Edited By Updated: 01 Feb, 2017 11:23 AM
बेशक इस वक्त पंजाब में चुनाव को लेकर काऊंटडाऊन शुरू हो चुका है। हर पार्टी के नेता पूरे दमखम के साथ चुनाव में डटे हुए हैं।
सिरसा(अरुण):बेशक इस वक्त पंजाब में चुनाव को लेकर काऊंटडाऊन शुरू हो चुका है। हर पार्टी के नेता पूरे दमखम के साथ चुनाव में डटे हुए हैं। आखिरी दौर में पूरी बाजी अपने नाम करने के लिए आतुर हैं मगर सियासत की इस बिसात में सट्टा बाजार ने भी अपने ‘गोटे’ सजाए हुए हैं। अहम बात यह है कि असल में पूरे खेल को ये गोटे काफी प्रभावित करते हैं। मसलन सट्टा बाजार द्वारा जारी किए जा रहे भावों को सभी राजनीतिक पार्टियां भी बड़ी गंभीरता से ले रही हैं। हालांकि सट्टा बाजार स्थिर नहीं है और हर दिन या यूं कह लीजिए कि पल भर में बदलती हवा के साथ इनका भाव भी ऊपर-नीचे हो जाता है मगर यहां यह जरूर कहना होगा कि इनका भाव कहीं न कहीं भावी स्थिति जरूर स्पष्ट कर देता है।खैर सट्टा बाजार पंजाब की सियासत को लेकर काफी सक्रिय है मगर पड़ोसी राज्य के साथ सटे सिरसा में भी इसका खासा प्रभाव दिखाई दे रहा है।
ऐसे लग रहा सट्टा
दरअसल, सिरसा का सट्टे से पुराना नाता रहा है। अतीत की बातें हैं कि भादरा एवं नोहरिया बाजार में कभी बरसात के ‘नाले’ पर शर्तें लगा करती थीं तो वक्त बदला और इस बदलाव के साथ ‘बाजार’ की दशा और दिशा भी बदल गई। अनाज मंडी में सट्टा भी काफी चर्चाओं में रहा है मगर एक लंबे अंतराल से सट्टा क्रिकेट के मैदान से लेकर सियासी गलियारे तक पहुंच चुका है।सियासत के लिहाज से बात की जाए तो चुनाव कहीं के भी हों मगर इन चुनावों की उपयोगिता सिरसा के सटोरियों को पता है। यही कारण है कि यहां सट्टा लगाने वालों की भी कमी नहीं है तो साथ ही इस बाजार से जुड़े लोग भी बहुत हैं मगर इस वक्त यू.पी. वगैरह को छोड़ सिरसा का सट्टा बाजार पंजाब के चुनाव को ज्यादा फोकस किए हुए है। इसकी एक वजह यह है कि सिरसा पंजाब के साथ सटा हुआ है।
राजस्थान से भी आते हैं भाव
पंजाब जहां सिरसा के साथ जुड़ा हुआ है वहीं पंजाब सीमा के लिहाज से राजस्थान से भी सटा हुआ है। सट्टे के भाव राजस्थान के हनुमानगढ़ एवं गंगानगर जिले से भी आ रहे हैं। सभी का नैटवर्क मोबाइल फोन के जरिए बना हुआ है और इसी के मार्फत भावों का अदान-प्रदान किया जा रहा है।सट्टा बाजार के अनुसार अब तक करीब 2 से 2.5 करोड़ रुपए तक का सट्टा पंजाब के चुनावों पर लगा है मगर जैसे-जैसे समय आगे बढ़ेगा और भावों में कोई तबदीली दिखी तो यह आंकड़ा भी बढ़ सकता है। हालांकि सट्टा बाजार ने इस बात को माना कि नोटबंदी के कारण इस दफा दाव कम खेला गया है जबकि पंजाब के पिछले विधानसभा चुनाव में अकेले सिरसा से 50 से 55 करोड़ रुपए का सट्टा दाव लगाया गया था।