Edited By Updated: 29 Apr, 2017 01:49 PM
पंजाब विधानसभा चुनाव में चमकौर साहिब से कांग्रेस विधायक चरणजीत सिंह चन्नी और बस्सी पठाना से कांग्रेस विधायक गुरप्रीत सिंह ने सबसे ज्यादा पैसे खर्च किए हैं।
चंडीगढ़ः पंजाब विधानसभा चुनाव में चमकौर साहिब से कांग्रेस विधायक चरणजीत सिंह चन्नी और बस्सी पठाना से कांग्रेस विधायक गुरप्रीत सिंह ने सबसे ज्यादा पैसे खर्च किए हैं। दोनों ने तय खर्च सीमा 28 लाख रुपए में से 96 प्रतिशत राशि चुनाव में खर्च की है। अजनाला से विधायक हरप्रताप सिंह ने सबसे कम खर्च किया है। उन्होंने सिर्फ 15 प्रतिशत राशि ही खर्च की। 50 विधायकों ने मीडिया प्रचार पर एक भी पैसा नहीं खर्च किया है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्मर्स (एडीआर) ने राजनेताओं की ओर से चुनाव आयोग को सौंपे चुनाव खर्च के आंकड़ों पर सवाल उठाया है। एडीआर ने राजनेताओं से पूछा है कि वह शोर तो मचा रहे हैं कि चुनाव प्रचार में खर्च करने की लिमिट काफी कम है, जिसे बढ़ाया जाना चाहिए। परंतु बहुत से नेता ऐसे हैं जो कि विधानसभा चुनाव में तय खर्च सीमा 28 लाख से आधे पैसे भी खर्च नहीं कर सके। इससे लगता है कि ऐसे उम्मीदवारों की मंशा सही नहीं है या फिर वह खर्च की सही जानकारी नहीं देते हैं।
पत्रकारों से शुक्रवार को यहां बातचीत में एडीआर के नेताओं जसकीरत सिंह, परविंदर सिंह, नीलेश और लक्ष्मी ने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि लोक इंसाफ पार्टी के विधायकों सिमरजीत सिंह बैंस और बलविंदर सिंह बैंस ने चुनाव खर्च बताने में ईमानदारी दिखाई है। बैंस बंधुओं ने खर्च लिमिट की 90 प्रतिशत राशि खर्च की है।
खेमकरण के विधायक सुखपाल सिंह भुल्लर ने लिमिट में से सिर्फ 23 प्रतिशत राशि ही खर्च की। लुधियाना नार्थ से विधायक राकेश पांडे ने 26 प्रतिशत राशि खर्च की है। एक विधायक ने किसी वाहन का खर्च ही चुनाव आयोग को सौंपी रिपोर्ट में नहीं दिखाया है।
डीआर ने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपना चुनाव खर्च 13,13,412 रुपये दिखाया है, जबकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपना चुनाव खर्च 14,98,607 रुपए बताया है।
एडीआर के नेताओं ने बताया कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव फंड के बारे में आरटीआइ के माध्यम से जानकारी देने से इंकार करती हैं और रिटर्न भरने के प्रति भी गंभीर नहीं हैं। शिरोमणि अकाली दल ने पिछले चार साल से अपनी रिटर्न ही नहीं भरी है। एडीआर नेताओं ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को ईमानदारी से अपना काम करना चाहिए, ताकि उनके नेताओं में भी ईमानदारी आ सके। अगर नेताओं को लगता है कि चुनाव खर्च की लिमिट कम है तो वह बिल पास पर खर्च की लिमिट बढ़ा सकते हैं। लेकिन नेताओं को चुनाव फंड हासिल करने और खर्च की सही जानकारी जनता को बतानी चाहिए।