हवाई उड़ानों के लिए ‘कब्र बिज्जू’ बने खतरा

Edited By Vatika,Updated: 10 Mar, 2018 12:07 PM

qabar bijju in airport

हवाई उड़ानों के लिए लम्बे समय से खतरा बनकर चल रहे आसमान में उड़ते पंछियों के उपरांत अब हवाई उड़ानों के लिए जमीन पर ‘कब्र बिज्जू’ भारी खतरा बनकर सामने आ गया है। इसके लिए न केवल हवाई यात्रियों को अपितु एयरपोर्ट प्रबंधन को भी उक्त जीव के कहर को रोकने...

अमृतसर(इन्द्रजीत/ अरुण): हवाई उड़ानों के लिए लम्बे समय से खतरा बनकर चल रहे आसमान में उड़ते पंछियों के उपरांत अब हवाई उड़ानों के लिए जमीन पर ‘कब्र बिज्जू’ भारी खतरा बनकर सामने आ गया है। इसके लिए न केवल हवाई यात्रियों को अपितु एयरपोर्ट प्रबंधन को भी उक्त जीव के कहर को रोकने के लिए करोड़ों रुपए की मार पड़ रही है, क्योंकि यह जीव जमीन खोदने में माहिर माना जाता है और इसके द्वारा जमीन में बनाए गए खुफिया रास्तों से कुत्ते एयरपोर्ट के रणवे में पहुंच जाते हैं। इसके कारण 3 वर्षों में देश के विभिन्न एयरपोर्ट्स पर 70 से अधिक बार विमानों की उड़ानों को रोकना पड़ा और हजारों यात्री बाल-बाल बचे।
 

क्या है कब्र बिज्जू?

बिज्जू जाति के जीव में एक प्रजाति ऐसी भी आती है, जो जमीन में गड़े मुर्दों को खाते हैं। ये बिज्जू इतने शातिर होते हैं कि जमीन में कई-कई फुट गहरे सुरंगनुमा गड्ढे खोद देते हैं कि जमीन में दबी कब्रों तक पहुंच जाते हैं, जहां से यह कब्रों में दबाई गई लाशों को खा जाते हैं। कब्रों को खोदने में माहिर माने जाने वाले इस बिज्जू को कब्रबिज्जू भी कहा जाता है। 

कैसे बनाते हैं बिज्जू कुत्तों के लिए रास्ता

एयरपोर्ट के निकट चारदीवारी से बाहर अक्सर खुले खेत होते हैं। उक्त खेतों में यदा-कदा लोग मरे हुए जीवों को भी छोड़ देते हैं। किन्हीं स्थानों पर खुली जगह होने के कारण उक्त स्थानों को लोग मुर्दें दबाने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। यदा-कदा लोग मरे हुए जीवों की बदबू से बचने के लिए पांच-छ: फुट खड्ढा खोद कर दबा देते हैं। जानकार लोगों का कहना है कि ऐसे स्थानों पर अधिकतर चूहे, गिलहरी आदि आ जाते हैं, क्योंकि चूहे व गिलहरी जमीन में बिल के अंदर रहते हैं और रेंगने वाले जीव होने के कारण यह जमीन की गहराई में चले जाते हैं। इन्हें पकड़ कर अपना शिकार बनाने के लिए कब्रबिज्जू बिल्लों में इन्हें ढूंढने के लिए घुसने लगते हैं और धीरे-धीरे यह जीव जमीन में लम्बी सुरंग बना लेते हैं।
 

क्या कहते हैं एयरपोर्ट डायरैक्टर

एस.जी.आर.डी. अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के महानिदेशक मनोज चंसोलिया ने इन कब्रबिज्जुओ और खरगोशों के संबंध में पुष्टि करते हुए कहा कि इन्हीं के कारण ही चारदीवारी के नीचे तीन-तीन फुट नीचे जमीन में कंकरीट डाले जा रहे है, जिन जगहों पर इन जीवों का अधिक प्रकोप होता है वहां 5 फुट की गहराई में भी कंकरीट डाले जा सकते है। उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की कि इन कब्रबिज्जूओ को रोकने के उपरांत एयरपोर्ट पर कुत्तों की समस्या समाप्त हो जाएगी।

एयरपोर्ट प्रबंधन को करोड़ों में पड़ जाते हैं कब्रबिज्जू 

इस संबंध में पता चला है कि कब्रबिज्जुओं से परेशान देश भर के एयरपोर्ट प्रबंधन ने मीलों लम्बे रनवे के इर्द-गिर्द चारदीवारी की होती है। इसकी ऊंचाई 8 फुट होती है, जबकि इसके ऊपर 2फुट के लोहे के ऐंगल आदि लगे होते हैं। इतनी ऊंचाई से न तो कोई जीव अंदर आ और जा सकता है, किन्तु कब्रबिज्जू इन दीवारों को खोद देते हैं। इससे बचने के लिए एयरपोर्ट प्रबंधन को उक्त दीवारों को ऊपर ले जाने के साथ-साथ जमीन में 3 फुट नीचे कंक्रीट के बीम डालते हैं। मीलों लम्बे एरिए पर कंक्रीट डालने में देश भर के हवाई अड्डों को करोड़ों की हानि सहनी पड़ती है

कब्रबिज्जू  को पकडऩे के लिए सुरंग में घुसता है कुत्ता

एक ओर उक्त जीव छोटी सुरंगों में अपना शिकार ढूंढने के लिए कब्रबिज्जू  जमीन खोदने लगता है, वहीं इस जीव की बनाई गई सुरंग पर आवारा कुत्ते कब्र बिज्जू को ही पकडऩे के लिए सुरंग में घुस जाते हैं और दूसरी और रास्ता यदि एयरपोर्ट की ओर निकलता है तो कुत्ते इस स्थान को सुरक्षित समझते हुए अपना रहन-बसेरा बना लेते हैं। बस यहीं से अवारा कुत्तों के रणवे पर पहुंचकर चलते विमानों की रफ्तार को रोक देने की हिम्मत आ जाती है, क्योंकि कुत्ता गुस्ताख जीव माना जाता और झुंड में खड़े हुए कुत्ते दूर से आते विमान को रोकने के प्रयास से विमान के सामने आ जाते हैं। समस्या तब अधिक बढ़ जाती है, जब कब्रबिज्जुओं के मित्र माने जाना वाला खरगोश भी जमीन खोदने में शामिल हो जाता है।

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