बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक दशहरा हेतु रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों को तैयार करने का सिलसिला बेशक शुरू कर दिया गया है लेकिन इस बार रावण दहन करने वाले रामलीला क्लबों के सदस्यों को गत वर्षों की अपेक्षा इस बार रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों को 30 से 40 प्रतिशत तक अधिक पैसे व्यय करके खरीदना पड़ेगा तथा इसका मुख्य कारण
दिन-प्रतिदिन बढ़ रही महंगाई है।
रामलीला क्लबों के सदस्य जहां पहले दशहरा पर्व हेतु रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले लगभग 15 से 20 हजार रुपए देकर खरीदते थे, वहीं अब महंगाई के चलते उन्हें उक्त पुतले 30 से 45 हजार रुपए में खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उक्त महंगाई के कारण कुछ कारीगरों ने तो पुतले तक बनाने के कार्य को बंद करना शुरू कर दिया है तथा उनका कहना है कि पहले तो लोगों को कम दामों पर पुतले आसानी से मिल जाते थे लेकिन अन्य खाद्य वस्तुओं में बढ़ौतरी होने के साथ-साथ महंगाई ने उनके कार्य पर भी काफी असर डाला है जिसके चलते पुतले तैयार करने हेतु बांस की कीमतों में भारी उछाल आने से इस बार उन्होंने पुतले तैयार करने पर विचार ही नहीं किया।
यदि वे पुतले तैयार कर भी लेते हैं तो एक तो उन्हें जहां उच्च क्वालिटी के बांस खरीदने हेतु भटकना पड़ेगा, वहीं दूसरी तरफ पुतले तैयार होने की सूरत में उन्हें अच्छे दाम भी मिलना मुश्किल हो जाएगा। महंगाई के चलते अब कुछ चुङ्क्षनदा कारीगर ही पुतलों को तैयार करने में लगे हुए हैं।
असम एवं कोलकाता से मंगवाया जाता है बांस
इस संबंधी कैंट के समीप रहने वाले कारीगर जोगिन्द्र पाल व गेंदी काका का कहना है कि उन्होंने वर्ष 2002 से पुतले बनाने का कार्य शुरू किया था तथा उनके द्वारा पुतलों को तैयार करने हेतु असम एवं कोलकाता से हर वर्ष बांस मंगवाया जाता है। उन्होंने कहा कि जहां पहले उन्हें एक बांस की कीमत 25 रुपए अदा करनी पड़ती थी, वहीं अब महंगाई के चलते उक्त बांस की कीमत 55 से 65 रुपए अदा करनी पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि पंजाब व हिमाचल प्रदेश से रामलीला क्लब के सदस्य 3 माह पहले ही उनके पास पुतले तैयार करवाने हेतु बुकिंग करवा लेते हैं। उनके द्वारा तैयार किए जाने वाले एक पुतले की कीमत 15 हजार रुपए पड़ती है तथा इस एक पुतले को पूरी तरह से तैयार करने में 12 से 15 दिनों का समय लगता है। उन्होंने कहा कि पुतलों को तैयार करने हेतु उन्हें उनके परिवार का भी पूरा सहयोग मिलता है तथा सभी सदस्यों की एकजुटता से ही उनके द्वारा पुतलों को तैयार किया जाता है। जोगिन्द्र पाल ने कहा कि उनके द्वारा तैयार किए गए 50 फुट तक के पुतलों की पंजाब व हिमाचल प्रदेश में काफी डिमांड है। उनके द्वारा जुलाई माह से ही पुतले बनाने का कार्य आरम्भ कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि महंगाई के चलते उनके पुतले बनाने के कारोबार में भी काफी असर पड़ा है।