Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Oct, 2017 11:35 PM
दमदमी टकसाल के प्रमुख संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा ने मांग की है कि पंजाब में पंजाबी भाषा को शीर्ष स्थान दिया जाए। उन्होंने पंजाब राजभाषा एक्ट को सरकारी संस्थानों में सख्ती से लागू करने की मांग की है। ....
अमृतसर: दमदमी टकसाल के प्रमुख संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा ने मांग की है कि पंजाब में पंजाबी भाषा को शीर्ष स्थान दिया जाए। उन्होंने पंजाब राजभाषा एक्ट को सरकारी संस्थानों में सख्ती से लागू करने की मांग की है। खालसा ने कहा कि पंजाबी एक मुकम्मल भाषा है, जिसकी अपनी अलग लिपि, अपनी पुर्नावृति और उच्चारण शैली है, जो दूसरी भाषाओं की अपेक्षा अपनी विलक्षणता को दिखाती है।
उन्होंने गुरू साहिबान ने इस सदियों पुरानी बोली को प्रफुलित करते हुए अपनी इसी मातृभाषा में गुरबानी उच्चारण किया और लोगों को उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि अन्य भाषाओं का ज्ञान होना अच्छी बात है परन्तु अपनी मातृभाषा को उचित सम्मान न देना, अन्याय है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पंजाब राजभाषा एक्ट 1967 और पंजाब राजभाषा (संशोधन) एक्ट 2008 का उल्लंघन कर रही है। पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में पंजाबी के साथ भेदभाव करते हुए प्रशासन द्वारा वहां के लोगों को भाषाई अधिकारों से वंचित रखा गया है। अमृतसर-बठिंडा राजमार्ग पर लिखे बोर्ड हों या जल्यांवाला बाग जैसे ऐतिहासिक शहादत स्थान के बोर्ड आदि में पंजाबी भाषा के साथ बड़ा भेदभाव सामने आया है।