Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jan, 2018 11:27 AM
पंजाब जहां वित्तीय संकट से झूझ रहा है वहीं पंजाबी हर रोज कम से कम 6.50 करोड़ रुपए मोबाईलों पर फूंक देते हैं।
बठिंडाः पंजाब जहां वित्तीय संकट से झूझ रहा है वहीं पंजाबी हर रोज कम से कम 6.50 करोड़ रुपए मोबाईलों पर फूंक देते हैं। इस तरह पंजाब के लोगों का कम से कम टैलीफोन (लैंडलाइन और मोबाइल) खर्च औसतन 2300 करोड़ रुपए सालाना बनता है। केंद्रीय संचार मंत्रालय अनुसार पंजाब में इस समय 3.84 करोड़ टैलीफोन (लैंडलाइन और मोबाइल) हैं जिनमें से 1.40 करोड़ देहाती और 2.44 करोड़ शहरों में इस्तेमाल होते हैं।
पंजाब की अनुमानित आबादी साल 2017 में 2.99 करोड़ बढ़ी है, जबकि टैलीफोनों की संख्या 3.84 करोड़ है। विवरनों अनुसार पंजाब में साल 2017 में अनुमानित घरों की संख्या करीब 55 लाख बताई जा रही है। घरों की संख्या के लिहाज के साथ देखें तो पंजाब के हर घर में औसतन सात टैलीफोन हैं। मोबाइल कंपनियों ने पंजाब को पूरी तरह अपने जाल में फंसा लिया है। हर कनैक्शन धारक का टैलीफोन खर्च प्रति महीना कम से कम 50 रुपए भी मान लें तो 3.84 करोड़ कनैक्शनों के हिसाब से यह राशि सालाना 2304 करोड़ रुपए बन जाती है।
इस तरह पंजाबी हर महीने टैलीफोन पर कम से कम 192 करोड़ रुपए ख़र्च कर देते हैं। माहिरों अनुसार यह खर्च इससे कहीं अधिक है।
संचार मंत्रालय अनुसार पंजाब में 31 मार्च 2014 को टैलीफोनों की संख्या 3.23 करोड़ थी, जो 31 अक्तूबर 2017 तक बढ़ कर 3.84 करोड़ हो गई है। अर्थात गुजरे साढ़े तीन वर्षों में टैलीफोन कनैक्शनों की संख्या में 61 लाख का विस्तार हुआ है। पंजाब में कुल 12,586 आबाद गांव हैं जिनमें से सिर्फ 24 गांव ऐसे हैं जो अभी मोबाइल फोनों की मार में नहीं हैं।
इन गांवों में गुरदासपुर दे दो गांव, कपूरथला जिलो के छह, होशियारपुर के आठ और फिरोजपुर के आठ गांव शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पंजाब में 18,333 मोबाइल टावर और चार दर्जन मोबाइल ऐकसचेंज हैं। पंजाब के ग्रामीण इलाके पर नजर मारें तो फिलहाल पंजाब का देहाती इलाका टैलीफोन घनत्व की दर में देश भर में से तीसरे नंबर पर है। ग्रामीण पंजाब की टैलीफोन घनिष्ठता दर 81.02 प्रतिशत है, जब कि पहले नंबर पर हिमाचल प्रदेश है जिसकी घनिष्ठता दर 118 प्रतिशत है। दूसरा नंबर तामिलनाडु का है। गुजरे साढ़े तीन वर्षों में ग्रामीण पंजाब में टैलीफोन कनैक्शनों की संख्या में 16 लाख जबकि शहरों में 45 लाख का विस्तार हुआ है।
कंपनियों के जाल में फंसे पंजाबी: डा. भंगू
पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के अर्थ शास्त्र विभाग के प्रो. केसर सिंह भंगू का कहना था कि मोबाइल कंपनियों ने चकाचौंध दिखा कर नौजवान वर्ग पर पूरी तरह जाल में फंसा लिया है और मोबाइल को हर किसी की जरूरत बना दिया है। उन्होंने कहा कि यह स्रोतों की बरबादी है जिन्हें ओर रचनात्मिक कामों पर इस्तेमाल करा जा सकता थी।