'राम रहीम माफी मामले में जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह दें इस्तीफा'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Sep, 2017 12:02 PM

ram rahim forgiveness case

साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में डेरा मुखी को जेल होने के बाद अब श्री गुरु गोबिंद का ''स्वांग'' रच सिखों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में श्री अकाल तख्त साहिब से उन्हें मिली माफी का मामला एक बार फिर गरमा गया है।

अमृतसरः साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में डेरा मुखी को जेल होने के बाद अब श्री गुरु गोबिंद का 'स्वांग' रच सिखों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में श्री अकाल तख्त साहिब से उन्हें मिली माफी का मामला एक बार फिर गरमा गया है। माफी के खिलाफ कई सिख संगठन विरोध में उतर आए हैं और श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह से इस्तीफे की मांग की है। 


अकाली दल अमृतसर के कार्यालय सचिव हरबीर सिंह संधू व महासचिव जरनैल सिंह सखीरा ने कहा कि अकाली दल बादल के दबाव में ज्ञानी गुरबचन सिंह ने श्री अकाल तख्त साहिब से डेरा मुखी को माफ करने का हुक्मनामा जारी किया था।

 
सिख संगठनों का मानना है कि अगर कानून ने राम रहीम को दोषी साबित कर दिया है तो अब गुरु गोबिंद साहिब का चोला पहन स्वांग रचने के मामले में माफ करने वालों के खिलाफ भी पंथक कार्रवाई होनी चाहिए। सिख संगठन दल खालसा ने भी मांग उठाई है कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सजायाफ्ता राम रहीम को माफी देने की गलती को स्वीकार करते हुए अपने पद से त्याग पत्र दें और सिख पंथ से माफी मांगें।

 

उधर, श्री अकाल तख्त साहिब के निलंबित पांच प्यारों ने भी ज्ञानी गुरबचन सिंह को सिख पंथ से माफी मांगने की मांग की है।  

दूसरी और सरबत खालसा की ओर से नियुक्त किए गए सिंह साहिब ज्ञानी बलजीत सिंह खालसा और श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार जत्थेदार ध्यान सिंह मंड भी कहते हैं कि राम रहीम के अदालत में दोषी साबित होने के बाद अब ज्ञानी गुरबचन सिंह के पास श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के पद पर बना रहना पंथक सिद्धांतों के खिलाफ है।

 

गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम सिंह ने 13 मई 2007 को बठिंडा के गांव सलाबतपुरा के डेरा में गुरु गोबिंद सिंह जी जैसा लिबास पहनकर और उनके सिद्धातों के साथ मिलते जुलते ढंग से अमृत तैयार किया था और उसे जाम-ए-इंसां का नाम दिया था। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अमृत तैयार करने से पहले पांच प्यारे सजाए थे जबकि गुरमीत राम रहीम ने सात इंसां सजाए। डेरा मुखी के इस कृत्य के बाद पंजाब में व्यापक विरोध हुआ था और मामला श्री अकाल तख्त साहिब तक पहुंचा था। 

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