Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 07:28 AM
ज्यों-ज्यों चुनाव निकट आ रहा है राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो रही हैं। उम्मीदवार ढोल की थाप के बीच अपने-अपने चुनावी क्षेत्र में गले में फूलों के हार डाले, हाथ में चुनाव निशान पकड़े हुए गली-गली, घर-घर जाते दिखाई दे रहे हैं, जबकि हाथ जोड़े उम्मीदवार के...
अमृतसर (इन्द्रजीत): ज्यों-ज्यों चुनाव निकट आ रहा है राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो रही हैं। उम्मीदवार ढोल की थाप के बीच अपने-अपने चुनावी क्षेत्र में गले में फूलों के हार डाले, हाथ में चुनाव निशान पकड़े हुए गली-गली, घर-घर जाते दिखाई दे रहे हैं, जबकि हाथ जोड़े उम्मीदवार के साथ उसके खासमखास लोग पूछते हैं कि बादशाहो, कोई सेवा है तो बताओ।
वहीं 2 दिन हुई बारिश और ठंड ने उम्मीदवारों से लाल परी की मांग बढ़ा दी है। कहीं से आवाज आती है भाजी, इधर भी मिल जाओ मकान में पूरे 20 वोट अपने ही हैं। ‘वाज कराओ’ कित्थे मिलिए? इत्थे लालपरी ही नहीं थैली वी चाही दी ए। ऐसे कई जुमले गली-गली में मिल रहे हैं, जहां प्रत्याशी नोटों की थैलियां दबे हाथों थमा रहे हैं। अगले 2 दिन के लिए बड़ी तिजोंरियों से थैलियां निकलनी भी शुरू हो गई हैं। चुनाव के दीवानों व खिदमतगारों की चांदी हो रही है।
पर्ची की जगह चल रहा नोट का नंबर
पिछले चुनावों में शराब बांटने के लिए उम्मीदवार के सिपहसलार अपनी दस्तख्वत की पर्ची देकर निश्चित स्थान पर प्राप्तकत्र्ता को भेजते थे, किन्तु इसमें खतरा भी होता था, किन्तु अब नोट के नंबर की पहचान पर 10 के नोट पर बोतल 20 के नोट पर शराब की पेटी दी जाती है।
थैली और सूट की पर्चियां
दूसरी तरफ ज्यों-ज्यों चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है त्यों-त्यों कई जगहों पर उम्मीदवारों के कार्यकर्ताओं द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए आटे की थैलियों और सूट की पर्चियां भी दी जाने लगी हैं ।
आजाद उम्मीदवारों को पटाने में लगे दल
बड़ी पार्टियों के उम्मीदवार जहां एक-दूसरे के वोटरों का लुभाने में जोड़-तोड़ लगाने में लगे हैं, वहीं आजाद उम्मीदवारों को अपने पक्ष में बैठने के लिए भी लाखों की ऑफर दी जा रही है ताकि वोट का ग्राफ एक ओर पलटे जबकि कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां कई उम्मीदवार अपने विरोधी को मात देने के लिए उसके क्षेत्र में खड़े आजाद उम्मीदवार की न बैठने के लिए भी बोली लगा रहे हैं।
शराब की जरूरत कितनी
चुनावों में एक उम्मीदवार के क्षेत्र में 300 से 350 पेटी शराब की आवश्यकता समझी जाती है, जबकि विपक्षी उम्मीदवार भी इतनी ही शराब वितरित करता है। आजाद उम्मीदवार की लड़ाई अलग तरह की होती है, यदि 85 वार्डों का आकलन किया जाए तो नदी की तरह लाल परी बहती है।
तंदूर वालों की कमी
जिस प्रकार विवाह आदि में हलवाई व कैटरर नहीं मिलते, वैसे ही चुनावी दौर में परांठे, कुलचे व मुर्गे रोस्ट करने के लिए कुशल तंदूर वाले नहीं मिल रहे। एक तंदूर चलाने वाला अपने सहकर्मी के साथ एक दिन का 5 से 7 हजार रुपए मांग रहा है।