Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 11:47 AM
अपने ही मामा द्वारा हवस का शिकार हुई 10 वर्षीय बच्ची के मां बनने की घटना ने जहां मां-बाप को झिंझोड़ कर रख दिया है वहीं डाक्टर भी हैरान है कि 10 वर्षीय बच्ची मां कैसे बन सकती है।
चंडीगढ़ : अपने ही मामा द्वारा हवस का शिकार हुई 10 वर्षीय बच्ची के मां बनने की घटना ने जहां मां-बाप को झिंझोड़ कर रख दिया है वहीं डाक्टर भी हैरान है कि 10 वर्षीय बच्ची मां कैसे बन सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई दस वर्षिय बच्ची का बुधवार को पी.जी.आई में मैडीकल किया गया। लगभग तीन घंटे तक चली प्रक्रिया के बाद पी.जी.आई. प्रशासन ने रिपोर्ट तैयार कर सीलबंद लिफाफे में यूटी के लॉ ऑफिसर को सौंप दी। लॉ अफसर इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में सौंपेगा। इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पी.जी.आई प्रशासन की ओर से गठित आठ सदस्यीय कमेटी ने रिपोर्ट के बारे में कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। हालांकि, सूत्रों से पता चला है कि मैडीकल रिपोर्ट में पीड़िता के गर्भपात की संभावनाओं से इंकार करते हुए सीजेरियन डिलीवरी करवाने की बात कही गई है। डॉक्टरों के अनुसार बच्ची का शरीर इतनी कम उम्र में प्रसव पीड़ा झेलने के लिए परिपक्व नहीं है। रिपोर्ट तैयार करने से पहले कमेटी ने हाईकोर्ट में गवर्नमेंट मैडीकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल सेक्टर-32 की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट का भी अध्ययन किया गया।
उस रिपोर्ट में भी बच्ची की डिलीवरी की रिकमेंड की गई थी। रिपोर्ट का दूसरा पहलू यह है कि अगर अबोर्शन की मंजूरी दी गई तो भी बच्ची की सर्जरी होनी तय है। इसी बीच बच्ची के माता-पिता भी गहरे सदमे में हैं। डॉक्टरों की एक टीम उनसे भी लगातार संपर्क बनाए हुए है।
पी.जी.आई ने प्रोफेसर दिगंबर बेहरा की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय कमेटी बनाई है। डॉ. विपिन कौशल कमेटी के कोर्डिनेटर हैं। अन्य छह सदस्यों में गायनाकोलॉजी की हेड प्रोफेसर वनिता सूरी, साइकियाट्री विभाग के हेड प्रोफेसर अजीत अवस्थी, पीडियाट्रीक्स विभाग के हेड प्रोफेसर सुरजीत सिंह, कार्डियोलॉजी विभाग के हेड प्रोफेसर रोहित मनोज, रेडियोलॉजी विभाग के हेड प्रोफेसर एन खंडेलवाल और इंटरनल मेडिसिन की हेड प्रोफेसर सविता कुमारी शामिल हैं।